Rajiv Gandhi Profile in Hindi
देश की राजनीति में गांधी परिवार का एक अहम रोल रहा है. गांधी परिवार को आज देश के राज परिवार के समान देखा जाता है जहां पैदा होने वाले हर बेटे को लोग देश का राजकुमार समझते हैं. ऐसे ही एक राजकुमार थे राजीव गांधी (Rajiv Gandhi). युवा भारत और संचार क्रांति के अग्रदूत के रूप में मशहूर राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की जिंदगी बेहद शालीन रही लेकिन उनकी मौत और मौत के बाद के बवाल ने कई बहसों को जन्म दिया.
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Rajiv Gandhi and his work
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) अपनी इच्छा के विपरीत राजनीति में आए थे. वह खुद राजनीति को भ्रष्टाचार से मुक्त करना चाहते थे लेकिन यह विडंबना ही है कि उन्हें भ्रष्टाचार की वजह से ही सबसे ज्यादा आलोचना झेलनी पड़ी.
उन्होंने देश में कई क्षेत्रों में नई पहल और शुरुआत की जिनमें संचार क्रांति और कंप्यूटर क्रांति, शिक्षा का प्रसार, 18 साल केयुवाओं को मताधिकार, पंचायती राज आदि शामिल हैं. राजीव ने कई साहसिक कदम उठाए जिनमें श्रीलंका में शांति सेना का भेजा जाना, असमसमझौता, पंजाब समझौता, मिजोरम समझौता आदि शामिल हैं.
Rajiv Gandhiin Politics
20 अगस्त, 1944 को जन्में इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी की सबसे बड़ी संतान राजीव गांधी ने माध्यमिक शिक्षा दून स्कूल से प्राप्त की. वहीं उनकी मुलाकात बॉलिवुड के महानायक अमिताभ बच्चन से हुई थी. राजीव राजनीति में कदम रखने के इच्छुक नहीं थे लेकिन छोटे भाई संजय गांधी की एक विमान दुर्घटना में असमय मौत के बाद परिस्थितियों से मजबूर होकर उन्होंने 11 मई, 1981 को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की और 15 जून, 1981 को उत्तर प्रदेश के अमेठी संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए जहां से मौजूदा समय में उनके पुत्र राहुल गांधी सांसद हैं.
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31 अक्टूबर, 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश की डांवाडोल होती राजनीतिक परिस्थितियों को संभालने के लिए उन्हें प्रधानमंत्री बनाया गया. उस समय कई लोगों ने उन्हें नौसिखिया भी कहा लेकिन जिस तरह से उन्होंने यह जिम्मेदारी निभाई उससे सभी अचंभित रह गए.
Rajiv Gandhi’s Death
अपने राजनीतिक फैसलों से कट्टरपंथियों को नाराज कर चुके राजीव पर श्रीलंका में सलामी गारद के निरीक्षण के वक्त हमला किया गया लेकिन वह बाल-बाल बच गए थे पर 1991 में ऐसा नहीं हो सका. 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेराम्बदूर में एक आत्मघाती हमले में वह मारे गए. उनके साथ 17 और लोगों की जान गई.
राजीव गांधी की देश सेवा को राष्ट्र ने उनके दुनिया से विदा होने के बाद स्वीकार करते हुए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जिसे सोनिया गांधी ने छह जुलाई, 1991 को अपने पति की ओर से ग्रहण किया.
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