प्रतिभा देवी सिंह पाटिल का जीवन परिचय
स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल का जन्म 19 दिसंबर, 1934 को महाराष्ट्र के जलगांव जिले में हुआ था. इनके पिता का नाम नारायण राव था. प्रतिभा पाटिल की प्रारंभिक शिक्षा जलगांव में ही हुई थी. जलगांव के मूलजी जैठा कॉलेज से इन्होंने स्नातकोत्तर की पढ़ाई संपन्न की. इसके बाद प्रतिभा पाटिल ने मुंबई के गवर्मेंट लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई पूरी की. टेबल टेनिस की बेहतरीन खिलाड़ी प्रतिभा पाटिल एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता भी रही हैं. उन्होंने कई इंटर कॉलेज प्रतियोगिताओं में टेबल टेनिस के खेल में अपने संस्थान का नाम भी रोशन किया है. वह 1962 में कॉलेज क्वीन भी चुनी जा चुकी हैं. सन 1965 में प्रतिभा पाटिल का विवाह शिक्षाविद देवीसिंह रणसिंह शेखावत के साथ संपन्न हुआ. भारतीय परंपराओं का निर्वाह करते हुए उन्होंने अपने पिता के नाम को छोड़ अपने पति के नाम को अपना लिया और बाद में प्रतिभा देवीसिंह पाटिल के रूप में विख्यात हुईं.
प्रतिभा देवी सिंह पाटिल का व्यक्तित्व
साड़ी और बड़ी सी बिंदी लगाने वाली यह साधारण पहनावे वाली महिला राजनीति में आने से पहले सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रही थी. प्रतिभा पाटिल एक बेहद सम्माननीय महिला के तौर पर देखी जाती हैं. केवल इसीलिए नहीं कि वह भारत की राष्ट्रपति हैं. बल्कि इसीलिए क्योंकि देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने के बाद भी उन्होंने एक महिला होने के नाते अपनी गरिमा को बनाए रखा है. उनका व्यक्तित्व स्वयं ही एक शांत और निर्मल स्वभाव की महिला की पहचान है.
प्रतिभा पाटिल का राजनैतिक सफर
27 वर्ष की आयु में प्रतिभा पाटिल ने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की. 1962 में उन्होंने एदलाबाद क्षेत्र से विधानसभा (एसेंबली) के चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर विजय प्राप्त की. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन का प्रारंभ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के भूतपूर्व मुख्यमंत्री यशवंत राव चौहान की देखरेख में प्रारंभ किया. प्रतिभा पाटिल सन् 1962 से 1985 तक पांच बार महाराष्ट्र विधानसभा की सदस्य रहीं. कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाला. श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल प्रदेश कॉग्रेस समिति महाराष्ट्र की अध्यक्षा, राष्ट्रीय शहरी सहकारी बैंक एवं ऋण संस्थाओं की निदेशक, भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ की शासी परिषद की सदस्य रही हैं. प्रतिभा देवी सिंह पाटिल महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस की प्रमुख भी रह चुकी हैं. उन्हें दसवीं लोक सभा (संसद के निचले सदन) के लिए निर्वाचित किया गया और उन्होंने अध्यक्षा, सदन समिति, लोक सभा के रूप में भी कार्य किया. श्रीमती पाटिल को 2004 में राजस्थान की राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया. लेकिन जब उन्हें कॉग्रेस की ओर से राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया गया तब प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने 2007 में राज्यपाल के पद से इस्तीफा दे दिया. राष्ट्रपति पद के चुनाव में प्रतिभा पाटिल, भैरों सिंह शेखावत को लगभग तीन लाख मतों से हरा राष्ट्रपति चुन ली गईं.
प्रतिभा पाटिल की उपलब्धियां
प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने महिलाओं के कल्याण को प्रमुखता देते हुए मुम्बई, दिल्ली जैसे महानगरों में कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास की स्थापना करवाई. ग्रामीण युवाओं के लाभ हेतु जलगांव में इंजीनियरिंग कॉलेज के अलावा श्रम साधना न्यास की भी स्थापना की. इसके अलावा प्रतिभा देवी सिंह पाटिल की देख-रेख में महिला विकास महामण्डल, जलगांव में दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण विद्यालय और विमुक्त जमातियों तथा बंजारा जनजातियों के निर्धन बच्चों के लिए एक स्कूल की स्थापना करवाई गई.
प्रतिभा देवी सिंह पाटिल की विशेष रुचि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास और महिलाओं के कल्याण में है. इन्होंने जलगांव जिले में महिला होम गार्ड का आयोजन किया जिसकी वह स्वयं कमांडेंट भी रह चुकी हैं. वह राष्ट्रीय सहकारी शहरी बैंक और ऋण संस्थाओं की उपाध्यक्ष तथा बीस सूत्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति, महाराष्ट्र की अध्यक्षा थीं. प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने अमरावती में दृष्टिहीनों के लिए एक औद्योगिक प्रशिक्षण विद्यालय, निर्धन और जरूरतमंद महिलाओं के लिए सिलाई कक्षाओं, पिछड़े वर्गों और अन्य पिछड़े वर्गों के बच्चों के लिए नर्सरी स्कूल खोल कर उल्लेखनीय योगदान दिया तथा किसान विज्ञान केन्द्र, अमरावती में किसानों को फसल उगाने की नई एवं वैज्ञानिक तकनीकें सिखाने, संगीत और कम्प्यूटर की कक्षाएं भी आयोजित करवाईं.
प्रतिभा पाटिल से जुड़े कुछ विवाद
प्रतिभा पाटिल के साथ सबसे पहला विवाद तब जु़डा जब उन्होंने राजस्थान की एक सभा में कहा कि राजस्थान की महिलाओं को मुगलों से बचाने के लिए पर्दा प्रथा आरंभ हुई. इतिहासकारों ने कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए दावेदार प्रतिभा का इतिहास ज्ञान शून्य है. जबकि मुस्लिम लीग जैसे दलों ने भी इस बयान का विरोध किया. समाजवादी पार्टी ने कहा कि प्रतिभा पाटिल मुस्लिम विरोधी विचारधारा रखती हैं. दूसरे विवाद में वह तब घिरीं जब उन्होंने एक धार्मिक संगठन की सभा में अपने गुरू की आत्मा के साथ कथित संवाद की बात कही. प्रतिभा के पति देवी सिंह शेखावत पर स्कूली शिक्षक को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने का आरोप है. उन पर हत्या के आरोप में फंसे अपने भाई को बचाने के लिए अपनी राजनीतिक पहुंच का पूरा-पूरा इस्तेमाल करने का भी आरोप है. चीनी मिल कर्ज में घोटाले, इंजीनियरिंग कालेज फंड में घपले और उनके परिवार पर भूखंड हड़पने जैसे संगीन आरोप भी प्रतिभा पाटिल से जुड़े हुए हैं.
प्रतिभा देवी सिंह पाटिल का राष्ट्रपति पद तक का सफर यह साबित करता है कि स्त्रियां जब घर संभाल सकती हैं तो वह देश की जिम्मेदारी उठाने में भी सक्षम हैं. आज जब वह प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल बन सकती हैं तो राष्ट्रपति क्यों नहीं. बाल्यकाल से लेकर राष्ट्रपति भवन तक प्रतिभा पाटिल की यात्रा निश्चित रूप से एक प्रेरक प्रसंग है और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक आशा की किरण. भारतीय राजनीति के इतिहास में यह ऐतिहासिक घटना सचमुच उल्लेखनीय है.
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