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एक पेन के लिए मोतीलाल नेहरू ने कर दी थी बेटे जवाहरलाल की पिटाई, जानें उनसे जुड़े दिलचस्प किस्से

‘मोतीलाल विलक्षण वकील थे। अपने जमाने के सबसे धनी लोगों में एक। अंग्रेज जज उनकी वाकपटुता और मुकदमों को पेश करने की उनकी खास शैली से प्रभावित रहते थे। शायद यही वजह थी कि उन्हें जल्दी और असरदार तरीके से सफलता मिली। उन दिनों भारत के किसी वकील को ग्रेट ब्रिटेन के प्रिवी काउंसिल में केस लड़ने के लिए शामिल किया जाना लगभग दुर्लभ था। लेकिन मोतीलाल ऐसे वकील बने, जो इसमें शामिल किए गए।’ भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी सद्शिवम ने मोतीलाल नेहरू के बारे में इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट के एक जर्नल में ये बातें लिखी हैं।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal6 Feb, 2019

 

 

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पिता सबसे ज्यादा चर्चित शख्सित में से एक रहे हैं। इनका जन्म 6 मई 1861 को उत्तर प्रदेश में हुआ था। मोतीलाल नेहरू के पिता दिल्ली मे एक पुलिस अधिकारी के रूप में काम करते थे लेकिन 1857 की क्रांति में उनकी नौकरी और प्रापर्टी सब छिन गई थी। इसके बाद मोतीलाल नेहरू ने सबकुछ हासिल करने के लिए बहुत मेहनत की। आज के दिन मोतीलाल नेहरू दुनिया को अलविदा कह गए थे। आइए, जानते हैं उनसे जुड़ी खास बातें।

 

20 हजार रुपयों में खरीदा था स्वराज भवन
1900 में मोतीलाल नेहरू ने इलाहाबाद में महमूद मंजिल नाम का लंबा चौड़ा भवन और इससे जुड़ी जमीन खरीदी। उस जमाने में उन्होंने इसे 20 हजार रुपयों में खरीदा। फिर सजाया संवारा। स्वराज भवन में 42 कमरे थे। बाद में करोड़ों की ये प्रापर्टी को उन्होंने 1920 के दशक में भारतीय कांग्रेस को दान दे दी।

 

 

जब पेन के लिए जवाहरलाल नेहरू की हुई थी पिटाई
मोती लाल नेहरू की दो शादियां हुई थीं। उनकी पहली पत्नी की मौत जल्दी हो गयी थी। उनसे मोतीलाल नेहरू को एक बेटा भी था। लेकिन वह भी असमय कम उम्र में मर गया। दूसरी बीवी से मोतीलाल नेहरू के एक बेटा और दो बेटियां हुईं। बेटे का नाम जवाहर और बेटियों का नाम विजय लक्ष्मी और कृष्णा था। जवाहर लाल नेहरु ने अपनी आत्मकथा में एक घटना का ज़िक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि उस समय के दूसरे वकीलों की तरह मेरे पिता जी का भी एक पढ़ने का कमरा था, जिसमें तमाम किताबें रखी हुई थीं। जवाहर लाल नेहरू को उस कमरे में जाना काफी पसंद था। अपने कई दोस्तों के साथ वे उस कमरे में अक्सर जाया करते थे। मोतालाल नेहरू मेज पर हमेशा दो पेन रखते थे। एक दिन जवाहर को एक पेन की ज़रूरत थी तो उन्होंने अपने पिता के कमरे से एक पेन ले लिया। उन्होंने सोचा कि पिता जी कभी भी दो पेन एकसाथ यूज नहीं करेंगे।

 

 

उस दिन शाम को अचानक शोरगुल मचना शुरू हो गया। सभी लोग डरे हुए थे। नौकर एक कमरे से दूसरे कमरे में पेन के लिये दौड़ रहे थे। मोती लाल नेहरू को पूरा यकीन था कि किसी ने उनकी कीमती कलम चुराई है। आखिरकार पेन जवाहर के कमरे में मिल गयी। पिता जी काफी गुस्से में थे कि मैने क्यों बिना पूछे पेन ले लिया। उन्होंने जवाहर को जमकर पीटा। जवाहर रोते हुए मां के पास भाग गए। इस दिन उन्होंने सबक सीखा कि हमेशा पिता जी की बात माननी है और कभी भी उनसे चालाकी नहीं दिखानी। लेकिन आगे वह लिखते हैं कि उसके बाद पिता के लिए जो उनका प्यार था उसमें डर भी शामिल हो गया…Next

 

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