पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में से एक राज्य त्रिपुरा में पहले चरण में मतदान हो गया। अब 27 फरवरी को दूसरे चरण में मेघालय और नागालैंड में मतदान होंगे। भाजपा-कांग्रेस समेत क्षेत्रीय पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत चुनाव प्रचार में झोकी। इस चुनाव में कांग्रेस के लिए मेघालय में सत्ता बचाने की चुनौती है, क्योंकि 2014 से लेकर अभी तक मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने कांग्रेस को देश की राजनीति में काफी समेट दिया है। फिलहाल देश के केवल चार राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, जिसमें एक मेघालय भी है। कांग्रेस की असल चिंता इस बार किसी भी तरह मेघालय में सरकार बचाने की है। हालांकि, बीजेपी ने कांग्रेस के इस गढ़ में भी सेंध लगा दी है। मेघालय में चुनाव भी संगमा बनाम संगमा है। आइये आपको बताते हैं कि क्या हैं यहां के सियासी समीकरण।
सत्तारूढ़ दल के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरे कोनार्ड संगमा
मेघालय विधानसभा चुनाव में निवर्तमान मुख्यमंत्री मुकुल संगमा जहां कांग्रेस पार्टी को सत्ता में बनाए रखने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं, वहीं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के बेटे कोनार्ड संगमा के नेतृत्व में नेशनल पीपुल्स पार्टी सत्तारूढ़ दल के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। मुकुल और कोनार्ड दोनों ही गारो हिल्स इलाके से आते हैं। वर्ष 2016 में कोनार्ड संगमा ने तुरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, जो उनके पिता पीए संगमा के निधन के बाद खाली हो गई थी। कोनार्ड संगमा ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंदी और मेघालय के सीएम की पत्नी डिक्कांची डी शिरा को हराया था। दोनों के बीच जीत का अंतर 1.93 लाख वोट था। कोनार्ड ने गारो हिल्स में कुल 24 सीटों में से 22 पर कांग्रेस विधायक होने के बावजूद जीत हासिल की थी।
कांग्रेस कर रही सत्ता विरोधी लहर का सामना
मेघालय में कांग्रेस पार्टी सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। कई नेता भी पार्टी छोड़कर जा चुके हैं। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) गैर कांग्रेस दलों के लिए बीजेपी द्वारा बनाए गए नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस का हिस्सा है। हालांकि, ईसाई बहुल मेघालय में एनपीपी अकेले चुनाव लड़ रही है। राज्य में कांग्रेस 60 और एनपीपी 53 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चल रहा है। हाल ही में कांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने कोनार्ड संगमा की ओर इशारा करते हुए कहा था कि कृपया नजदीक के चर्च में जाएं और बाइबिल पर हाथ रखकर कहें कि वे बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। वहीं, एनपीपी के नेता इर्विन के स्यिइम ने कहा था कि हमारे नेता ने दृढ़तापूर्वक तरीके से कह दिया है कि हम अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं।
बीजेपी ने कांग्रेस के गढ़ में लगा दी है सेंध
गौरतलब है कि मेघालय में 60 सदस्यीय विधानसभा है, जहां कांग्रेस मेघालय संयुक्त गठबंधन सरकार पिछले आठ वर्षों से सत्ता में है। बीजेपी ने कांग्रेस के इस गढ़ में भी सेंध लगा दी है। दिसंबर में कांग्रेस के एक सहित 4 विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। इसके बाद कांग्रेस के 5 सहित आठ विधायक मेघालय में एनडीए की सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) में शामिल हुए। ऐसे में कांग्रेस के लिए यहां अपनी सत्ता बचा पाना आसान नहीं होगा। सियासी पंडितों की मानें, तो राज्य में सत्ता विरोधी लहर भी है, जिस वजह से यहां कांग्रेस की कठिन परीक्षा है…Next
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