मुकुल एम.संगमा का जीवन परिचय
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य और मेघालय के वर्तमान मुख्यमंत्री मुकुल एम. संगमा का जन्म 20 अप्रैल, 1965 को मेघालय के पश्चिम गारो हिल्स जिले में हुआ था. संगमा ने वर्ष 1982 में गवर्नमेंट हाई स्कूल, अम्पाती से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. इसके बाद वर्ष 1989 में इम्फाल के रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ( आरआईएमएस) से मेडिसिन विषय में स्नातक की उपाधि ग्रहण की. पढाई के दौरान ही मुकुल संगमा ने आरआईएमएस की विद्यार्थी परिषद की शासी निकाय के साथ जुड़कर विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दी. वर्ष 1991 में मुकुल संगमा ने चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी के तौर पर जिकजैक पब्लिक हेल्थ सेंटर के साथ जुड़ गए. इनकी पत्नी का नाम डिकांची डी. शिरा है.
मुकुल एम.संगमा का व्यक्तित्व
पेशे से चिकित्सक मुकुल संगमा पूर्वोत्तर राज्यों से संबंध रखते हैं. वह अपनी लोक कलाओं और संस्कृति को पहचान दिलाने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहते हैं. वह प्रगतिशील और व्यवहारिक सोच वाले मुख्यमंत्री हैं.
मुकुल संगमा का राजनैतिक सफर
वर्ष 1993 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर अम्पातिगिरी निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीतने के साथ मुकुल संगमा ने सक्रिय राजनीति की शुरुआत की. उन्हें मेघालय परिवहन निगम का अध्यक्ष बनाया गया. मुकुल संगमा आगामी तीन विधानसभा चुनावों (1998, 2003,2008) में भी इसी सीट से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की टिकट पर निर्वाचित हुए. वर्ष 2003 में मुख्यमंत्री डी.डी. लपांग के कार्यकाल के दौरान वह गृह और शिक्षा मंत्री बनाए गए. 2005 में उन्हें मेघालय का उपमुख्यमंत्री बनाया गया. लेकिन 20 सितंबर, 2005 को हुई गोली बारी में सीआरपीएफ जवानों द्वारा कई निर्दोष लोगों की जान चली गई. इस घटना ने संगमा से उनका मंत्री पद छीन लिया. वर्ष 2006 में वह दोबारा उपमंत्री बनाए गए. 10 अप्रैल, 2010 को जब मौजूदा मुख्यमंत्री डी.डी. लपांग ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया तब संगमा को मुख्यमंत्री पद प्रदान किया गया.
मुकुल संगमा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रतिनिधि होने के साथ-साथ समर्पित कार्यकर्ता भी हैं. वह सक्रिय तौर पर यूनिवर्सिटी चुनावों में चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा बनते रहते हैं. इसके अलावा वह समाज सेवा और युवाओं के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों में भी भागीदारी लेते हैं. मुख्य तौर पर वह अपने गृह नगर गारो हिल्स में समय-समय पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक और खेल-कूद सम्मेलनों में भी हिस्सा लेते हैं. मुकुल संगमा अपनी परंपराओं और संस्कृति को लेकर बेहद गंभीर हैं. वह लोक सशक्तिकरण की भी वकालत करते हैं.
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