लोगों का मिज़ाज बदलने से समय और समाज बदलते है. जब लोगों का मिज़ाज बदलता है तो परिवर्तन तय मानी जाती है. इस परिवर्तन का नेतृत्व अभी नरेंद्र मोदी करते नजर आ रहे हैं.
परिवर्तन की चाह में प्रधानमंत्री मोदी ने सांसदों की कार्यशैली में बदलाव का आह्वान करते हुए अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में जयपुरा गाँव को अपने दत्तक के रूप में चुना है. दत्तक इसलिए, क्योंकि अब इस गाँव के उत्थान की जिम्मेदारी अंतत: प्रधानमंत्री के कंधों पर होगी.
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इस गाँव का ऐतिहासिक महत्तव भी है. कहा जा रहा है कि 17वीं शताब्दी में जब औरंगज़ेब के सैनिक मंदिरों को नष्ट कर रहे थे तो उन्हें इस गाँव में हनुमान जी का एक मंदिर मिला. लेकिन ग्रामीणों ने अपने गाँव की रक्षा करते हुए न सिर्फ इस मंदिर की रक्षा की बल्कि सैनिकों को दूर खदेड़ दिया यह मंदिर विशिष्ट माना जाता है क्योंकि यहाँ स्थापित हनुमान की मूर्ति काले रंग की है. इस कारण से इसे ‘काले हनुमान का मंदिर’ भी कहा जाता है.’
यह गाँव शिवपुरी ब्लॉक के अंतर्गत आता है जो ‘अपना दल’ के संस्थापक स्वर्गीय सोनेलाल पटेल से भी जुड़ा है. इस गाँव के लोग परिवार का पेट पालने के लिए महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में जाकर राजमिस्त्री का काम करते हैं.
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यहाँ गन्ने की खेती की जाती है जिसे ‘जयपुरिया गन्ना’ कहते हैं. यहाँ के खेतों में वर्ष भर जयपुरिया नाम का गन्ना उगाया जाता है जबकि देश के अधिकांश भाग में गन्ना मौसमी फसल है. किसान इस गन्ने को वाराणसी के अलावा पूर्वी बिहार में भेज कर पैसे कमाते हैं.
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