Rajiv Gandhi
आज देश में कांग्रेस की हर तरह आलोचना हो रही है. हर दिन कई घोटाले सामने आ रहे हैं और इन सबके बीच कांग्रेस नेता यह मानने को तैयार ही नहीं कि उनकी पार्टी इसके लिए दोषी है. शायद कांग्रेस अपने युग पुरुष राजीव गांधी के कथनों को भूल गई है. लेकिन आज के दिन तो उन्हें किसी भी हालात में राजीव गांधी भूले नहीं होंगे क्यूंकि आज राजीव गांधी की जयंती है.
राजीव गांधी भारतीय राजनीति और कांग्रेस के इतिहास में ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने शायद सबसे पहले किसी सार्वजनिक मंच पर खुद सरकार में होते हुए सरकार में फैले भ्रष्टाचार पर अंगुली उठाई. देश में सरकारी घोटालों की असलियत को खुद अपने मुंह से स्वीकारने वाले युवा और कर्मठ नेता राजीव गांधी की आज जयंती है. आज चाहे कांग्रेस सरकार कितने ही घोटालों से घिरी हो लेकिन कांग्रेस के राज में कभी कमान राजीव गांधी जैसे नेता के हाथ में भी थी जिन्होंने अपने अल्पकाल के शासन में ही देश को ढेरों सपने दिखाए.
Rajiv Gandhiand his life
स्वर्गीय इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बेटे, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की आज 67वीं जयंती है. 20 अगस्त, 1944 को जन्में राजीव गांधी का पूरा नाम राजीव रत्न गांधी था. 3 जून, 1980 को राजीव के छोटे भाई संजय गांधी की दुर्घटना में मृत्यु हुई तब उन्होंने अपनी मां को सहयोग देने के लिए राजनीति में प्रवेश किया. वहीं 1984 में मां की हत्या ने उन्हें पूर्ण रूप से कांग्रेस के प्रति समर्पित नेता बना दिया.
कैसे हुआ राजीव गांधी और सोनिया गांधी का विवाह
राजीव गांधी ने कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज और लंदन के इम्पीरियल कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की थी.
विदेश प्रवास के दौरान ही 1965 में सोनिया माइनो से उनकी मुलाकात हुई जिनसे माइनो परिवार के शुरुआती विरोध के बावजूद उन्होंने 28 फरवरी, 1968 को विवाह किया। सोनिया माइनो (पूरा नाम एंटानियो एडविग एलबिना माइनो Antonia Edvige Albina Maino) को ही लोग सोनिया गांधी के नाम से आज जानते हैं. हालांकि सोनिया गांधी को इंदिरा गांधी भी ज्यादा पसंद नहीं करती थीं लेकिन बेटे संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी से विवाद के बाद इंदिरा गांधी को सोनिया गांधी की तरफ रहना ही सही लगा.
राजीव गांधी और बोफोर्स कांड
उनका शासन काल कई आरोपों से भी घिरा रहा जिसमें बोफोर्स घोटाला सबसे गंभीर था, बोफोर्स तोपों से जुड़ा था. कहा जाता है कि स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने भारतीय सेना को तोपें सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिये 80 लाख डालर की दलाली चुकाई थी. उस समय केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी और प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे. स्वीडन की रेडियो ने सबसे पहले 1987 में इसका खुलासा किया था.
राजीव गांधी का निधन
श्रीलंका में चल रहे लिट्टे और सिंघलियों के बीच युद्ध को शांत करने के लिए राजीव गांधी ने भारतीय सेना को श्रीलंका में तैनात कर दिया. जिसका प्रतिकार लिट्टे ने तमिलनाडु में चुनावी प्रचार के दौरान राजीव गांधी पर आत्मघाती हमला करवा कर लिया. 21 मई, 1991 को सुबह 10 बजे के करीब एक महिला राजीव गांधी से मिलने के लिए स्टेज तक गई और उनके पांव छूने के लिए जैसे ही झुकी उसके शरीर में लगा आरडीएक्स फट गया. इस हमले में राजीव गांधी की मौत हो गई.
यह था सफर भारतीय राजनीति से सबसे युवा प्रधानमंत्री और देश में संचार क्रांति के जनक राजीव गांधी के जीवन का. राजीव गांधी ने निर्विवाद रूप से एक आदर्श नेता की छवि प्रस्तुत की है जिसका देश सदैव ऋणी रहेगा.
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