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Mehbooba Mufti – पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती

mehbooba muftiमहबूबा मुफ्ती का जीवन परिचय

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की पुत्री और वर्तमान जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती सईद का जन्म 22 मई, 1959 को अनंतनाग, जम्मू कश्मीर में हुआ था. जम्मू-कश्मीर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1990 तक महबूबा मुफ्ती सईद पूरी तरह राजनीति से दूर रहीं. वह अपना सारा समय अपनी दोनों बेटियों की देखभाल करने में व्यतीत करती थीं. पति की पारिवारिक जिम्मेदारियों के प्रति अनदेखी और अत्याधिक राजनैतिक महत्वाकांक्षाएं होने के कारण महबूबा मुफ्ती का अपने पति से तलाक हो गया. जब महबूबा मुफ्ती राजनीति के क्षेत्र में आईं, तब उनके पूर्व पति ने उनके खिलाफ कई चुनावों में भाग लिया.


महबूबा मुफ्ती का व्यक्तित्व

महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर की प्रख्यात और लोकप्रिय महिला राजनेत्री हैं. पति से संबंध-विच्छेद होने के बाद उन्होंने अकेले अपनी दोनों बेटियों का पालन-पोषण किया, जो यह साबित करता है कि ना सिर्फ राजनैतिक क्षेत्र में बल्कि व्यक्तिगत जीवन में भी वह एक सशक्त और जिम्मेदार महिला हैं. एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ की बेटी होने के कारण उन्हें राजनीति की अच्छी समझ है. कश्मीर के वातावरण को सहज और प्रगतिशील बनाने के लिए वह लगातार प्रयत्नशील हैं.


महबूबा मुफ्ती का राजनैतिक सफर

परिवार में राजनीति का वातावरण होने के कारण महबूबा मुफ्ती का राजनीति से जुड़ाव बचपन में ही हो गया था. राजनीति में उनका प्रदार्पण भी अपेक्षित और सहज ही था. वर्ष 1996 के चुनावों में कांग्रेस की सदस्यता लेने के बाद बिज्बेहारा से जीत कर वह कश्मीर की सबसे लोकप्रिय नेता बन गई थीं. उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद, जो वर्ष 1987 में कांग्रेस और अपने पुराने प्रतिद्वंदी नेशनल कांफ्रेस में गठबंधन होने के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अलग हो गए थे, इन चुनावों के बाद वापस कांग्रेस में आ गए. जल्द ही महबूबा मुफ्ती राज्य विधानसभा में नेता विपक्ष के पद पर पहुंच गईं. उन्होंने इस भूमिका का निर्वहन भी बखूबी किया. तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला की सरकार को आड़े हाथों लेकर वह तीखेपन के साथ उनका विरोध करने लगीं. जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक पार्टी नाम से एक अलग राजनीतिक दल का गठन करने के लिए महबूबा मुफ्ती वर्ष 1999 में भारतीय नेशनल कांग्रेस से अलग हो गईं. पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद को अध्यक्ष बनाकर वह स्वयं इस दल की उपाध्यक्ष बनीं. वर्ष 1999 के संसदीय चुनावों में भाग लेने के लिए उन्होंने अपने राज्य विधानसभा के पद से इस्तीफा दे दिया. इस चुनाव में महबूबा मुफ्ती उमर अब्दुल्ला के हाथों पराजित हुईं. वर्ष 2002 में दक्षिण कश्मीर से राज्य विधानसभा चुनाव में रफी अहमद मीर को हरा वह पहलगाम सीट पर जीत गईं. वर्ष 2004 में महबूबा मुफ्ती कांग्रेस गठबंधन सरकार का हिस्सा बन लोकसभा चुनाव में पुनः जीत गईं. इसी दौरान उन्होंने एक प्रतिष्ठित नेता के रूप में अपनी पहचान साबित की. महबूबा मुफ्ती अनंतनाग निर्वाचन क्षेत्र से जीतने के बाद चौदहवीं लोकसभा की सदस्या रह चुकी हैं.


महबूबा मुफ्ती से जुड़े विवाद

महबूबा मुफ्ती के पिता मुफ्ती मोहम्द सईद जब देश के गृह-मंत्री थे तब उनकी दूसरी पुत्री रुबिया सईद का आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था, जिनकी मांग पर मुफ्ती मोहम्मद सईद ने बेटी को छुड़ाने के एवज में आठ आतंकवादियों को रिहा कर दिया था. इससे उनकी राजनैतिक और सामाजिक छवि प्रभावित हुई थी. महबूबा मुफ्ती से जुड़े कुछ मुख्य विवाद निम्नलिखित हैं:


  • महबूबा मुफ्ती की पार्टी ने कश्मीर का एक नक्शा जारी किया उसमें अक्साई चीन और कराकोरम जैसे लद्दाख के इलाकों को, जिस पर फिलहाल सन बासठ से चीन ने कब्जा किया हुआ है, बाकायदा चीन के राजकीय लाल रंग से और पाक अधिकृत कश्मीर को पाकिस्तानी झंडे के हरे रंग से दर्शाया गया है, जो आपत्तिजनक है. लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि उन्हें अपनी इस हरकत पर कोई अफसोस नहीं है.
  • महबूबा मुफ्ती को कई बार हिंदू विरोधी भावनाओं को भड़काने के लिए भी कई आरोपों का सामना करना पड़ा है.

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