देश में बढ़ते भ्रष्टाचार की इमारत नई नहीं है. इसकी नींव तो 1948 के जीप स्कैंडल में ही पड़ गई थी. जीप स्कैंडल के बाद भी बोफोर्स स्कैंडल और सुखराम का टेलीकॉम घोटाला जैसे कई घोटालों ने शुरूआत में ही दिखा दिया था कि देश में आगे कितने घोटाले होने हैं. ताबूत घोटाला और पशुओं को दिए जाने वाले चारे में भी घोटाले की खबर ने भारतीय नेताओं में शून्य हो चुके नैतिकता की तरफ इशारा किया. राजनैतिक घोटालों में देश का इतना अधिक धन बर्बाद हो गया जितना ब्रिटिश शासक 200 सालों में भी नहीं कर पाए थे. घोटालों की इस किताब में मधु कोड़ा, ए राजा, कलमाड़ी जैसे दिग्गजों ने अहम पाठ लिख दिए.
हाल में देश भ्रष्टाचार से इतना अधिक ग्रस्त हो चुका है कि देश की आय की एक बड़ा हिस्सा नेताओं की काली कमाई बन गया है. देश की आर्थिक स्थिति को खोखला बनाती घोटालों की कहानी के नायकों के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं इसलिए आज हम आपको देश के कुछ प्रसिद्ध घोटालेबाजों से आपका परिचय कराते हैं. इन सभी नेताओं की प्रोफाइल को हम संक्षेप में दे रहे हैं.
सुखराम (टेलिकॉम घोटाला 1996): नरसिंह राव सरकार में 1993 से 1996 तक दूरसंचार मंत्री रहे सुखराम के कार्यकाल में ही देश में लैंडलाइन फोन की उन्नत तकनीक आई. इसी दौरान उन पर देश में टेलिफोन के सामानों की लेन-देन में घोटाला करने का आरोप भी लगा जो बाद में साबित भी हुआ. 1-जी के नाम से जानी जाने वाली उस समय की टेलीफोन सर्विस में सुखराम के फंसने की वजह से सरकार को काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी.
सुखराम के घर से 3.6 करोड़ रुपए बरामद हुए थे. यह जानकर और भी हैरानी होगी कि उनके घर से पैसे बिस्तर, तकिए और टॉयलेट जैसी जगहों से मिले थे.
लालू प्रसाद यादव (चारा घोटाला): कहते हैं लालू के बिना बिहार की राजनीति को समझ पाना या उसके बारे में लिख पाना नामुमकिन है. ला ग्रेजुएट और बिहार के गोपालगंज में 1948 में एक गरीब परिवार में जन्मे लालू ने राजनीति की शुरूआत जयप्रकाश आन्दोलन से की, तब वे एक छात्र नेता थे. 1990 में वह पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. 1995 में भी वह बहुमत से विजयी होकर मुख्यमंत्री तो बन गए पर 1997 में जब सीबीआई ने उनके खिलाफ चारा घोटाला में आरोप पत्र दाखिल किया तो उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा.
लालू प्रसाद यादव का चारा घोटाला देश के सबसे बड़े और चर्चित घोटालों में से एक माना जाता है. इस एक घोटाले ने लालू की छवि को मिट्टी में मिला दिया. जानवरों को दिए जाने वाले चारे में घोटाले की बात सुनकर अक्सर लोग हंसने लगते हैं लेकिन लालू यादव ने यह घोटाला किया. अभी यह मामला सीबीआई की अदालत में चल ही रहा है. चारा घोटाले में देश को 950 करोड़ का चूना लगा था. उस समय 950 करोड़ रुपए का घोटाला करने वाले लालू यादव को इसीलिए देश में भ्रष्ट नेताओं की सूची में रखा जाता है.
मधु कोड़ा (4,000 करोड़ का घपला): कभी नव झारखंड के हीरो के रूप में देखे जाने वाले मधु कोड़ा ने 4000 करोड़ का ऐसा घोटाला किया है जिसकी वजह से वह आज देश में भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों के हीरो बन चुके हैं. कहा जा सकता है कि कोड़ा ने चीफ मिनिस्टर के तौर पर अपने कार्यकाल में अपने साथियों के साथ मिलकर हर रोज 3.6 करोड़ का घपला किया.
