जस्टिस दीपक मिश्रा का कार्यकाल बीते 2 अक्टूबर को खत्म हो गया। कई ऐतिहासिक फैसलों को करने के बाद दीपक मिश्रा का नाम सुर्खियों में रहा। उनका कार्यकाल काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। उनके खिलाफ महाभियोग लाने की कोशिश की गई। दूसरी तरफ़ कई जजों ने उनका विरोध भी किया। इन सबके बीच दीपक मिश्रा चीफ जस्टिस की जिम्मेदारी को बखूबी निभाते रहे। अब उनके बाद जस्टिस रंजन गोगोई ने बुधवार को देश के नए सीजेआई (चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यानी भारत के प्रधान न्यायाधीश) के तौर पर शपथ ली।
कौन हैं रंजन गोगोई
रंजन सीजेआई बनने वाले पूर्वोत्तर से पहले जज हैं। उनके पिता असम के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। जस्टिस गोगोई 28 फरवरी 2001 को गुवाहाटी हाई कोर्ट के जज बने थे और 23 अप्रैल 2012 को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में शपथ ली।
उनके नाम न कोई घर, कार और न कोई कर्ज
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज लंबे कार्यकाल के बावजूद इनकी निजी संपत्तियां मामूली ही बनी रहीं। कामयाब वरिष्ठ वकीलों के मुकाबले तो इनकी संपत्तियां कुछ भी नहीं हैं। अगर इनके बैंक बैलेंस में जीवनभर की बचत और दूसरी संपत्तियों को एक साथ करके भी देखें तो यह तमाम वरिष्ठ वकीलों की एक दिन की कमाई से भी कम होगी। जस्टिस गोगोई के पास सोने की एक भी जूलरी नहीं है, वहीं उनकी पत्नी के पास भी जो कुछ भी जूलरी हैं, वो शादी के वक्त उनके माता-पिता, रिश्तेदारों और दोस्तों की तरफ से भेंट में दी गई हैं। जस्टिस गोगोई के पास अपनी कोई व्यक्तिगत गाड़ी नहीं है शायद इसकी वजह उन्हें मिली सरकारी गाड़ी हो। जस्टिस गोगोई पर कोई कर्ज या दूसरी देनदारियां नहीं हैं, जस्टिस मिश्रा और जस्टिस गोगोई दोनों ने ही 2012 में अपनी संपत्तियों की घोषणा की थी।
शपथ घोषणा पत्र में बताई ये बातें
एलआईसी पॉलिसी समेत जस्टिस गोगोई और उनकी पत्नी के पास कुल मिलाकर 30 लाख रुपये बैंक बैलेंस है। जुलाई में उन्होंने शपथपत्र में घोषणा की थी कि उन्होंने गुवाहाटी के बेलटोला में हाई कोर्ट का जज बनने से पहल ही 1999 में एक प्लॉट खरीदा था। उन्होंने अपने घोषणापत्र में बताया है कि उस प्लॉट को उन्होंने जून में 65 लाख रुपये में बेच दिया था। उन्होंने खरीदार के नाम का भी जिक्र किया है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी मां ने जून 2015 में गुवाहाटी के नजदीक जैपोरिगोग गांव में जमीन का एक प्लॉट उनके और उनकी पत्नी के नाम ट्रांसफर किया था…Next
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