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15 अगस्त को ही भारत को क्यों मिली थी आज़ादी, जानें ऐसी ही 5 दिलचस्प बातें

आजादी से जुड़े इतने किस्से और घटनाएं हैं. जिनके बारे में बातें करना या सुनना बहुत ही दिलचस्प लगता है. आजादी की 72वीं वर्षगांठ पर आपके लिए हम ऐसी ही दिलचस्प बातें लेकर आए हैं. आइए, जानते हैं खास बातें. एक किस्सा है भारत की आजादी पर लिखी गई बेहद चर्चित किताब फ्रीडम एट मिडनाइट का. जाने उस किस्से के बारे में जब माउंटबेटन ने कहा था- ‘मैंने सत्ता सौंपने की तिथि तय कर ली है. ये तिथि है 15 अगस्त 1947.

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal15 Aug, 2018

1. भारत को किसी भी दिन आजाद किया जा सकता था लेकिन भारत में अंग्रेजी सरकार के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने देश को 15 अगस्त को ही आजाद घोषित करने का निश्चय इसलिए किया क्योंकि इसी दिन ठीक दो वर्ष पहले यानि 15 अगस्त, 1945 को जापान ने खुद को मित्र देशों के सामने समर्पित किया था।

2. वर्ष 1947 की शुरुआत में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने यह निर्धारित किया था कि भारत को जून 1948 से पहले स्वतंत्र कर दिया जाएगा। लेकिन महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन के चलते अंग्रेजी हुकूमत को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा जिसके चलते उन्होंने देश को जल्द आजाद कर दिया।

3. भारत विभाजन के बाद नव निर्वाचित और भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड लुइस माउंटबेटन को दोनों देशों भारत व पाकिस्तान में होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेना था। ऐसे में किसी भी तरह की असुविधा से बचने के लिए 14 अगस्त को पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया और भारत को 15 अगस्त के दिन आजाद किया गया।

4. भारत को स्वतंत्रता दिलवाने में महात्मा गांधी का बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महात्मा गांधी को किसने प्रभावित किया था। लेखक डेविड थोरो ने अपनी एक किताब में यह बात लिखी थी लोगों को टैक्स नहीं देने चाहिए और सरकार के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं करना चाहिए। इसके बाद महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार और नमक पर लगने वाले कर का विरोध करने जैसे आंदोलन किए।

5. भारत की आजादी के बाद तक जम्मू-कश्मीर रियासत के सरदार इस बात का निर्णय नहीं ले पा रहे थे कि उन्हें भारत के साथ मिलना चाहिए या पाकिस्तान के साथ। पाकिस्तान का मानना था कि प्रदेश की अधिकांश जनसंख्या मुसलमान है इसीलिए उन्हें पाकिस्तान के साथ मिलना चाहिए लेकिन अंतत: अक्टूबर 1947 में जम्मू-कश्मीर रियासत के सरदार ने अपनी रियासत को भारत का हिस्सा बनाने पर अपनी रजामंदी दे दी…Next

 

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