बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जो अपनी मौजूदा स्थिति को देखते हुए निराश हो जाते हैं या फिर उनमें आगे बढ़ने की चाह खत्म हो जाती है लेकिन इस मानसिकता से अलग कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो लगातार कड़ी मेहनत करना जारी रखते हैं। ऐसे में उन लोगों की मेहनत को देखकर किस्मत भी झुकने के लिए मजबूर हो जाती है।
कुछ ऐसी ही उम्मीदों से भरी कहानी है आंगनवाडी कर्मचारी प्रमिला बोसोई की- जो 70 साल की उम्र में सांसद बनी हैं। प्रमिला कभी आंगनवाड़ी में खाना बनाने का काम करती थीं, फिर उन्होंने बड़े पैमाने पर महिलाओं को स्वरोजगार में सहायता की और अब 17वीं लोकसभा में सांसद चुनी गई हैं।
जनता की चहेती ‘परी मां’ की राजनीति में एंट्री
70 वर्षीय प्रमिला बोसोई, बीजू जनता दल (बीजेडी) के टिकट पर ओडिशा की अस्का लोकसभा सीट से चुनाव जीती हैं। उनकी जीत का अंतर दो लाख से अधिक वोटों का था। स्थानीय लोग उन्हें प्यार से ‘परी मां’ कहते हैं। स्वयं-सहायता समूह की एक आम औरत से सांसद तक का उनका सफर एक फिल्मी कहानी की तरह है।
इन चुनौतियों को पार करके सांसद बनीं प्रमिला
पांच साल की उम्र में प्रमिला की शादी कर दी गई थी। इसलिए वे आगे पढ़ाई भी नहीं कर पाईं। इसके बाद प्रमिला ने गांव में ही आंगनवाड़ी रसोइया के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। फिर उन्होंने गांव में ही एक स्वयं सहायता समूह की शुरुआत की। उन्हें बहुत जल्दी सफलता मिली और वह ओडिशा के महिला स्वयं सहायता समूह के ‘मिशन शक्ति’ की प्रतिनिधि बन गईं।
बीजेडी सरकार ने प्रमिला बिसोई को अपनी महत्वाकांक्षी योजना मिशन शक्ति का चेहरा बना दिया। दावा है कि इस योजना से 70 लाख महिलाओं को फायदा मिला। प्रमिला के पति चतुर्थ श्रेणी के सरकारी कर्मचारी थे। उनके बड़े बेटे दिलीप चाय की दुकान चलाते हैं और छोटे बेटे रंजन की गाड़ियों की रिपेयरिंग की दुकान है। यह परिवार एक टिन की छत वाले एक छोटे से घर में रहता है।…Next
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