Menu
blogid : 321 postid : 1390231

कर्नाटक में सियासी घमासान तेज, विधायकों को इस वजह से लेनी पड़ी रिसॉर्ट में शरण

राजनीति के गलियारों में चुनाव के पहले और बाद में हमेशा सरगर्मियां तेज हो जाती हैं. ऐसे में सभी नेताओं की कोशिश होती है जीत हासिल करना क्योंकि नेता चाहें विकास के कितने ही भाषण दें या रैली निकाले लेकिन जनता जानती है कि सभी का लक्ष्य कुर्सी पर विराजमान होना ही है। कर्नाटक में कुछ ऐसी ही हलचल दिखाई दे रही है। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था। ये बात अलग है कि कांग्रेस और जेडीएस की तरफ से कहा गया कि बीजेपी स्थाई सरकार नहीं दे सकती है।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal17 Jan, 2019

 

 

इस बीच कांग्रेस और जेडीएस ने अपने विधायकों को किसी तरह के सेंध से बचाने के लिए रिसॉर्ट में रोका। लेकिन राज्यपाल वजुभाई वाला ने बी एस येदियुरप्पा को मौका दिया। ये बात अलग है कि येदियुरप्पा ने विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया।

 

किसके पास कितनी सीट
कर्नाटक विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 224 है। वहीं सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 113 का है. कांग्रेस-जेडीएस के पास 116 विधायक, बीएसपी के एक विधायक के समर्थन के साथ विधायकों की संख्या 117 है। कांग्रेस-जेडीएस के पास जादुई आंकड़े 113 से चार विधायक अधिक हैं। दो निर्दलीय विधायकों ने कुमारस्वामी सरकार से समर्थन लिया वापस लेकिन सरकार को इसका खतरा नहीं है। बीजेपी 104 विधायकों के साथ राज्य में सबसे बड़ी पार्टी है।

 

इस वजह से लेनी पड़ी रिसॉर्ट में शरण
कांग्रेस और जेडीएस के नेताओं को लगा कि अगर उनके विधायक खुले में घूमते हैं तो इस बात की ज्यादा संभावना है कि बीजेपी कहीं उनका शिकार न कर ले। कहने का अर्थ ये है कि धनबल या किसी और तरह से बीजेपी कुछ विधायकों को अपने पाले में न कर ले। उस शिकार से बचने के लिए शानदार रिसॉर्ट में कांग्रेस और जेडीएसे के एमएलए एक तरह से बंधक बने रहे। इस बीच कर्नाटक में सियासी संकट के संबंध में कांग्रेस विधानमंडल दल की बैठक 18 जनवरी को बुलाई गई है। अब देखना ये है कि बैठक से क्या नतीजा सामने आता है…Next

 

 

Read More :

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव : वोटिंग के बाद कुछ ऐसे बीता नेताओं का दिन, किसी ने बनाई जलेबी तो किसी की डोसा-सांभर पार्टी

मध्यप्रदेश चुनाव : चुनावी अखाड़े में आमने-सामने खड़े रिश्तेदार, कहीं चाचा-भतीजे तो कहीं समधी में टक्कर

इन घटनाओं के लिए हमेशा याद रखे जाएंगे वीपी सिंह, ऐसे गिरी थी इनकी सरकार

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh