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P A Sangma’s Profile: कौन हैं पी ए संगमा

Presidential Election 2012

पुर्नो अगिटोक संगमा कुछ दिन पहले तक भारतीय राजनीति में एक बेगाने किरदार थे लेकिन अचानक ही वह देश के राष्ट्रपति पद के लिए अहम उम्मीदवार बनकर उभरे हैं. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी ए संगमा को राष्ट्रपति चुनाव के लिए बीजेपी का समर्थन भी प्राप्त है.


कभी यूथ कांग्रेस की तरफ से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले पीए संगमा आज कांग्रेस के विरुद्ध ही मैदान में खड़े हैं. पीए संगमा ने अपने राजनीतिक सफर का आगाज कांग्रेस की युवा शाखा से किया, लेकिन बाद में विरोधी स्वर के चलते उन्हें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ जाना पड़ा.


P A Sangma’s Biogarphy: संगमा का परिचय

पुर्नो अगिटोक संगमा पूर्व में मेघालय के मुख्यमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष रह चुके हैं. संगमा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सह-संस्थापक हैं. वह आठ बार लोकसभा सदस्य भी रह चुके हैं.


पुर्नों अगिटोक संगमा का जीवन परिचय

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पुर्नो अगिटोक संगमा का जन्म 1 सितंबर, 1947 को पश्चिम गारो हिल्स, मेघालय के चपाथी ग्राम में हुआ था. सेंट एंथनी कॉलेज, शिलांग से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद पी.ए. संगमा ने असम के डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय संबंध में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने एल.एल.बी. की परीक्षा भी उत्तीर्ण की. इनके परिवार में पत्नी सोरडनी के. संगमा और चार बच्चे हैं. पी.ए. संगमा की पुत्री अगाथा संगमा उन्हीं के निर्वाचन क्षेत्र से वर्तमान लोकसभा की सदस्या हैं जिनके नाम पर भारत की लोकसभा की सबसे कम आयु वाली सदस्या बनने का भी रिकॉर्ड दर्ज है.


P A Sangma’s Political Profile: संगमा का राजनीतिक सफर

वर्ष 1973 में पी.ए. संगमा प्रदेश युवा कांग्रेस समिति के अध्यक्ष निर्वाचित हुए. कुछ समय बाद ही वह इस समिति के महासचिव नियुक्त किए गए. 1975 से 1980 तक पी.ए. संगमा प्रदेश कांग्रेस समिति के महासचिव रहे.


तुरा से पहली बार बने सांसद

वर्ष 1977 के लोकसभा चुनावों में पीए संगमा तुरा निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज करने के बाद पहली बार सांसद बने. चौदहवीं लोकसभा चुनावों तक वह इस पद पर लगातार जीतते रहे. हालांकि नौवीं लोकसभा में वह जीत दर्ज करने में असफल रहे.


सीएम और लोकसभा अध्यक्ष

वर्ष 1980-1988 तक पी.ए. संगमा केंद्रीय सरकार के अंतर्गत विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे. वर्ष 1988-1991 तक वह मेघालय के मुख्यमंत्री भी रहे. कांग्रेस में रहते हुए ही 1996 में वह दिन भी आया जब वह लोकसभा के अध्यक्ष के तौर पर चुने गए. उनके बोलने का ढंग ही वहां मौजूद सांसदों के चेहरों पर मुस्कान ला देता था.


कांग्रेस छोड़ थामा एनसीपी का हाथ

वर्ष 1999 में कांग्रेस से निष्कासित होने के बाद शरद पवार और तारिक अनवर के साथ मिलकर पी.ए. संगमा ने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी की स्थापना की.


राष्ट्रपति पद के लिए छोड़ी पार्टी

राष्ट्रपति चुनाव में खड़े होने के लिए पीए संगमा को कांग्रेस से इस्तीफा देना पड़ा. दरअसल पार्टी सुप्रीमो शरद यादव नहीं चाहते थे कि वह प्रणब दा को इस पद के लिए चुनौती दें. लिहाजा उन्होंने संगमा को ऐसा न करने की हिदायत भी दी थी. लेकिन अपने सपने सच करने के लिए उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देना ही उचित समझा.


एनडीए की मशक्कत

कड़ी मशक्कत के बाद एनडीए ने राष्ट्रपति पद के लिए पीए संगमा को अपने उम्मीदवार के रूप में घोषित किया. हालांकि संगमा के नाम पर एनडीए बंटा हुआ दिखाई दिया. जहां जदयू प्रणब को समर्थन देने के मूड में है वहीं भाजपा के ही अंदर प्रणब के नाम पर कुछ नेता खुलेआम उनके समर्थन का ऐलान कर चुके हैं.


संगमा पर पशोपेश में ममता

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भले ही संगमा के नाम का जिक्र नहीं किया हो लेकिन अब तक संगमा उनके समर्थन का भी इंतजार कर रहे हैं.


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