नवजोत सिंह सिद्धू एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने अपनी काबिलियत को हर फील्ड में साबित किया। क्रिकेट के मैदान से लेकर सियासी गलियारों तक उन्होंने अपनी धाक जमाई। क्रिकेट के मैदान पर कई यादगार पारियां खेलीं, तो राजनीति के मैदान पर कई बार ऐसी गुगली डाली कि सियासी पंडित भी चौंक गए। हालांकि, एक क्रिकेटर से सफल राजनेता बनने तक का सिद्धू पाजी का यह सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। आज यानी 20 अक्टूबर को इनका बर्थ-डे है। क्रिकेट में इनके कारनामे से तो आप वाकिफ होंगे ही। आइये आपको बताते हैं सिद्धू की सियासी पारी के बारे में, जो उन्होंने बीजेपी से शुरू की और फिलहाल पंजाब की कांग्रेस सरकार में मंत्री हैं।
सांसद बनते ही खुला पुराना मामला
नवजोत सिंह सिद्धू ने भाजपा के टिकट पर अमृतसर लोकसभा सीट से 2004 में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। मगर सांसद बनते ही एक पुराने मामले ने उनका दामन थाम लिया। दरअसल, 1988 में सिद्धू के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का एक मामला दर्ज हुआ था। उनके सांसद बनने के बाद यह केस फिर से खुल गया। दिसंबर 2006 में कोर्ट में उनके खिलाफ केस चला और मामले में उन्हें तीन साल कैद की सजा सुनाई गई। इस पर सिद्धू ने जनवरी 2007 में लोकसभा सांसद के पद से इस्तीफा देकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू की सजा पर रोक लगा दी। इसके बाद फरवरी 2007 में सिद्धू एक बार फिर अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और अच्छी जीत हासिल की। 2009 के लोकसभा चुनाव में भी सिद्धू ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को कांटे की टक्कर दी और चुनाव जीत लिया। मगर 2014 के लोकसभा चुनावों में सिद्धू को भाजपा ने अमृतसर से चुनाव नहीं लड़ने दिया गया। उनकी जगह पार्टी ने अरुण जेटली को उतारा। हालांकि, जेटली यह चुनाव हार गए।
नाराज सिद्धू ने छोड़ा भाजपा का साथ
अमृतसर से चुनाव न लड़ पाने की वजह से नवजोत सिंह सिद्धू काफी नाराज थे। इस बीच उनके भाजपा छोड़ने की खबरें आने लगीं। इसके बाद भाजपा ने अप्रैल 2016 में सिद्धू को राज्यसभा भेजा, लेकिन वे खुश नहीं थे। पंजाब विधानसभा चुनाव में भी पार्टी की ओर से नजरअंदाज किए जाने पर सिद्धू ने जुलाई 2016 में बीजेपी और राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। दअरसल, अमृतसर से लोकसभा चुनाव न लड़ पाने की सिद्धू की नाराजगी बनी रही। सिद्धू ने टिकट न मिलने को ही भाजपा छोड़ने की असल वजह भी बताई थी। भाजपा छोड़ने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी आवाज-ए-पंजाब लॉन्च की। इस दौरान चर्चा थी कि सिद्धू आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते हैं, लेकिन सारी अटकलों को गलत साबित करते हुए उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा।
कांग्रेस सरकार में बने मंत्री
सिद्धू ने जनवरी 2017 में कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन की। इसके बाद 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में उन्होंंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। इसमें सिद्धू ने 42,809 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। पंजाब में बनी कांग्रेस सरकार में शपथ लेने वाले नौ मंत्रियों की सूची में तीसरे नंबर पर सिद्धू का नाम था। फिलहाल सिद्धू पंजाब सरकार में मंत्री हैं और उनके पास पर्यटन, सांस्कृतिक कार्य सहित अन्य मंत्रालय हैं।
45 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति
संपत्ति के मामले में भी सिद्धू पाजी किसी से कम नहीं हैं। उनकी शानदार लाइफस्टाइल से सभी वाकिफ हैं। 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान सिद्धू ने अपनी कुल संपत्ति 45.91 करोड़ रुपये घोषित की थी। इसमें दो आवासीय प्लॉट, दो लैंड क्रूजर, उनकी कीमती घड़ियां आदि शामिल थीं। इस दौरान उन्होंने यह भी घोषित किया था कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में उनकी वार्षिक आय 9.66 करोड़ रुपये थी।
