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Sharad Pawar – राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक शरद पवार

sharad pawarशरद पवार का जीवन-परिचय

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक और वर्तमान अध्यक्ष शरद पवार का जन्म 12 दिसंबर, 1940 को पुणे, महाराष्ट्र के बारामती ग्राम में हुआ था. शरद पवार का वास्तविक नाम शरतचंद्र गोविंदाराव पवार है. माता-पिता की ग्यारह संतानों में से एक शरद पवार एक औसत विद्यार्थी रहे. इनके पिता गोविंद राव पवार बारामती किसान सहकारी बैंक में कार्यरत थे और इनकी माता बारामती से दस किलोमीटर दूर एक पारिवारिक फार्म में काम करती थीं. शरद पवार के सभी भाई बहन अच्छी शिक्षा प्राप्त और पूरी तरह संपन्न हैं. ब्रिहन महाराष्ट्र कॉलेज ऑफ कॉमर्स से पढ़ाई करने के साथ-साथ शरद पवार राजनीति में भी अपनी भूमिका निभाने लगे थे. शरद पवार की पत्नी प्रतिभा और बेटी सुप्रिया हैं. इनकी बेटी भी राजनीति में सक्रिय हैं. शरद पवार के भतीजे अजीत पवार भी एक प्रतिष्ठित राजनीतिज्ञ हैं. शरद पवार के छोटे भाई प्रताप महाराष्ट्र में सकल नामक एक दैनिक समाचार पत्र चलाते हैं.


शरद पवार का कॅरियर

वर्ष 1956 में गोवा की स्वाधीनता के लिए चलाए जा रहे आंदोलन में भाग लेकर शरद पवार ने अपने राजनैतिक जीवन की शुरूआत की. यशवंतराव के मार्गदर्शन और देखरेख में शरद पवार ने कांग्रेस के टिकट पर पहली बार वर्ष 1967 में बारामती निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की. वर्ष 1978 में जब आपातकाल की वजह से इन्दिरा गांधी का विरोध जोरों पर था, तब कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद विपक्षी जनता पार्टी के साथ मिलकर शरद पवार ने प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम से एक अलग पार्टी का निर्माण किया. लेकिन जब वर्ष 1980 में इन्दिरा गांधी वापस सत्ता में लौटीं तब शरद पवार के इस दल को फरवरी 1980 में खारिज कर दिया गया. आगामी चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी ए.के. अंतुले ने जीतकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद को संभाला. पवार ने 1981 में कांग्रेस प्रेसीडेंसी पदभार को संभाल लिया. 1984 में बारामती निर्वाचन क्षेत्र से जीतने के बाद शरद पवार लोकसभा सदस्य बने. अगले वर्ष इसी निर्वाचन क्षेत्र से राज्य सभा चुनावों में जीतने के बाद शरद पवार ने लोकसभा पद से इस्तीफा दे दिया. वह विधानसभा में नेता विपक्ष बनाए गए. 1996 के लोकसभा चुनावों तक शरद पवार नेता विपक्ष रहे. 1996 के आम चुनावों में लोकसभा सदस्य बनने के बाद शरद पवार वापस राज्य राजनीति का हिस्सा नहीं बने. शरद पवार ने 1998 के मध्यावधि चुनावों में महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी को एक मजबूत स्थिति में पहुंचाया. 1999 में मेघालय के वर्तमान मुख्यमंत्री के साथ मिलकर शरद पवार ने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी की स्थापना की. इन चुनावों में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं हुआ, परिणामस्वरूप शरद पवार को महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन करना पड़ा. जिसके बाद विलासराव देशमुख को मुख्यमंत्री और छगन भुजबल को उपमुख्यमंत्री बनाया गया. वर्ष 2004 में लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद पवार ने मनमोहन सरकार में कृषि मंत्री का पद संभाला. 29 नवंबर, 2005 को शरद पवार भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष भी नियुक्त हुए. 2009 में शरद पवार मनमोहन सरकार के अंतर्गत कृषि और उपभोक्ता मामलों के साथ-साथ खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण के केंद्रीय मंत्री बनाए गए. 2010 में इंग्लैंड के डेविड मॉर्गन के बाद शरद पवार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के भी अध्यक्ष चयनित हुए.


शरद पवार से जुड़े विवाद

शरद पवार को अपने अब तक के राजनैतिक जीवन में विभिन्न आरोपों का सामना करना पड़ा है.


  • अब्दुल करीम तेलगी ने शरद पवार को लगभग 600 अरब रुपए के स्टैंप घोटाले का मास्टरमाइंड बताया था.

  • 2007 में गेहूं आयात में हुए हजारों करोड़ों की धांधली में बीजेपी ने तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार के इस्तीफे की मांग की.

  • वर्ष 2009 में चीनी और 2011 में प्याज के दामों को लेकर भी शरद पवार को आरोपों का सामना करना पड़ा. शरद पवार पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने आयातकर्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए इन खाद्य सामग्रियों की दामों में वृद्धि की है.

एंडोसल्फान जिसे विश्व के लगभग हर देश ने घातक मान लिया है, उसके विषय में शरद पवार के इस बयान से कि अभी तक इसके हानिकारक होने के प्रमाण नहीं मिले हैं, के बाद पूरे देश में उनकी काफी निंदा हुई. समाज सेवी अन्ना हजारे ने तो यह तक कह दिया है कि भ्रष्टाचार शरद पवार की रगों में बहता है.


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