मुंबई पुलिस आयुक्त राकेश मारिया का जिस हड़बड़ाहट में तबादला किया गया उससे कई प्रश्नो को जन्म दिया. प्रश्न मुंबई पुलिस के नए आयुक्त के रुप मेंं अहमद जावेद की नियुक्ति के ऊपर भी उठाया जा रहा है साथ ही लोगों की दिलचस्पी अहमद जावेद के व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी में भी जग उठी है. 1980 बैच के आईपीएस अधिकारी अहमद जावेद के बारे में कई किस्से प्रचलित है. आपको यह जानकर ताज्जुब हो सकता है कि अहमद जावेद अपनी तनख्वाह के रूप में प्रतिकात्मक तौर पर मात्र 1 रुपए लेते हैं.
अहमद जावेद का जन्म शाही परिवार में हुआ. दिल्ली के नामी सेंट स्टीफन्स कॉलेज से स्नातक जावेद को अपनी जिंदगी शाही अंदाज में ही जीना पसंद हैं. उन्हें बिलियर्ड्स खेलना पसंद है. कम ही लोग जानते हैं कि करीब 19 महीने पहले जब राकेश मारिया मुंबई के पुलिस आयुक्त चुने गए तब अहमद जावेद भी इस पद के प्रबल दावेदार थे लेकिन तब राकेश मारिया को मुंबई पुलिस का नेतृत्व करने का जिम्मा मिला जबकि अहमद जावेद को डीजी होमगार्ड बना दिया गया था. अब जब जावेद को मुंबई का पुलिस आयुक्त बनाया गया है, मारिया को डीजी होमगार्ड के रुप में पदोन्नति दी गई है. यानी दोनों के कार्य को अदल-बदल दिया गया है.
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अहमद जावेद मुंबई के अपराध दुनिया के लिए अजनबी नहीं है. उन्होंने मुंबई के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के तौर पर गेटवे ऑफ इंडिया और जावेरी बाजार में हुए बम धमाको को देखा. उन्होंने 1983 से 1985 तक राजधानी दिल्ली की पुलिस में भी अपनी सेवाएं दी. इस दौरान राजधानी ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगो को सहा.
अपनी लगभग पूरी तनख्वाह पुलिस फंड में जमा कराने वाले अहमद जावेद को महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक संजीव दयाल के करीबी बताया जाता है. माना जाता है कि सरकारी तबादलों में संजीव दयाल की काफी चलती है. मारिया और जावेद के कार्यभार के अदल-बदल ने मीडिया का ध्यान इसलिए भी खींचा क्योंकि मारिया बहुचर्चित शीना बोरा हत्या केस की खुद निगरानी कर रहे थे.
मुंबई पुलिस आयुक्त का कार्यभार संभालने के बाद अहमद जावेद ने कहा कि अब शीना बोरा मर्डर केस की और अधिक पेशेवर तरीके से जांच की जाएगी. जावेद के इस बयान का मीडिया द्वारा कई अर्थ निकाला जा रहा है. Next…
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