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नेहरू को डॉ. राजेंद्र प्रसाद नहीं थे पसंद, फिर भी चुने गए देश के पहले राष्‍ट्रपति!

देश में गणतंत्र दिवस की तैयारियां जोरों पर हैं। संविधान लागू होने की खुशी को हम 26 जनवरी को सेलिब्रेट करते हैं, लेकिन इससे पहले भी देश में एक महत्‍वपूर्ण घटना घटी थी। यह घटना जुड़ी है 24 जनवरी यानी आज के दिन से। दरअसल, आजादी के बाद इसी दिन भारत को पहला राष्ट्रपति मिला। हालांकि, बताया जाता है कि दो बड़े नेताओं के बीच इस पर कुछ मतभेद भी हुए थे। आइये आपको बताते हैं कि देश को कैसे मिले पहले राष्‍ट्रपति और किन नेताओं में हुए थे उनके नाम को लेकर मतभेद।


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संविधान लागू होने से पहले राष्ट्रपति की थी जरूरत

26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू होने वाला था। इससे पहले गर्वनर जनरल सी राजगोपालाचार्य को नए राष्ट्रपति को जगह देनी थी, क्योंकि वे ब्रिटिश राज के प्रमुख के रूप में काम कर रहे थे। वहीं, देश की आजादी के बाद और संविधान लागू होने से पहले जल्द से जल्द एक राष्ट्रपति की जरूरत थी। खबरों की मानें, तो इस पद के लिए नेहरू की पहली पसंद थे सी राजगोपालचार्य। चेन्नई के इस राजनीतिज्ञ को लोग राजाजी के नाम से जानते थे। उस समय वे गर्वनर जनरल थे। एक तरह से राष्ट्रपति की हैसियत से ही वे काम कर रहे थे।


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पटेल की पसंद थे राजेंद्र प्रसाद

बताया जाता है कि उधर, सरदार वल्लभ भाई पटेल इसके उलट थे। बहुत से कांग्रेसी भी राजगोपालचार्य के नाम पर इसलिए सहमत नहीं थे, क्योंकि उन्‍होंने ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन का विरोध किया था और खुद को उससे अलग भी कर लिया था। कहते हैं कि पटेल की पसंद डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे। राष्ट्रपति पद के लिए जब सरदार वल्लभ भाई पटेल अपने उम्‍मीदवार का नाम तय कर चुके थे, तो उन्होंने गोपनीय तरीके से अपने समर्थकों को इस बारे में अवगत करा दिया था। सार्वजनिक तौर पर उन्होंने इसके बारे में कुछ नहीं कहा।


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चुना देश का पहला राष्‍ट्रपति

ब्लॉग में लिखी एक रिपोर्ट की मानें, तो नेहरू ने राजेंद्र प्रसाद को 10 सिंतबर 1949 को एक पत्र लिखाकर जता दिया कि उनकी इच्छा राजाजी को ही राष्ट्रपति के रूप में बरकरार रखने की है। वे नहीं चाहेंगे कि कोई और दूसरा राष्ट्रपति बने। इससे बदलाव संबंधित जटिलताएं भी आएंगी। इसी संदर्भ में राजेंद्र प्रसाद ने नेहरू को जवाबी पत्र लिखकर राष्ट्रपति पद की दौड़ से हटने से मना कर दिया। पटेल इन मामलों को लेकर अभी तक चुप थे। पंडित नेहरू को अंदाजा नहीं था कि क्या चल रहा है। उन्होंने पटेल को शिकायती पत्र लिखते हुए कहा कि वे प्रसाद को समझाएं। हालांकि, अंत में 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने राजेंद्र बाबू को देश का पहला राष्‍ट्रपति चुना। वे राष्ट्रपति पद पर दो बार चुने गए और 12 साल तक राष्ट्रपति पद को संभाला…Next


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