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राजनीति के मैदान पर सफल रहे सिद्धू, करोड़ों के हैं मालिक
नवजोत सिंह सिद्धू एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने अपनी काबिलियत को हर फील्ड में साबित किया। क्रिकेट के मैदान से लेकर सियासी गलियारों तक उन्होंने अपनी धाक जमाई। क्रिकेट के मैदान पर उन्होंने कई यादगार पारियां खेली, तो राजनीति के मैदान पर कई बार ऐसी गुगली डाली कि सियासी पंडित भी चौंक गए। हालांकि एक क्रिकेटर से सफल राजनेता बनने तक का सिद्धू पाजी का ये सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। आज यानी 20 अक्टूबर को इनका बर्थडे है। क्रिकेट में इनके कारनामे से तो आप वाकिफ होंगे ही। आइये आपको बताते हैं सिद्धू की सियासी पारी के बारे में, जो उन्होंने बीजेपी से शुरू की और फिलहाल पंजाब की कांग्रेस सरकार में मंत्री हैं।
सांसद बनते ही खुला पुराना मामला
नवजोत सिंह सिद्धू ने भाजपा के टिकट पर अमृतसर लोकसभा सीट से 2004 में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। मगर सांसद बनते ही एक पुराने मामले ने उनका दामन थाम लिया। दरअसल, 1988 में सिद्धू के खिलाफ एक शख्स की गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज हुआ था। उनके सांसद बनने के बाद यह केस फिर से खुल गया। दिसंबर 2006 में कोर्ट में उनके खिलाफ केस चला और इस मामले में उन्हें तीन साल कैद की सजा सुनाई गई। इस पर सिद्धू ने जनवरी 2007 में लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सिद्धू की सजा पर रोक लगा दी। इसके बाद फरवरी 2007 में सिद्धू एक बार फिर अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और अच्छी जीत हासिल की। 2009 के लोकसभा चुनाव में भी सिद्धू ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को कांटे की टक्कर दी और चुनाव जीत लिया। मगर 2014 के लोकसभा चुनावों में सिद्धू को भाजपा ने अमृतसर से चुनाव नहीं लड़ने दिया गया। उनकी जगह पार्टी ने अरुण जेटली को उतारा। हालांकि जेटली यह चुनाव चुनाव हार गए।
नाराज सिद्धू ने छोड़ी भाजपा
अमृतसर से चुनाव न लड़ पाने से नवजोत सिंह सिद्धू काफी नाराज थे। इस बीच उनके भाजपा छोड़ने की खबरें आने लगी। इसके बाद बीजेपी ने अप्रैल 206 में सिद्धू को राज्यसभा भेजा, लेकिन वे खुश नहीं थे। पंजाब विधानसभा चुनाव में भी भाजपा की ओर से उन्हें नजरअंदाज किए जाने पर सिद्धू ने जुलाई 2016 में बीजेपी और राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। दअरसल, अमृतसर से लोकसभा चुनाव ने लड़ पाने की सिद्धू की नाराजगी बनी रही । सिद्धू ने टिकट न मिलने को ही भाजपा छोड़ने की असल वजह भी बताई थी। भाजपा छोड़ने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी आवाज-ए-पंजाब लॉन्च की। इस दौरान चर्चा थी कि सिद्धू आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते हैं, लेकिन सारी अटकलों को गलत साबित करते हुए उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा।
कांग्रेस सरकार में बने मंत्री
सिद्धू ने जनवरी 2017 में कांग्रेस पार्टी की ज्वॉइन की। इसके बाद 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। इस में सिद्धू ने 42,809 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। इसके बाद पंजाब में बनी कांग्रेस सरकार में शपथ लेने वाले नौ मंत्रियों की सूची में तीसरे नंबर पर सिद्धू का नाम था। फिलहाल सिद्धू पंजाब सरकार में मंत्री हैं और उनके पास पर्यटन, सांस्कृतिक कार्य सहित अन्य मंत्रालय हैं।
45 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति
संपत्ति के मामले में भी सिद्धू पाजी किसी से कम नहीं हैं। उनकी शानदार लाइफस्टाइल तो सभी जानते हैं। जनवरी 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान सिद्धू ने अपनी कुल संपत्ति 45.91 करोड़ रुपये घोषित की थी। इसमें दो आवासीय प्लॉट, दो लैंड क्रूजर, उनकी कीमती घड़ियां आदि शामिल थीं। इस दौरान उन्होंने यह भी घोषित किया था कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में उनकी वार्षिक आय 9.66 करोड़ रुपये थी।
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