‘मेरे बारे में ये कहा जा रहा है कि मैंने चुनाव में किसी सीट पर लड़ने की बात की वजह नाराज होकर पार्टी छोड़ रहा हूं, जबकि ऐसा नहीं है। मैंने काफी सोच-समझकर फैसला लिया है। मैं अपनी लीगल प्रैक्टिस में दुबारा उतरना चाहता हूं और अपने लेखन पर ध्यान देना चाहता हूं।’ आशीष खेतान ने हाल ही में अपने फेसबुक से साबित कर दिया है कि वो पार्टी से दूर होकर अपने कॅरियर पर ध्यान देना चाहते हैं जबकि उनके इस फैसले से कई सवाल खड़े हो गए हैं। कई लोग कह रहे है कि पार्टी पतन की ओर है इसलिए खेतान वक्त से पहले पार्टी को छोड़ देना चाहते हैं।
एक हफ्ते के अंदर अरविंद केजरीवाल को ये दूसरा झटका लगा है। इससे पहले पत्रकार से नेता बने आशुतोष पार्टी छोड़ने का मन बना चुके हैं। फिलहाल, पार्टी ने उनके इस्तीफे को मंजूर नहीं किया है और उन्हें मनाने की कोशिशें की जा रही हैं। ‘आम आदमी पार्टी’ अन्ना आंदोलन के बाद अस्तित्व में आई और इसके बाद नाटकीय क्रम में केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव जीता, इस्तीफा दिया और फिर से ताबड़-तोड़ तरीके से दिल्ली की राजनीति में वापसे की, लेकिन इसके बाद पार्टी में तनाव की खबरें आने लगी और कई सदस्यों ने पार्टी छोड़ी तो किसी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा।
आइए, एक नजर डालते हैं।
कपिल मिश्रा
कभी पार्टी का अहम चेहरा रहे कपिल मिश्रा को 2 करोड़ की रिश्वत मामले में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। जल संसाधन मंत्री रहे कपिल को उनके पद से भी हटा दिया गया। इसके बाद कपिल मिश्रा ने बागी रवैया अपनाते हुए अरविंद केजरीवाल और आप के दूसरे सदस्यों की जमकर बुराई की थी।
योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण
योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी से निकाले जाने पर सभी हैरान थे। पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य योगेंद्र यादव ने 2014 लोकसभा चुनाव में लड़ा था लेकिन वो बुरी तरह हार गए। वहीं प्रशांत भूषन पार्टी के सह संस्थापक और हर मौके पर पार्टी के साथ खड़े रहने वाले सदस्य के रूप में शामिल थे। लेकिन दोनों ने पार्टी में आंतरिक गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। दोनों ने ‘स्वराज संवाद’ के तहत पार्टी के अंदर चल रही लोकतंत्र की कमी को सार्वजनिक किया। प्रशांत पर पार्टी के खिलाफ काम करने के आरोप लगे। अंत में दोनों को ‘घोर अनुशासनहीनता’ के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। वहीं 2015 में ही आनंद कुमार और अजीत झा को भी पार्टी से निकाल दिया गया।
अलग-अलग वजहों से इस्तीफा देने वाले नेता
वहीं 2015 के बाद से ‘आप’ के कई नेताओं ने अलग-अलग कारण बताते हुए पार्टी से किनारा कर लिया।इस्तीफा देने वाले नेताओं में ये खास नाम शामिल रहे। गुरप्रीत सिंह, विशाल डडलानी, मेधा पाटकर, विनोद कुमार बिन्नी, शाजिया इल्मी, जीआर गोपीनाथ, अंजलि दमानिया। इसी के साथ पार्टी में कुछ ऐसे भी नेता है, जिन्हें न पार्टी ने निकाला है और न ही उन्होंने इस्तीफा दिया है। कुमार विश्वास ऐसा ही एक नाम है लेकिन समय-समय पर उनकी ओर से किए गए व्यंग्य से पता चलता है कि वो पार्टी से काफी नाखुश हैं…Next
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