जनता को खुद से जोड़े रखने के लिए नेता उनके बीच जाकर कभी रोड़ शो करते हैं, तो कभी उनके घर में खाना-चाय पीते हैं। राजनीति की गलियारों में गरीबों की झोपड़ी में खाना खाने का चलन बहुत पुराना रहा है। हमेशा से इससे जुड़ी खबरें सामने आती रहती है। 2008 में राहुल गांधी ने भी एक बुंदेलखंड में एक झोपड़ी में भोजन किया था।
10 साल बाद मिला पक्का घर
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2008 में बुंदेलखंड के टीकमगढ़ में जिस आदिवासी महिला की झोपड़ी में भोजन किया था, उसे दस साल बाद अब जाकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का घर मिल पाया है। राहुल गांधी उस समय बांदा के माधोपुर गांव भी गये थे और इस गांव में बीमारी से जूझ रहे दलित समुदाय के अच्छे लाल से ‘अच्छे दिन’ का वादा किया था। अच्छे लाल को भी 9 साल के इंतजार के बाद दो साल पहले उत्तर प्रदेश की तत्कालीन सपा सरकार से लोहिया आवास योजना में पक्का घर मिल सका। राहुल ने हालांकि दोनों गांव को समस्याओं से मुक्त कराने का संकल्प लेते हुए इन गांव को गोद लिया था लेकिन दोनों गांव को मूलभूत सुविधाओं का अभी भी इंतजार है।
गांव गोद लेने के बाद भी नहीं बदली सूरत
राहुल, 2008 में गांव और किसान की समस्याओं को समझने के लिये इन दोनों गांव में गये थे। पहले उन्होंने टीकमगढ़ के टपरियन गांव में आदिवासी समुदाय की भुंअन बाई के घर भोजन कर गरीबी से जूझ रहे इस परिवार को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार बनने का वादा किया था। इसके बाद वह माधौपुर भी गये। टीकमगढ़ के टपरियन गांव में प्रवेश मार्ग पर एक बोर्ड लगा है, जिस पर लिखा है, ‘‘राहुल ग्राम टपरियन।’’ जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा इस गांव को गोद लेने की घोषणा करते इस बोर्ड की बदरंग हालत से गांव की बदहाली का सहज अंदाजा लग जाता है।…Next
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