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जनता से पैसे मांगकर शिवराज चौहान ने लड़ा था चुनाव, आपातकाल के दौरान जा चुके हैं जेल

कई नेता ऐसे होते हैं जो राजनीति से अलग अपने कई दिलचस्प किस्सों या विवादों की वजह से चर्चाओं में रहते हैं। मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज चौहान भी उन्हीं नेताओं में से एक हैं। कभी वो विधानसभा चुनाव में ‘शिव की तरह तांडव नहीं करूंगा’ वाला विवादित बयान देते हैं, तो कभी वो एमपी की धरती पर ‘पद्मावत’ को रिलीज न होने देने का वादा करते हैं। लेकिन राजनीति से अलग बात करें, तो वही शिवराज चौहान है, जो एक किसान परिवार से हैं और पढ़ने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलकर जाते थे।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal5 Mar, 2019

 

 

किसान परिवार में जन्मे शिवराज, आपाताकाल में जा चुके हैं जेल
शिवराज सिंह चौहान के अंदर नेतृत्व क्षमता बचपन से थी। नौ साल की उम्र में ही गांव के किसानों के हकोहुकूक के लिए शिवराज ने आवाज बुलंद करनी शुरू की। किसान और मजदूरों के हक में एक बच्चे की लड़ाई देख लोग दंग रह जाते थे। शिवराज की कोशिशों से इलाके में दिहाड़ी मजदूरों का पारिश्रमिक दूना हुआ। 16 वर्ष की उम्र में वर्ष 1970 में एबीवीपी से जुड़ाव हुआ। फिर छात्रसंघ चुनाव में किस्मत आजमाने उतर पड़े। भोपाल के मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल के छात्रसंघ अध्यक्ष बने। बरतकुल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल से दर्शनशास्त्र में मास्टर्स की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान मिलने पर गोल्ड मेडल से नवाजा गया। इसके बाद आरएसएस से जुड़ाव हुआ। जब तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने इमरजेंसी लगाई तो वरिष्ठ नेताओं के साथ 1976-77 में नौ महीने के लिए जेल शिवराज जेल गए।

 

 

जनता से पैसे लेकर लड़ा था चुनाव
वर्ष 1990 में 31 साल की उम्र में ही शिवराज सिंह चौहान बुधनी सीट से पहली बार विधायक बने। पहले ही चुनाव में निकटतम कांग्रेस उम्मीदवार को 22 हजार वोटों से हराया। जनता से पैसे मांगकर शिवराज ने चुनाव लड़ा था। वन वोट, वन नोट का नारा दिया था। पब्लिक के पैसे से पूरा चुनाव लड़े। यह चुनाव काफी चर्चित हुआ था। हालांकि वह एक साल ही विधायक रहे। वजह कि 1991 में जब अटल बिहारी वाजपेयी ने विदिशा लोकसभा सीट से इस्तीफा दिया तो पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान को चुनाव मैदान में उतार दिया। पहला लोकसभा चुनाव भी जीतने में शिवराज सफल रहे और सबसे कम उम्र के सांसद बने। 1992 में वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के के जनरल सेक्रेटरी बने। 1996 में वह दोबारा विदिशा लोकसभा सीट से जीते। 1998 और 1999 में भी लगातार लोकसभा चुनाव जीते। वर्ष 2000 से 2003 के बीच वह भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। 2004 में लगातार पांचवी बार लोकसभा चुनाव जीते। 2005 में बीजेपी के मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष बने। 29 नवंबर 2005 को वह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वो तीन बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।…Next

 

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