कुछ महीने पहले इमरान खान ने पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले चुके हैं। पाकिस्तान में अभी तक 21 प्रधानमंत्री रहे और कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा करने में सफल नहीं हुआ। वहीं पाकिस्तान के इतिहास में एक ऐसे प्रधानमंत्री भी हुए हैं, जो पहले भारत के वित्तमंत्री थे, जिनका नाम है लियाकत अली खान। लियाकत अली पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे। आज उनके पुण्यतिथि है, आइए, जानते हैं उनसे जुड़े खास पहलू।
1923 में भारतीय मुस्लिम लीग में हुए थे शामिल
लियाकत अली खान 1 अक्टूबर 1895 में करनाल, पूर्वी पंजाब में पैदा हुए थे। उनका परिवार के एक प्रभावशाली सामंती मुस्लिम-मराल नौशेरवानी परिवार था। अली खान ने अपनी शुरुआती पढ़ाई अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से की और फिर वो यूनाइटेड किंगडम के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में आगे की पढ़ाई के लिए चले गए। साल 1923 में जब लियाकत अली खान भारत देश लौटे तो उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश किया और उन्होंने ब्रिटिश भारतीय सरकार और ब्रिटिश सरकार के तहत भारतीय मुसलमानों के साथ अन्याय के खिलाफ लड़ाई की। कांग्रेस पार्टी ने उनको अपनी पार्टी में शामिल होने का न्यौता दिया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया और साल 1923 में भारतीय मुस्लिम लीग में शामिल हो गए।
बंटवारे से पहले यूपी से लड़ते थे चुनाव
लियाक़त अली बंटवारे से पहले मेरठ और मुज़फ्फरनगर से यूपी एसेंबली के लिए चुनाव भी लड़ते थे, वैसे उनका संबंध करनाल के राज परिवार से था।
वे जिन्ना के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के सबसे बड़े नेता थे। जब अंतरिम सरकार का गठन हुआ तो मुस्लिम लीग ने उन्हें अपने नुमाइंदे के रूप में भेजा। उन्हें पंडित नेहरू ने वित्त मंत्रालय सौंपा था। लियाकत अली खान ने अपने बजट प्रस्तावों को ‘सोशलिस्ट बजट’ बताया पर उनके बजट से देश की इंडस्ट्री ने काफी नाराजगी जताई।
पहले बने भारत के वित्त मंत्री फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री
लियाकत अली आजाद पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे और जिन्ना के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के सबसे बड़े नेता। जब अंतरिम सरकार का गठन हुआ तो मुस्लिम लीग ने उन्हें अपने नुमाइंदे के रूप में भेजा। उन्हें पंडित नेहरू ने वित्त मंत्रालय सौंपा था। पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने साल 2 फरवरी 1946 में भारत का बजट पेश किया था। उसके बाद वो 14 अगस्त 1947 से 16 अक्टूबर 1951 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे। दरअसल 16 अक्टूबर को उनकी हत्या कर दी गई थी। साल 1950 में उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच आठ अप्रैल 1950 को एक समझौता किया था, जिसका खास मकसद दोनों देशों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुरक्षित करना और भविष्य में युद्ध की संभावनाओं को खत्म करना था।उनकी हत्या तब पाकिस्तान की राजधानी रावलपिंडी के कंपनी बाग में ठीक उसी स्थान पर की गई थी, जहां 2007 में बेनजीर भुट्टो को गोली मारी गई थी…Next
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