डॉ. कुमार विश्वास आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। एक कवि के रूप में सफर शुरू करने वाले कुमार आज आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं। कभी उनकी कविताओं पर वाह… वाह… कहने वालों की भीड़ होती थी, आज उनके भाषण को सुनकर उनके समर्थन में नारे लगाने वाले उमड़ते हैं। आप की ओर से राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम की घोषणा के बाद कुमार विश्वास का असंतोष स्पष्ट रूप से सामने दिखा था। उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर जमकर निशाना साधा था। इस पूरे मामले को लेकर वे पिछले दिनों जबरदस्त सुर्खियों में रहे। राजनेता के साथ-साथ आज भी उनकी पहचान एक बेहतरीन कवि के रूप में है। 10 फरवरी यानी आज उनका जन्मदिन है। आइये इस मौके पर आपको बताते हैं कि कुमार विश्वास ने छोटे-मोटे कवि सम्मेलनों से लेकर यहां तक का सफर कैसे पूरा किया और उनकी सफलता के पीछे किन लोगों का अहम योगदान रहा।
पैसे बचाने के लिए ट्रक में लेते थे लिफ्ट
कवि से राजनेता बने कुमार विश्वास अभी भी कवि सम्मेलनों में हिस्सा लेते हैं। एक राजनेता होने के बावजूद लोग आज भी उन्हें कवि के रूप में भी सम्मान देते हैं। खैर, उनका चमकता वर्तमान तो सभी देख रहे हैं, लेकिन शुरुआत से ही विश्वास की यह सफलता उनके साथ नहीं थी। उन्होंने भी लंबा सफर तय किया है, जिनमें कई मुश्किलों का भी सामना किया। एक इंटरव्यू में कुमार ने खुलासा किया था कि शुरुआती दौर में जब वे कवि गोष्ठियों से देर रात लौटते, तो पैसे बचाने के लिए ट्रक में लिफ्ट लेते थे। इस वजह से घर पहुंचने में देर हो जाती। उनके पिता को यह सब नापसंद था और मां को कुमार के भूखे होने की चिंता रहती। रात को मां खाना देतीं, तो पिता कुमार से नाराज हो जाते।
पिता की बात चुभ गई
विश्वास ने बताया कि एक बार कवि सम्मेलन से रात को घर पहुंचे, तो पिताजी नाराज हो गए। पिता गुस्से में बोले, ‘हां, इनके लिए बनाओ हलवा, ये सीमा से लड़कर जो आए हैं’। पिता की ये बात उन्हें चुभ गई। उसी समय उन्होंने ठान लिया कि अब इसी दिशा में आगे जाना है। कुमार का कहना है कि शुरुआत में लोगों ने लांछन भी लगाए, लेकिन मैंने कविता का दामन नहीं छोड़ा। उस दौर में कोई सोच सकता था कि एक दिन ऐसा भी आएगा, जब कविता के टीवी शो के लिए 10 लाख रुपये मिलेंगे।
चार महिलाओं का रहा अहम योगदान
कुमार बताते हैं कि उनकी कविताएं दरअसल प्रेमिका को लिखे खत हैं, जिन्हें बाद में उन्होंने कविता में उतार दिया। वे कहते हैं कि जब उन्होंने इंजीनियरिंग छोड़ी, तो बहन ने कहा कि कविता लिखकर क्या करेगा? तब कुमार ने जवाब दिया था कि एक छत, दो रोटी का जुगाड़ तो कर ही लूंगा। विश्वास कहते हैं कि उनकी जिंदगी में चार महिलाओं का अहम योगदान रहा, जिनकी वजह से शायद आज वो इस मुकाम पर हैं। वे बताते हैं कि मां ने गाने का सलीका और बड़ी बहन ने कुमार विश्वास नाम दिया। प्रेमिका ने उन्हें कवि बनाया और पत्नी ने एंट्रेप्रिन्योर बना दिया…Next
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