Menu
blogid : 321 postid : 1167

मायावती: तानाशाह या एक जुझारु नेता

एक तानाशाह की एक तस्वीर को आप किसी लोकतंत्र में देखना पसंद नहीं करते लेकिन भारतीय राजनीति में ऐसे कई नेता हैं जो एक तानाशाह की तरह ही नजर आते हैं और इन्हीं नेताओं में एक नाम मायावती का भी आता है. दलितों के हितों के लिए हमेशा आवाज उठाने वाली कुमारी मायावती को बेशक उनके प्रशंसक बहन के रूप में मानते हो लेकिन यह भी सच है कि मायावती कई लोगों के लिए एक तानाशाह नेता है. कुछ तो इन्हें लेडी डॉन भी कहते हैं. जो लोग मानते हैं कि महिलाएं सिर्फ घर में रोटियां बनाने के लायक हैं उन्हें मायावती की कामयाबी हमेशा चुभती है लेकिन यह सच है कि मायावती ने एक मध्यमवर्गीय परिवार से उठकर अपने लिए राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में अहम स्थान बनाया है. आज मायावती के जन्मदिन पर आइए जानें उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ अहम बातें.

Read: Mayawati and Kanshi Ram’s Relationship


MAYAWATIमायावती की तस्वीर जो शायद आपने कभी ना देखी हो

कभी मंत्रियों से जूती साफ करवाना तो कभी स्पेशल जहाज से चप्पल मंगवाना तो कभी नेताओं और अफसरों को एक झटके में पद से हटा देना मायावती की पहचान बन गई है. आम जनता में जो राजनीति को अच्छे से समझते हैं उनकी नजर में मायावती एक बहुत बड़ी तानाशाह हैं. मायावती ना तो कभी किसी प्रेस कांफ्रेस में अपनी सफाई देती हैं ना ही किसी घोटाले पर कुछ कहती हैं. जब मायावती मुख्यमंत्री थी तब उत्तर प्रदेश में मायावती की छवि एक राजा की तरह होती थी जो खुद एक बड़ी गद्दी पर बैठती हैं और उनकी महफिल में नेता और अफसर जमीन पर बैठते हैं. आज भी जब वह मुख्यमंत्री नहीं है तब भी मायावती के सामने बड़े से बड़ा नेता और अफसर सर झुका कर प्रणाम करता है और उन्हें सलाम करता है. मायावती का यह चेहरा आपको जरूर अजीब लगेगा पर सत्ता का असली नशा कैसे लूटते हैं इसकी बानगी सिर्फ मायावती ही दिखा सकती हैं.

Read: Profile of Akhilesh Yadav

कभी विपक्ष की नेता नहीं बनीं

मायावती एक अलग तरह की नेता हैं. उन्होंने अपनी लगभग डेढ़ दशक की राजनीति में विधायक या विधान परिषद सदस्य की हैसियत से कभी भी विधानभवन में अपनी मौजूदगी दर्ज नहीं कराई है और न ही विपक्ष की नेता की हैसियत से सदन के अंदर कोई मुद्दा उठाया है. पहली बार 3 जून, 1995 को मुख्यमंत्री बनने के बाद से उन्होंने सिर्फ मुख्यमंत्री की हैसियत से ही सदन में प्रवेश किया है.


कुछ तो बदला है

कई लोग कहते हैं कि मायावती के शासन काल में सिर्फ हाथियों ने मौज लुटाई और प्रजा ने खूब मार खाई है. लेकिन ऐसा कहने वाले भी मायावती के शासन काल में यूपी के विकास और क्राइम रेट में कमी को नजरअंदाज नहीं करते. मायावती की वजह से ही आज यूपी में बड़े पैमाने पर औद्योगिक क्रांति आई है हालांकि इससे आम जनता और किसानों को बहुत नुकसान भी हुआ है. और क्राइम रेट में तो मायावती की सरकार ने वाकई काफी कमी लाने का कार्य किया था. मायावती ने मुलायम सिंह के राज में फैले गुंडाराज को काफी हद तक खत्म किया था. मायावती के शासन काल में चाहे उत्तर प्रदेश में क्राइम रेट अन्य राज्यों से बेहद अधिक है लेकिन हालात तब के मुकाबले लाख गुने सही हुए थे जब मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे. और आंकड़े तो यह भी बयां करते हैं कि मायावती का शासन मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव के शासन काल से भी ज्यादा सेफ था.


मायावती का जीवन परिचय

देश के सबसे बड़े जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती का जन्म 15 जनवरी, 1956 को दिल्ली में हुआ था. मायावती का संबंध गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव बादलपुर से है. इनके पिता प्रभु दास, गौतम बुद्ध नगर के ही डाक विभाग में कार्यरत थे. दलित और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े परिवार से संबंधित होने के बावजूद इनके अभिभावकों ने अपने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखा. मायावती ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कॉलेज से कला में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. इसके अलावा उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से विधि की परीक्षा और वीएमएलजी कॉलेज, गाजियाबाद (मेरठ यूनिवर्सिटी) से शिक्षा स्नातक की उपाधि प्राप्त की. कुछ वर्षों तक वह दिल्ली के एक स्कूल में शिक्षण कार्य भी करती रहीं. लेकिन वर्ष 1977 में दलित नेता कांशीराम से मिलने के बाद मायावती ने पूर्णकालिक राजनीति में आने का निश्चय कर लिया. कांशीराम के नेतृत्व के अंतर्गत वह उनकी कोर टीम का हिस्सा रहीं, जब सन् 1984 में उन्होंने बसपा की स्थापना की थी. वर्ष 2006 में कांशीराम के निधन के बाद मायावती बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष बन गईं.


चार बार मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश को दिल्ली की सत्ता का रास्ता माना जाता है. उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना वाकई एक जटिल कार्य होता है और इस कार्य को मायावती ने एक दो नहीं चार बार किया है. वर्ष 1995 में मायावती पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं. इसके पश्चात वे दुबारा वर्ष 1997 में मुख्यमंत्री बनीं. वर्ष 2001 में कांशीराम ने मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था. इसके बाद वर्ष 2002 में भारतीय जनता पार्टी के समर्थन के साथ वह फिर मुख्यमंत्री बनीं. इस बार यह अवधि पहले की अपेक्षा थोड़ी बड़ी थी. वर्ष 2007 के चुनावों में बीएसपी के लिए केवल दलितों ने ही नहीं अपितु ब्राह्मण और ठाकुरों ने भी वोट किया. इस चुनाव में सभी वर्ग के लोगों को प्रतिनिधि बनाया गया था. इन चुनावों में विजयी होने के पश्चात मायावती चौथी बार मुख्यमंत्री बनी.

To Read More Visit:

Working Polices of Mayawati

Mayawati Full Profile in Hindi


Tag: Mayawati, Profile of Mayawati, Mayawati in Hindi, Profile in Hindi, Mayawati Profile in Hindi

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh