कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट करके बताया है कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने अप्सरा रेड्डी को ऑल इंडिया महिला कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया है। वह ऐसी पहली ट्रांसजेंडर हैं जो महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव होंगी। ऐसे में नई महिला सचिव के बारे में लोगों के बीच काफी उत्सुकता देखी जा रही है। सोशल मीडिया पर ज्यादातर लोग इस फैसले को नई सोच की दिशा में बेहतर कदम बता रहे हैं। आइए, जानते हैं कौन है अप्सरा रेड्डी।
अजय से अप्सरा बनने तक का सफर
मूल रूप से आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले से आने वाली अप्सरा रेड्डी की स्कूली पढ़ाई चेन्नई में हुई है। उनका जन्म का नाम अजय रेड्डी था लेकिन उनके शौक लड़कियों जैसे थे। धीरे-धीरे अजय को समझ आ गया कि वो बाकियों से अलग है लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अजय ने 13-14 उम्र में पहली बार गूगल पर जेंडर परिवर्तन के बारे में रिसर्च किया। तब उसे पता चला कि उसके जैसे कई लोग दुनिया में जो शरीर से आदमी और मन से औरत हैं। पर उस समय अजय को अपने माता पिता से ज्यादा समर्थन नहीं मिला। पढ़ने में अव्वल अजय को उनके स्कूल में बच्चे बहुत परेशान करते थे लेकिन उनका ज्यादा ध्यान पढ़ाई में लगता था।
ऐसे करवाया जेंडर ट्रांसप्लांट
उनका दाखिला ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी में हुआ तब उनको ऐसे कई दोस्त मिले जो उनकी स्थिति को देखकर मजाक नहीं उड़ाते थे। ऑस्ट्रेलिया में अजय ने पहली बार जेंडर ट्रांसप्लांट की सोची। आस्ट्रेलिया में अजय जैसिन्टा से मिले। जैसिन्टा की कहानी भी अजय के जीवन की तरह थी। जैसिन्टा ने अजय को जेंडर काउंसिलर के पास जाने के लिए प्रेरित किया। अजय ने करीब साल भर काउंसिलिंग की और जेंडर बदलवाने का मन बनाया। अजय ने पहले ऑस्ट्रेलिया में और बाद में लंदन में काउंसिलिंग और हॉर्मोन की दवाई ली। अप्सरा के मुताबिक बाहर के देशों में ये दवाई तभी दी जाती है जब वहां पर डाक्टर को ये भरोसा हो जाए कि व्यक्ति मन से तैयार है। लेकिन काउंसिलिंग और दवाई के दौर में भी अजय को समय लग रहा था।आस्ट्रेलिया और लंदन में काम करने के साथ-साथ अजय ने अपने जैसे लोगों को लेकर बात करनी शुरु की। और धीरे-धीरे वहां पर उन्हें नई पहचान मिली। अलग अलग मीडिया संस्थानों में काम करने के फायदा ये मिला कि वो अपने विचार सबके सामने खुल कर रखने लगीं। हिंदुस्तान आकर अजय ने पहले नामी मीडिया हाउसों में काम किया। वहां पर उन्हें अपने बॉस का सहयोग तो मिला लेकिन उनके साथ काम करने वाले लोगों उन्हें अजीब नजरों से देखते थे। सामाजिक रूप से उन्हें बहुत पसंद नहीं किया जाता था। लेकिन यहां पर भी पत्रकारिता के जरिए उन्हें स्वीकृति मिलने लगी और फिर उन्होंने थाइलैंड में अपना ऑपरेशन कराया।
लंदन से ही है पढ़ाई
अप्सरा रेड्डी की स्कूली पढ़ाई चेन्नई में हुई है। इसके बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में ग्रेजुएशन किया। वह कॉलेज के समय से सामाजिक कामों में सक्रिय रहीं। उन्होंने ट्रांसजेंडर के अधिकारों के लिए काम किया और साथ ही साथ पत्रकारिता भी की। इसके बाद उन्होंने लंदन से पोस्ट ग्रैजुएशन की पढ़ाई की और साथ ही वहां के मीडिया संस्थानों में काम भी किया।
राजनीतिक कॅरियर की ऐसे हुई थी शुरुआत
अप्सरा ने अपना राजनीतिक जीवन बीजेपी के साथ शुरू किया लेकिन बाद में वो अन्नाद्रमुक से जुड़ी और वहां पर राष्ट्रीय प्रवक्ता की भूमिका में थीं। जयललिता की मृत्यु के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी। तमिलनाडु में देश का पहला ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड बनाया गया था। अप्सरा का मानना है कि ट्रांसजेंडर को न्याय तभी मिलेगा जब राजनैतिक तौर पर उन्हें आवाज मिलेगी और तभी संपूर्ण लैंगिक न्याय मिलेगा…Next
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