चुनाव आते ही राजनीतिक पार्टियों को हार-जीत का दबाव डराने लगता है। उन्हें लगता है कि ऐसी क्या बात कहें कि वोटर उन्हें वोट देकर उनकी सरकार बना दे। इसी दबाव के चलते वो अपनी जुबान को कंट्रोल में नहीं रख पाते और ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणी कर बैठते हैं, जो किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मनाक बात होती है। लोकसभा चुनाव 2019 भी इस बात से परे नहीं है। इस चुनाव में भी पार्टियां जोरों-शोरों से प्रचार कर रही है, इस दौरान नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के अलावा विवादित बयान भी दे रहे हैं। इन नेताओं पर चुनाव आयोग ने सख्त रूख अपनाया है। जिसके तहत चुनाव आयोग ने इन बड़बोले नेताओं को सजा दी है।
योगी आदित्यनाथ (बीजेपी)
विवादित बयान- ‘अगर कांग्रेस, एसपी, बीएसपी को अली पर विश्वास है तो हमें भी बजरंग बली पर विश्वास है।’ योगी ने देवबंद में बीएसपी प्रमुख मायावती के उस भाषण की तरफ इशारा करते हुए यह टिप्पणी की थी जिसमें उन्होंने ने मुस्लिमों से एसपी-बीएसपी गठबंधन को वोट देने की अपील की’
चुनाव आयोग की सजा- सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद विवादित टिप्पणी को लेकर चुनाव आयोग ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को 72 घंटे के लिए चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी है।
मायावती (बीएसपी)
विवादित बयान- ‘मैं खासतौर पर मुस्लिम समाज के लोगों से यह कहना चाहती हूं कि आपको भावनाओं में बहकर, रिश्ते-नातेदारों की बातों में आकर वोट बांटना नहीं है बल्कि एकतरफा वोट गठबंधन को ही देना है।‘
चुनाव आयोग की सजा- चुनाव आयोग ने मायावती के चुनाव प्रचार पर 48 घंटे की रोक लगा दी।
आजम खान (सपा)
विवादित बयान-‘क्या राजनीति इतनी गिर जाएगी कि 10 साल जिसने रामपुर वालों का खून पिया, जिसे उंगली पकड़कर हम रामपुर में लेकर आए, उसने हमारे ऊपर क्या-क्या इल्जाम नहीं लगाए। क्या आप उसे वोट देंगे?’ आजम ने आगे कहा कि आपने 10 साल जिनसे अपना प्रतिनिधित्व कराया, उसकी असलियत समझने में आपको 17 साल लगे। मैं 17 दिन में पहचान गया कि इनके नीचे का अंडरवियर खाकी रंग का है।‘
चुनाव आयोग की कार्रवाई- चुनाव आयोग ने आजम खान के चुनाव प्रचार पर 72 घंटे की रोक लगा दी।
मेनका गांधी (बीजेपी)
विवादित बयान-अगर उन्हें मुसलमान वोट नहीं देंगे तो अच्छा नहीं लगेगा। वो बिना मुसलमानों के समर्थन से भी चुनाव जीत सकती हैं। लेकिन अगर मुसलमान सहयोग करेंगे तो अच्छा लगेगा। इसके साथ ये भी कहा था कि जब कोई नौकरी के लिए बिना सहयोग किए आता है तो अच्छा नहीं लगता है। वो लोग महात्मा गांधी की छठी औलाद तो नहीं है कि एक तरफा काम करते जाएं और चुनावों में मार खाते रहें। वहां मौजूद लोगों से कहा कि आखिर नौकरी की मांग करना भी तो एक तरह से सौदेबाजी है। अब आप बताएं कि क्या ऐसे ही काम करना उचित होगा।
चुनाव आयोग की कार्रवाई- चुनाव आयोग ने मेनका गांधी के चुनाव प्रचार पर 48 घंटे की रोक लगा दी।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी चुनाव आयोग को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने मायावती के देवबंद रैली में दिए गए भाषण पर आपत्ति जताई थी। कोर्ट की तरफ से चुनाव आयोग को फटकार लगाई गई थी कि आयोग ने अभी तक इस मामले में क्या कार्रवाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आयोग अभी तक सिर्फ नोटिस ही जारी कर रहा है, कोई सख्त एक्शन क्यों नहीं ले रहा है। सभी नेताओं के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई की गई है। जिसमे हेट स्पीच का दोषी मानते हुए उनपर चुनाव प्रचार करने का बैन लगाया गया।…Next
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