‘पहले वो जनता के लिए जीरो बैलेंस पर अकाउंट खुलवाते हैं और फिर मार्केट से पैसा गायब कर देते हैं’. प्रधानमंदी मोदी की नोटबंदी योजना का अंत में चाहे कोई भी नतीजा निकले लेकिन अभी फिलहाल तो जनता का गुस्सा सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह ही निकल रहा है. लोग पुराने नोट वापसी के लिए बैंक जाने से पहले टिफिन और बोरिया-बिस्तर ले जाने का सुझाव देते दिख रहे हैं.
लेकिन नोटबंदी से जहां एक ओर जनता परेशान दिख रही है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो कभी बेशुमार कैश से ऐश किया करते थे. जिस हिसाब से ये लोग कभी खुलेआम पैसा उड़ाया करते थे, उसे देखकर कोई भी अंदाजा लगा सकता है कि देश का पैसा कहां-कहां बर्बाद किया जाता रहा है. अब नोट बैन के बाद से देशभर से मोटी रकम जलाने या गंगा में बहाने की खबरें आ रही है, जिसे सब काला धन का नाम दे रहे हैं, लेकिन बैन से पहले भी देश के पैसों को यूं ही पानी की तरह बहाया जाता था. जिसे देखकर किसी भी आम आदमी का खून खोलना लाजमी है. आइए, जानते हैं कैश पर ऐश करने वाले ऐसे ही नेताओं के बारे में.
‘दलित’ या ‘दौलत’ की बेटी
‘दलित की बेटी नोटों की माला पहनेंं, ये बात पीएम को हजम नहीं होती’ मायावती ने कुछ ऐसा ही बेतुका बयान देकर सोशल मीडिया पर अपना मजाक खुद बना दिया है. प्रधानमंत्री मोदी के ‘नोटों की माला’ वाले व्यंग्य पर मायावती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर अपनी भड़ास जमकर निकाली है. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी पर नजर डालें तो मायावती ने सिर्फ नोटों की माला ही नहीं बल्कि कैश पर जमकर ऐश की है.
उनके जन्मदिन को कोई कैसे भूल सकता है जब उन्होंने कालीदास मार्ग पर जन्मदिन बनाने के लिए करीब 2 करोड़ रुपए खर्च करवाकर सभागार बनवाया था. वहीं दूसरी ओर पार्टी के सभी नेतागणों और वीआईपी मेहमानों के लिए आलीशान केक मंगवाया गया था. जिस माला की बात की जा रही है वो हजार-हजार के नोटों की माला थी, जिसका वजन लगभग 72 किलो था. इसके अलावा अपनी सरकार के दौरान लखनऊ से नोएडा तक मायावती ने हाथी की बड़ी-बड़ी मूर्तियों के साथ अपने माता-पिता की मूर्तियों को बनवाकर करोड़ों रुपए बहाए थे.
दूसरी तरफ मायावती की सुरक्षा में करीब पचास गाड़ियां चलती थी और करीब चार सौ सुरक्षाकर्मी उनके काफिले में हुआ करते थे. सबसे खास बात ये है कि जब भी राजधानी की सड़क पर मायावती का काफिला निकलता था तो पहले सड़क पानी से धुलवाई जाती थी, फिर माया का काफिला अपने गंतव्य की ओर रवाना होता था. जब ये सब बातें हो ही चुकी है तो भला ‘विकीलीक्स’ के खुलासे को कोई कैसे भूल सकता है जिसमें मायावती ने अपनी मनपसंद सैंडिल मंगवाने के लिए चार्टेड प्लेन भेजा था जिसमें 10 लाख तक का खर्चा आया था.
यादव परिवार की नोटों की बारिश
बात रंगारंग कार्यक्रमों की हो और यादव परिवार की बात न हो, भला ये कैसे हो सकता है. सैफई महोत्सव की बात करें तो इस दौरान पूरे लखनऊ में दीवाली-सी रौनक देखने को मिलती है. वैसे तो हर साल सैफई महोत्सव में करोड़ों रुपए बर्बाद किए जाते हैं लेकिन साल 2014 में 100 करोड़ फूंक दिए जाने की खबर सामने आई थी. कहा जा रहा था कि सिर्फ डांसर्स और बॉलीवुड को बुलाने के लिए 16 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. आरटीआई के मुताबिक सीएम अखिलेश यादव ने 22 महीनों के दौरान अपने गांव सैफई की पचास से ज्यादा बार हवाई यात्राएं कीं.
