राजनीति में टकराव पुरानी बात है और यह आज भी क्रियाशील है. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी जो हमेशा ही किसी न किसी विवाद में घिरे रहते हैं एक और चुनौती उनके सामने आ खड़ी हुई है. आईपीएस संजीव भट्ट की पत्नी नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का विचार बना रही हैं. 20 साल पुराने मामले में जिस तरह के तेवर संजीव भट्ट के थे उनकी पत्नी के भी तेवर उनसे कुछ काम नहीं हैं. उनकी पत्नी भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरी नज़र आ रही हैं.
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भय विहीन राज्य बनाना है: पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट अपनी बयानबाजी में तल्ख तेवर अपना रही हैं. एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने यहां तक कह दिया कि गुजरात किसी एक की जागीर नहीं है जिसे वो पूरी तरह से अपनी सम्पति समझे और अपने अंदाज़ से उसे चलाए. गुजरात को एक भय विहीन राज्य बनाना भी उनकी टिप्पणी में शामिल था. जहां उन्होंने कहा कि गुजरात में पिछ्ले दस सालों से लोकतंत्र नहीं है, गुजरात में नफरत की राजनीति की जा रही है जो किसी खास समुदाय के विरूद्ध है और जो द्वन्द पैदा करने के अलावा और कुछ नहीं करती, इसी आग में गुजरात जल रहा है. राज्य की हालत ऐसी हो गई है कि एक ऑफिसर दूसरे ऑफिसर से नहीं मिल सकता, जासूसी का एक गंदा जाल फैला हुआ है, जिसके अंतर्गत सब के फोन टैप किए जाते हैं. स्वतंत्रता इतनी कम है कि कोई आसानी से किसी से मिल भी नहीं सकता.
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अखाड़े में नरेन्द्र मोदी: जहां अभी तक श्वेता भट्ट ने यह साफ तौर पर नहीं कहा है कि वो चुनाव या राजनीति में आ रही हैं पर खबरों की मानें तो यह कहा जा सकता है कि उन्होंने राजनीति में आने का मन बना लिया है. अभी तक यह भी खुलासा नहीं हुआ है कि वो किस पार्टी की तरफ से अपनी दावेदारी प्रस्तुत करेंगी पर यह आसानी से समझा जा सकता है कि वो मोदी के खिलाफ ही आएंगी. शायद यह मोदी के लिए एक और नई परेशानी का कारण होगा, जहां एक भावनात्मक पृष्ठभूमि तैयार हो रही है और जो शायद वोट के आंकड़ों में फर्क ला सकता है.
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