वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी। निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने से पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। इससे पहले सीतारमण परंपरा तोड़ते हुए ब्रीफकेस की जगह एक फोल्डर में बजट लेकर निकलीं। अब तक वित्त मंत्री एक ब्रीफकेस में ही बजट लेकर संसद पहुंचते थे। मोदी सरकार 2.0 ने परम्परा को बदलकर एक नया ट्रेंड शुरू किया है। वहीं, बात करें बजट से जुड़े कुछ और दिलचस्प पहलू कि इतिहास में ऐसा वक्त भी रहा है, जब देश के प्रधानमंत्री ने बजट पेश किया है। आइए, एक नजर दिलचस्प पहलुओं पर-
पंडित जवाहरलाल नेहरू
इस लिस्ट में सबसे पहला नाम देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का है, जिन्होंने वित्त वर्ष 1958-59 का बजट पेश किया था। इस समय उनके पास वित्त मंत्री का पोर्टफोलियो था। इस बजट में नेहरू ने डायरेक्ट टैक्स के तहत पहली बार गिफ्ट पर टैक्स का प्रावधान पेश किया। इसे ‘गिफ्ट टैक्स’ कहा गया। 10 हजार रुपये से अधिक की संपत्ति के ट्रांसफर पर गिफ्ट टैक्स का प्रावधान किया गया। इसमें एक छूट यह भी थी कि पत्नी को 1 लाख रुपये तक के गिफ्ट देने पर टैक्स नहीं लगेगा। उस समय अमेरिका, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में इस तरह के टैक्स का प्रावधान था।
इंदिरा गांधी
इसके बाद दूसरा नाम आता है पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का। मोरारजी देसाई के इस्तीफे के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वित्त मंत्री का पोर्टफोलियो संभाला और वित्त वर्ष 1970-71 का बजट पेश किया। इस बजट में इंदिरा गांधी ने इनडायरेक्ट टैक्स में एक बड़ा फैसला किया, जिसके तहत सिगरेट पर ड्यूटी 3 फीसदी से बढ़ाकर सीधे 22 फीसदी कर दी गई। 28 फरवरी 1970 को बजट पेश करते हुए इंदिरा गांधी ने भाषण में कहा था कि इससे सरकार को 13.50 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी। इसके अलावा डायरेक्ट टैक्स में उन्होंने गिफ्ट टैक्स के लिए संपत्ति की वैल्यू की अधिकतम लिमिट 10,000 से घटाकर 5,000 रुपये कर दी। यानी 5,000 रुपये से अधिक की संपत्ति गिफ्ट करने पर उसे टैक्स के दायरे में लाया गया।
राजीव गांधी
इस लिस्ट में तीसरा नाम भी गांधी-नेहरू परिवार के सदस्य का ही है। तत्कालीन वित्त मंत्री वीपी सिंह के सरकार से बाहर होने के बाद राजीव गांधी ने वित्त मंत्री का पोर्टफोलियो संभाला और 1987-88 का बजट पेश किया था। राजीव ने इस बजट में पहली बार कॉरपोरेट टैक्स का प्रस्ताव पेश किया। इसे मिनिमम अल्टरनेट टैक्स के रूप में जाना जाता है। इस टैक्स के तहत कंपनी की तरफ से घोषित प्रॉफिट का 30 फीसदी टैक्स देने का प्रावधान किया गया। राजीव गांधी ने इससे 75 करोड़ रुपये अतिरिक्त रेवेन्यू हासिल होने का अनुमान लगाया। इसके अलावा विदेश यात्रा के लिए भारत में जारी वाले फॉरेन एक्सचेंज पर 15 फीसदी की दर से टैक्स लगाने का प्रावधान किया। इससे सरकार ने 60 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रेवेन्यू का अनुमान जताया था…Next
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