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गोद लेने के बाद भी अनाथ ही हैं गांव, सांसदों की दिलचस्पी भी हो रही कम

ठंडी हवाएं, हरियाली और सादापन. ग्रामीण परिवेश की पहचान. आप में से कई लोग ग्रामीण परिवेश से होंगे या जिंदगी में कभी ना कभी किसी गांव में जरूर गए होंगे. गांव में ऐसी कई बातें हैं, जो आपको शहर से ज्यादा अच्छी लगती होगी. लेकिन गांव की तस्वीर का दूसरा पहलू ये है कि गांव में अगर सुकून हैं, तो सुविधाओं की कमी भी है, बल्कि देश में कई गांव ऐसे हैं, जहां मूलभूत जरूरतों का भी जबर्दस्त अभाव है.

इन गांवों को बेहतर बनाने के लिए 11 अक्टूबर, 2014 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्मदिन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसद ‘आदर्श ग्राम योजना’ की शुरुआत की थी. इस योजना के बाद से कई सांसदों ने गांव गोद लिए. कई गांवों के साथ सेलिब्रिटी नेताओं का नाम जुड़ने से, गांव सुर्खियों में आ गए थे. आदर्श ग्राम योजना को तीन साल होने को हैं, ऐसे में एक नजर डालते हैं योजना से जुड़े पहलुओं पर.

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क्या है सांसद आदर्श ग्राम योजना?

सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गांवों में विकास और बुनियादी ढांचे रखने हेतु सभी राजनीतिक दलों के सांसद को इस योजना के तहत गांव को गोद लेकर 2016 तक उसे आदर्श गांव बनाना है.


कौन से गांव गोद ले सकते हैं सांसद

कोई भी सांसद कोई भी ग्राम पंचायत का चुनाव कर सकता है, बस अपना और अपनी पत्नी का गांव छोड़कर. इसके अतिरिक्त ग्राम पंचायत की जनसंख्या 3000-5000 तक होनी चाहिए. वहीं पहाड़ी इलाकों के लिए 1000-3000 आबादी रखी गई है.


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योजना का उद्देश्य

‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण व्यवस्था में सुधार करना है. जिससे देश का हर गांव साख-सुविधाओं से परिपूर्ण हो सके. साथ ही गांव में जलपूर्ति, शिक्षा, स्वास्थय, साफ सफाई और अच्छे जीवन जीने के लिए गाइडलाइंस रखी गई है, ताकि गांव के हर युवा गांव में रहने के बावजूद अपनी सुविधाओं से वंचित ना रहें.

सांसद आदर्श ग्राम योजना का एक उद्देश्‍य सभी के लिए शिक्षा सुविधाएं, वयस्‍क साक्षरता, ई-साक्षरता सुलभ कराना भी है. शिक्षा के अलावा, इन गांवों में उच्‍च गुणवत्‍ता वाली स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं भी होगी. इससे शत-प्रतिशत टीकाकरण, शत-प्रतिशत संस्‍थागत डिलीवरी, आईएमआर तथा एमएमआर में कमी, बच्‍चों में कुपोषण की कमी की समस्‍या से निजात इत्‍यादि मिलना संभव हो पाएगा.


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इन गांवों को लिया है सेलिब्रिटी सांसदों ने गोद

नरेंद्र मोदी

पीएम ने तीन गांवों को गोद लिया. ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के तहत जयापुर और नागेपुर के बाद काशी विद्यापीठ ब्लॉक के ककरहिया गांव को पीएम मोदी ने चुना.

सचिन तेंदुलकर

राज्यसभा सांसद सचिन तेंदुलकर ने आंध्रप्रदेश के पुट्टमराजू केंद्रिगा के बाद सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत महाराष्ट्र में उस्मानाबाद के दोंजा गांव को गोद लिया. जिसके लिए सचिन ने सांसद कोष में से चार करोड़ रुपये गांव के विकास के लिए लगाने की पेशकश की.


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जया बच्चन

यूपी के भदोही जिले के एक गांव को अभिनेत्री और राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने विकास के लिए चुना.

प्रकाश जावडेकर

मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर पलदेव ग्राम पंचायत के बाद खुटिया गांव को गोद लिया था.


घट रही है सांसदों की दिलचस्पी

यह योजना 11 अक्टूबर को अपने तीन साल पूरे करेगी. लोकसभा के 85 फीसदी सांसदों ने इस योजना के तहत तीसरे चरण में कोई गांव गोद नहीं लिया. वहीं राज्यसभा में सांसदों को आंकड़ा 95 फीसदी का है. योजना के तहत 2019 तक अपने गोद लिए हुए गांवों को विकसित बनाना था.

ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पहले साल में जहां लोकसभा के कुल 543 सांसदों में से 500 सांसदों ने गांव गोद लिए, वहीं राज्य सभा में 250 में से 203 सांसदों ने गांवों का चयन किया. इनमें टीएमसी ही एक ऐसी पार्टी थी, जिसने इस योजना का विरोध करते हुए इसमें भाग नहीं लिया. जबकि कांग्रेस के सांसदों ने भी इस योजना में भागीदारी ली.

योजना के अगले साल ही सांसद आदर्श ग्राम योजना का सपना टूटता नजर आने लगा. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस योजना में दिलचस्पी ना दिखाने का कारण फंड की कमी भी है. उन्हें अपने सांसद विकास निधि फंड से ही इसमें पैसा देना होता है. सांसदों का कहना है कि सांसद विकास निधि फंड से आपको अपने इलाके में तमाम काम करने होते हैं. जो कि गांव की जरूरतों को देखते हुए बहुत कम है…Next


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