“क्या कि आप माहवारी के खून से सना नैपकिन लेकर चलेंगे और किसी दोस्त के घर में जाएंगे? आप ऐसा नहीं करेंगे। क्या आपको लगता है कि भगवान के घर ऐसे जाना सम्मानजनक है? यही फर्क है। मुझे पूजा करने का अधिकार है, लेकिन अपवित्र करने का अधिकार नहीं है। यही फर्क है कि हमें इसे पहचानने और सम्मान करने की जरूरत है। ”
सबरीमाला मुद्दे पर केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी के का ये बयान सोशल मीडिया चर्चा का विषय बन रहा है। हालांकि, बाद में स्मृति ने बयान दिया कि उनकी बात को गलत तरीके से पेश किया गया। बहरहाल, ये पहला मौका नहीं है जब महिलाओं से जुड़े किसी मुद्दे पर किसी नेता ने ऐसा बयान दिया हो। एक नजर ऐसे ही बयानों पर।
मुलायम सिंह यादव
यौन शोषण के बढ़ते मामलों पर समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने एक रैली में कहा था, “जब लड़के और लड़कियों में कोई विवाद होता है तो लड़की बयान देती है कि लड़के ने मेरा रेप किया। इसके बाद बेचारे लड़के को फांसी की सजा सुना दी जाती है। रेप के लिए फांसी की सजा अनुचित है। लड़कों से गलती हो जाती है।”
शरद यादव
जेडीयू नेता शरद यादव ने बयान दिया था कि बेटियों की इज्जत से वोट की इज्जत बड़ी है, जिसके बाद सभी तरफ से इसका बयान का खंडन किया गया।
महिला आरक्षण विधेयक जब पहली बार संसद में रखा गया था तब उन्होंने कहा था कि, इस विधेयक के जरिए क्याे आप ‘परकटी महिलाओं’ को सदन में लाना चाहते हैं।
कैलाश विजयवर्गीय
बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था, महिलाओं को ऐसा श्रृंगार करना चाहिए, जिससे श्रद्धा पैदा हो, न कि उत्तेजना। कभी कभी महिलाएं ऐसा श्रृंगार करती हैं, जिससे उत्तेजित हो जाते हैं लोग। बेहतर हैं कि महिलाएं लक्ष्मण रेखा में रहें।
श्रीप्रकाश जायसवाल
बीजेपी नेता ने एक बार बयान दिया था कि ‘नई शादी का मजा ही कुछ और होता है और ये तो सब जानते हैं कि पुरानी बीवी में वो मजा नहीं रहता’।
मनोहर पर्रिकर
गोवा के मुख्यमंत्री और भारत के पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने हाल ही में लड़कियों के शराब पीने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा था- ‘मैं डरने लगा हूं क्योंकि अब तो लड़कियां भी शराब पीने लगी हैं, सहने की क्षमता खत्म हो रही है।’….Next
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