17वीं लोकसभा का पहला सत्र सोमवार से शुरू हो गया। इस सत्र में केंद्रीय बजट पारित करने के अलावा तीन तलाक जैसे अन्य महत्वपूर्ण विधेयक इसमें सरकार के एजेंडे में प्रमुख रहेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून को सभी दलों के प्रमुखों को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव के मुद्दे पर तथा अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया है। लोकसभा में इस बार कई नये चेहरे देखने को मिल रहे हैं, वहीं सांसद पद की शपथ लेने के दौरान भी भाजपा सांसदों द्वारा ‘जय श्री राम’ नारे लगाने की घटना अखबार की सुर्खियां बनीं। इसी तरह संसद सत्र के दौरान कई ऐसी खबरें आती हैं, जो चर्चा में रहती हैं। वहीं, कई बार ऐसा होता है कि किसी मुद्दे पर सांसदों के बीच बहस हो जाती है। कभी-कभी बहस इतनी बढ़ जाती है कि संसद की कार्यवाही स्थगित तक करनी पड़ती है। क्या आप जानते हैं संसद की कार्यवाही रोकने का क्या असर होता है? आइए, जानते हैं इससे जुड़े कुछ खास पहलू-
संसद सत्र के एक मिनट की कार्यवाही का खर्च लगभग 2.6 लाख रुपये का आता है। वर्ष 2014 के बाद सबसे कम काम 2016 शीतकालीन सत्र में हुआ था।इस सत्र में सांसदों ने लगभग 92 घंटे के काम में व्यवधान डाला, जिसके कुल खर्च का अनुमान लगाया जाये, तो वो 144 करोड़ रुपयों का होगा। सबसे हैरानी की बात ये है कि पिछले कई सालों की तुलना में 2016 में संसद की कार्यवाही सबसे ज्यादा बार स्थगित हुई है। हर सत्र में लगभग 18 या 20 दिन संसद की कार्यवाही चलती है। राज्यसभा में हर दिन पांच घंटे का और लोकसभा में छह घंटे का काम होता है।
इसके अलावा 2016 के आंकड़ों की बात करें तो…
पहले सत्र में हंगामे की वजह से 16 मिनट बर्बाद हुए, जिसकी वजह से 40 लाख का नुकसान हुआ, दूसरे सत्र में 13 घंटे 51 में 20 करोड़ 7 लाख का नुकसान, तीसरे सत्र में 3 घंटे, 28 मिनट कार्यवाही ठप्प में 5 करोड़ 20 लाख का नुकसान हुआ। चौथे सत्र में 7 घंटे, 4 मिनट की बर्बादी में 10 करोड़ 60 लाख रुपये का नुकसान, पांचवें सत्र में 119 घंटे बर्बाद यानि 178 करोड़ 50 लाख का नुकसान हुआ।
कई मौकों पर स्पीकर भी हो जाते हैं शर्मिदा
टीवी पर हंगामा देखकर आप बेशक चैनल बदल देते हैं, लेकिन संसद में बैठे स्पीकर के पास कोई विकल्प नहीं बचता। कई बार तो दूसरे देशों के प्रतिनिधियों के सामने ही सांसद अभद्र भाषा से लेकर कुर्सियों की उठा-पटक शुरू कर देते हैं, जिससे स्पीकर को हार मानकर कार्यवाही स्थगित करनी पड़ती है। जरा सोचिए, देश के अतिरिक्त व्यय में कटौती करके जिस तरह उम्मीदों का बजट पेश किया जाता है, वही सांसद बहस की वजह से स्थगित होने के दौरान कितना पैसा बर्बाद होता है।…Next
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