मधु का जन्म पट्टाहाटू गांव में हुआ था. उनके पिता रसिक एक खान में मजदूर थे और बाकी समय अपनी छोटी सी जमीन पर खेती करते थे. उनके पिता चाहते थे कि वह एक इंस्पेकटर बनें पर बेटे की चाहत कुछ और थी. आरएसएस तथा ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन से गुजरते हुए बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी के सहारे उन्होंने राजनीति में कदम रखा. 2006 में कोड़ा झारखंड के मुख्यमंत्री बने और शुरू हुई ऐसी कहानी जो फिल्मों में भी नहीं देखी गई है. बचपन में जिसके पिता खान में खुदाई करते थे उसने मुख्यमंत्री बनते ही थाइलैंड में होटल खरीदे, लाइबेरिया में खदानें और दुबई में कंपनियां खरीद लीं. रातोंरात इतना धन कहां से आया यह बताने की जरूरत नहीं है.
ए राजा (2 जी घोटाला): 47 वर्षीय राजा राजनैतिक पृष्ठभूमि से तो नहीं थे लेकिन राजनीति में उनकी दिलचस्पी ने उन्हें द्रमुक का चहेता दलित नेता बना दिया. मई, 1963 में जन्मे ए राजा को पढ़ाई करने के लिए घर से बहुत दूर जाना पड़ता था. लेकिन उन्होंने शिक्षा के प्रति अपनी लगन को दर्शा कर कुछ पाने की सोची और वकालत की पढ़ाई पढ़ी. राजा का पूरा नाम आंदिमुथू राजा है और कविता लिखने में निपुणता की वजह से वह करूणानिधि के सबसे चहेते बन गए.
वे 1999 में महज 35 साल की उम्र में राजग सरकार में केंद्रीय मंत्री बन गए थे. इसके बाद वह केंद्र में राजग और संप्रग दोनों ही सरकारों में मंत्री पद पर रहे. मई 2007 में वह संचार मंत्री बने और 2जी घोटाले में आरोपों के बावजूद फिर से इस पद पर काबिज हुए.
2जी आवंटन में उन्होंने विदेशी कंपनियों से भारी मुनाफा कमाया. इस समय ए. राजा तिहाड़ जेल में हैं. 2 जी घोटाला लगभग 78000 करोड़ रुपए का है.
सुरेश कलमाड़ी(कॉमनवेल्थ घोटाला): देश में पहले कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में सुरेश कलमाड़ी ने अंधाधुध पैसा बहाया और अपनी तिजोरी भरी. कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान कलमाड़ी आयोजन समिति के चेयरमैन थे.
1 मई, 1944 को जन्मे कलमाड़ी ने नेशनल डिफ़ेंस अकादमी (एनडीए) खड़कवासला से स्नातक किया. वर्ष 1965 में पायलट के तौर पर वो भारतीय वायुसेना से जुड़े. उन्होंने 1965 और 1971 की जंग में भी हिस्सा लिया. इसके बाद 70 के ही दशक में कलमाड़ी पुणे युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए. वायुसेना से सेवानिवृत्ति के बाद कलमाड़ी ने बिजनेस भी शुरू किया. पूना कॉफ़ी हाऊस को खरीदकर शानदार तरीके से चलाना शुरू किया. इसी दौरान उनकी मुलाकात शरद पवार से हुई जिन्हें बड़ा भाई मानकर वह राजनीति में कूद पड़े. फिर क्या था शरद पवार के साथ ने कलमाड़ी की पहचान दिल्ली में कराई और वह खेल राजनीतिज्ञ बन बैठे. 1982 में वह राज्य सभा के लिए मनोनीत हुए. नरसिम्हा राव सरकार में वो केंद्र में रेल राज्य मंत्री बने. वे अब तक के एकमात्र रेलवे राज्य मंत्री हैं जिन्होंने संसद में रेल बजट प्रस्तुत किया.
इसके बाद वह खेल समिति से जुड़े और 2010 में होने वाली कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन समिति के चेयरमैन बने. कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में कलमाड़ी के देखरेख में भारी धांधलेबाजी देखने को आई. टॉयलेट पेपर से लेकर खेल के साजो-समान तक घोटालों से अच्छी खासी रकम बटोरी गई. इस वक्त कमलाड़ी भी तिहाड़ जेल में हैं.
वैसे इस लिस्ट में और भी कई नाम शामिल किए जा सकते हैं जैसे बी.एस. येदुयुरप्पा, सुरेश जैन, शीला दीक्षित पर जो नाम उपरोक्त हैं उन पर आरोप या तो साबित हो चुके हैं या फिर उनके बारे में कोर्ट के पास पर्याप्त सबूत हैं.
देश में ऐसे कई नेता हैं जिनके घोटाले अभी सामने नहीं आए हैं और शायद आने वाले समय में कभी सामने आ भी नहीं पाएं. देश का हजारों करोड़ो रुपया इन लोगों ने अपना माल समझ कर छुपा रखा है. देश में इस समय लोकपाल बिल लाने की तैयारी है लेकिन क्या यह बिल पकड़े गए गुनहगारों से धन उगाहने में सक्षम होगा?
Read Comments