उत्तर प्रदेश में सपा परिवार का आपसी विवाद जगजाहिर है। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच लंबे समय तक तनातनी रही। 2016 में सामने अाया यह विवाद लंबे समय तक सुर्खियों में रहा। आखिरकार इस लड़ाई में राजनीतिक जीत अखिलेश यादव की हुई और वे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। इसके बाद ऐसी खबरें आती रहीं कि शिवपाल नाराज चल रहे हैं। हालांकि, अखिलेश यादव ने हाल ही में कहा है कि परिवार के भीतर कोई लड़ाई नहीं है। हम लोग साथ हैं, होली में साथ थे, क्योंकि लड़ने के लिए कुछ नहीं बचा है। अब खबरें आ रही हैं कि शिवपाल और अखिलेश में कुछ शर्तों के साथ सुलह हो गई है। यह सुलह भी 2019 के आमचुनाव को ध्यान में रखते हुए देश की बड़ी राजनीतिक पार्टी ने करावाया है। आइये आपको बताते हैं पूरा मामला।
इस तालमेल के पीछे कांग्रेस के नेताओं का हाथ!
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और शिवपाल यादव पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करने पर राजी हो गए हैं। लोकसभा चुनाव से पहले इस तालमेल के पीछे कांग्रेस के नेताओं का हाथ बताया जा रहा है। खबरों की मानें, तो कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव को नाराज नहीं करना चाहती थी, इसीलिए कांग्रेस के आला नेताओं ने अखिलेश और शिवपाल के बीच मान-मनौव्वल का काम किया है। बताया यह भी जा रहा है कि ये सब राहुल गांधी की जानकारी में हुआ है।
कांग्रेस में जाना चाहते थे शिवपाल
खबरें हैं कि शिवपाल की कांग्रेस के नेताओं के साथ कई दौर की बैठक हुई, जिसके बाद कांग्रेस के नेताओं ने अखिलेश यादव से बात करके दोनों के बीच सुलह कराई। हालांकि, बताया जा रहा है कि शिवपाल यादव कांग्रेस में कुछ शर्तों के साथ जाना चाहते थे, जिसमें वे प्रदेश अध्यक्ष का पद मांग रहे थे। मगर कांग्रेस अखिलेश यादव की दोस्ती की कीमत पर ऐसा नहीं करना चाहती थी, जिसके बाद कांग्रेस ने तालमेल का रास्ता निकाला। खबरों की मानें, तो शिवपाल इस बात से ज्यादा दुखी थे कि पार्टी के भीतर उनका सम्मान कम हुआ है। हालांकि, अखिलेश ने बार-बार कहा कि वे उनके चाचा हैं, इसलिए वे उनका पूरा सम्मान करते हैं।
अखिलेश ने रखा केंद्र की राजनीति करने का प्रस्ताव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिवपाल को खुश करने के लिए ही रामगोपाल के खास माने जाने वाले नरेश अग्रवाल को सपा ने राज्यसभा का टिकट नहीं दिया था। शिवपाल पार्टी में कोई सम्मानजनक पद चाहते थे, जिसमें उन्होंने नेता विपक्ष का विकल्प रखा था, लेकिन अखिलेश इसके लिए तैयार नहीं हुए। अखिलेश ने शिवपाल के सामने केंद्र की राजनीति करने का प्रस्ताव रखा, जिसे शिवपाल ने भारी मन से मान लिया। अब ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवपाल यादव कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। अभी इस सीट पर डिंपल यादव सांसद हैं, जिनके बारे में अखिलेश कह चुके हैं कि वे अगला चुनाव नहीं लड़ेंगी…Next
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