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रोहित शेखर मर्डर केस: खुद को एनडी तिवारी का बेटा साबित करने के लिए लड़ी थी लंबी कानूनी लड़ाई

जो इंसान किसी से नहीं हारता, वो अपने रिश्तों से हार जाता है। किसी ने सही ही कहा है। यूपी के पूर्व सीएम और कद्दावर नेता रहे नारायण दत्त तिवारी के बेटे रोहित शेखर की मौत को देखकर यही कहा जा सकता है। पहले खुद को एनडी तिवारी का बेटा साबित करने के लिए कानूनी लड़ाई और अब रिश्तों की कड़वाहट के बीच उनकी हत्या ऐसे दो पहलू रहे जो सभी के लिए हैरानी की वजह बने। रोहित शेखर की हत्या मामले में पत्नी अपूर्वा शुक्ला को दिल्ली क्राइम ब्रांच ने अरेस्ट कर लिया है। माना जा रहा है कि अपूर्वा के खिलाफ पुख्ता सबूत मिलने के बाद पुलिस ने गिरफ्तारी की। बताया जा रहा है कि हत्या वाली रात रोहित और अपूर्वा में झगड़ा हुआ था। सबूत मिटाने के लिए अपूर्वा ने मोबाइल फॉर्मेट भी किया था। बता दें कि 16 अप्रैल को रोहित अपने बंगले के कमरे में मृत पाए गए थे। पुलिस ने हत्या की पुष्टि के बाद कई घंटे तक उनकी पत्नी से पूछताछ की थी। ऐसे में रोहित की लंबी कानूनी लड़ाई की कहानी एक बार फिर लोगों के जहन में ताजा हो गई। एक नजर डालते हैं।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal25 Apr, 2019

 

 

2008 में रोहित ने किया केस
मामले की शुरुआत 2008 में हुई जब एनडी तिवारी के खिलाफ रोहित पहली बार अदालत की शरण में गए जहां उन्होंने दावा किया कि वो पूर्व कांग्रेस नेता और अपनी मां उज्जवला शर्मा के पुत्र हैं। तिवारी ने दिल्ली हाईकोर्ट में इस केस को खारिज करने की गुहार कोर्ट में लगाई लेकिन मार्च, 2010 में उसे खारिज कर दिया गया। हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर, 2010 को इस दावे की सच्चाई का पता लगाने के लिए डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया। हालांकि इसके लिए वो आसानी से राजी नहीं हुए। सुप्रीम कोर्ट में भी उन्होंने इसकी गुहार लगाई जहां से उन्हें निराशा हाथ लगी। एनडी तिवारी को कोर्ट की सख्ती के बाद 29 मई 2011 को डीएनए जांच के लिए अपना खून देना पड़ा। इस डीएनए जांच की रिपोर्ट 27 जुलाई 2012 को दिल्ली हाईकोर्ट में खोली गई। लेकिन तिवारी की ओर से कोर्ट में यह अपील भी दायर की गई कि रिपोर्ट को सार्वजनिक न की जाए, लेकिन कोर्ट ने उनकी यह अपील नहीं मानी और रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि तिवारी रोहित के जैविक पिता हैं और उज्जवला जैविक माता।
खास बात यह है कि जब तिवारी डीएनए टेस्ट देने से कतरा गए तो रोहित के कानूनी पिता बीएल शर्मा अपना डीएनए सैंपल 2010 में अदालत में देने को तैयार हो गए। जबकि शर्मा से उज्जवला पहले ही तलाक ले चुकी थीं। टेस्ट के नतीजे से प्रमाणित हो गया कि वे रोहित के पिता नहीं हैं।

 

 

2014 में रोहित को माना बेटा
कोर्ट की ओर से रोहित को एनडी तिवारी का जैविक पिता माने जाने के बाद उन्होंने इस मामले में मीडिया से उनकी निजता को बनाए रखने की गुजारिश की। 6 साल चले पितृत्व केस हारने के बाद 3 मार्च, 2014 को नारायण दत्त तिवारी ने रोहित शेखर को अपना बेटा स्वीकार कर लिया। तब उन्होंने कहा, ‘मैंने स्वीकार कर लिया है कि रोहित शेखर मेरा बेटा है। डीएनए रिपोर्ट ने भी यह साबित किया है कि वो मेरा जैविक बेटा है।’ इस पर उनके बेटे रोहित ने भी प्रतिक्रिया दी, ‘मैं अचंभित हूं कि एनडी तिवारी ने अंततः मुझे अपना बेटा स्वीकार लिया है।’

 

 

88 साल की उम्र में की शादी
लेकिन यह भी दीगर है कि उन्होंने रोहित को अपना बेटा तब माना जब हाईकोर्ट की ओर से मध्यस्थता की गुजारिश खारिज कर दी गई। साथ ही रोहित की मां उज्ज्वला शर्मा ने भी इस मामले में मध्यस्थता की गुजारिश को यह कहते हुए नकार दिया था कि यह उनकी प्रॉपर्टी से जुड़ा मामला नहीं बल्कि केवल इतना है कि रोहित उनका बेटा है। उज्ज्वला शर्मा ने कहा, ‘डीएनए रिपार्ट ने यह साबित कर दिया था कि वो ही रोहित के पिता हैं। वो तभी इस पर बीच का रास्ता निकाल सकते थे लेकिन वो कोर्ट चले गए। डीएनए रिपोर्ट आने के 2 साल के अंदर 14 मई, 2014 को एनडी तिवारी ने लखनऊ में रोहित की मां उज्ज्वला के साथ शादी कर ली। विवाह के समय उनकी उम्र 88 साल थी।…Next

 

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