इस देश में सियासत बहुत जर्बदस्त है. जो सड़क से लेकर संसद तक चलती है. आप घर से लेकर दफ्तर तक देख लीजिए, आपको ज्यादातर लोग सियासत करते दिख ही जाएंगे. सियासत की गहमागहमी के बीच राजनीति का एक किस्सा ऐसा है, जिसे बीते आज 50 साल से भी ज्यादा समय हो गया लेकिन उस पर चर्चा आज भी होती है.
1955 का ये किस्सा है जवाहरलाल नेहरू को मिले भारत रत्न पर
15 जुलाई 1955 को चाचा नेहरू भारत रत्न के सम्मान से नवाजे गए थे. उस समय राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने उन्हें सम्मानित किया था. लेकिन आपको सुनकर हैरानी होगी कि पंडित नेहरू ने खुद ही अपने नाम की सिफारिश की थी. नियम के अनुसार प्रधानमंत्री हर साल भारत रत्न के लिए राष्ट्रपति को कुछ प्रस्ताव भेजते हैं. राष्ट्रपति उसे फाइनल करते हैं और रत्न दिया जाता है.
आरटीआई से हुआ खुलासा
1955 में जब जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे, तो उन्हें कैसे भारत रत्न मिल सकता है? ये सवाल कई बार उठा है. इस बात का खुलासा हुआ आरटीआई में. जिसका जवाब मिला कि राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने खुद ही तय कर लिया कि नेहरू को रत्न मिलना चाहिए यानि नेहरू ने राजेन्द्र को अपना नाम सुझाया था. ऐसा ही कुछ इंदिरा गांधी के साथ भी हुआ जब 1971 में उन्हें भारत रत्न दिया गया.
भारत रत्न को मिलती है ये सुविधाएं
आरटीआई में इस किस्से का खुलासा होने के बाद से पंडित नेहरू का ये किस्सा एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. …Next
Read More :
तो क्या होता अगर ये नेता होते अभिनेता
Read Comments