महोत्सव के इन आठ दिनों के दौरान भी अखिलेश लगातार सरकारी जहाज से सैफई और लखनऊ आते जाते रहे. जिसमें करोड़ों रुपए का खर्चा आया. सैफई महोत्सव में व्यवस्था की भी खस्ता हालत देखने को मिली, जब पुलिसवाले भी डांसर्स के साथ मंच पर चढ़कर ठुमके लगाते हुए दिखाई दिए. ये उस वक्त की बात है जब देश मुजफ्फरनगर दंगों से जूझ रहा था और पीड़ित बेघर थे. दूसरी तरफ सरकार नोटों की बारिश कर रही थी, वो भी सिर्फ अपने घर में.
वो ‘आम’ से ‘खास’ बन गए, हम सिर्फ देखते रह गए
भ्रष्टाचार और लोकपाल बिल के मुद्दे से राजनीति में वाइल्ड कार्ड एंट्री लेकर आई, आम आदमी पार्टी ने शुरुआत में लोगों के दिलों पर राज करना शुरू कर दिया, लेकिन धीरे-धीरे ‘आम’ से ‘खास’ बनने की कवायद शुरू हो गई. हालांकि प्रत्यक्ष रूप से किसी नेता को पैसे बहाते नहीं देखा गया लेकिन जनता के पैसे अखबारों और टीवी विज्ञापनों की शोभा बढ़ाते हुए दिखाई दिए. वहीं दूसरी ओर हमेशा खुद को पैसों की कमी से जूझता हुआ बताती केजरीवाल सरकार, राजनीति करने वाले मुद्दे पर बड़े-बड़े मुआवजों का ऐलान कर देती और एमसीडी कर्मचारियों को सैलेरी देने के नाम पर सारा दोष केंद्र सरकार पर थोपती हुई नजर आती थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केजरीवाल सरकार ने विज्ञापनों पर महज 3 महीनों में 22 करोड़ रुपए खर्च किए थे.
सूटबूट और आलीशान कैम्पेन की बहार
मोदी का ड्रेसिंग सेंस हमेशा से राजनीति में एक नई हलचल मचाता रहा है. हर आयोजन पर मोदी के नए सूट-बूट को लेकर सोशल मीडिया पर भी चुटकी ली जाती है. वहीं साथ ही मोदी का नाम लिखा हुआ सूट जिसकी कीमत करोड़ों रुपए बताई जाती है उसपर भी बहुत बवाल देखने को मिला था. पार्टी चुनाव के वक्त अपने विज्ञापन कैम्पेन और रैलियों के लिए काफी खर्चा करती हुई दिखाई देती है. वहीं बीजेपी नेताओं का आलीशान लाइफस्टाइल कोई कैसे भूल सकता है.
मालामाल है ये हाथ
कांग्रेस कभी देश की सबसे बड़ी पार्टी मानी जाती थी, लेकिन बीते सालों में कांग्रेस की हार से क्रेज कम हो गया है. भारतीय राजनीति में दशकों तक राज करने वाली यूपीए सरकार के नाम कई घोटाले रहे. वहीं दूसरी तरफ अपने निजी फायदों के लिए भी पार्टी जनता और नेताओं के निशाने पर रही. कभी रोबोट वाड्रा को जमीन देने पर सारे नियम तांक पर रखे गए, तो कभी आयोजनों में पैसा जमकर बहाया गया. साथ ही वक्त-वक्त पर कई नेताओं की संपत्ति के खुलासे भी होते रहे.
जय हो ‘अम्मा’
कभी अभिनेत्री रही, तमिलनाडु की सीएम जयललिता को बेशक उनके समाज सेवा वाले कार्यों के लिए अम्मा कहा जाता है, लेकिन उनके नाम पर भी खूब पैसा बहाया जाता है. कभी वो जनता को मुफ्त उपहार बांटती हुई दिखाई दीं तो कभी आयोजनों में भी खूब पैसे खर्च किए गए. खासतौर पर जब जयललिता जेल और उसके बाद अस्पताल गई थी तो पूरे राज्य में उनके नाम पर हवन और पूजा करवाए गए थे, जिसमें करोड़ों रुपए हवनकुंड के हवाले कर दिए गए थे. वहीं उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनकी जेल से वापसी की खुशी में पूरे राज्य में दीवाली जैसा माहौल बना दिया था.
तो देखा आपने, एक तरफ जनता कैश की समस्या से जूझ रही है, वहीं कभी ये नेता कैश पर जमकर ऐश कर चुके हैं. अब ये कहना तो मुश्किल है कि ये पैसा कालाधन था या नहीं लेकिन पैसों की बर्बादी खूब हो चुकी है….Next
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