लोग चिल्लाते हैं रोते हैं पर राजनेताओं तक लोगों की चीख की आवाज नहीं पहुंचती है. पर जब राजनेताओं को देश की आम जनता की जरूरत होती है तो वे एक बार फिर राजनीति का खेल खेलना शुरू करते हैं. सोनिया गांधी(Sonia Gandhi)जिनका ध्यान अभी तक गुजरात पर लगा हुआ था अचानक उनको 30 दिन में 13 बलात्कार की याद क्यों आ गई? क्या सोनिया गांधी(Sonia Gandhi)को उन लोगों पर तरस आ गया जो अपनी बेटियों के साथ बलात्कार करने वालों के लिए मौत मांग रहे थे या फिर सोनिया(Sonia Gandhi)को याद आ गया कि यही वो मौका है जब लोगों की भावनाओं से जुड़ा जा सकता है ?
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क्यों भूलीं जायजा लेना ?
2014 के संसदीय चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में यूपीए गठबंधन की सरकार को जनता का खून चूसने वाली सत्ताधारी सरकार कहा जा रहा है. मंहगाई और भ्रष्टाचार ने जनता को उस रास्ते पर लाकर खड़ा कर दिया है जहां भारत की आम जनता भोजन की सुविधा भी नहीं जुटा पा रही है. मजदूर, जिसके परिवार में 12 सदस्य हैं और जो ब्लैक में 500 से लेकर 700 रुपए तक गैंस सिलिंडर खरीद लेता था वहीं अब उसे अपने घर में चूल्हा जलाने के लिए 1200 से 1300 रुपए खर्च करने होंगे. क्या ऐसे में सोनिया गांधी ने सोचा कि आम नागरिक कैसे भोजन की सुविधा को पूरा कर पाएगा और कैसे एक गरीब मजदूर अपने घर की गैस को जला पाएगा. शायद नहीं. तभी तो यूपीए गठबंधन का प्रहार आम जनता पर समाप्त नहीं हो रहा है और ऐसे में अचानक सोनिया गांधी(Sonia Gandhi)को हरियाणा में हुए बलात्कारों की याद आ रही है. यदि वास्तव में सोनिया गांधी को हरियाणा जैसे राज्यों की चिंता थी तो वह उस समय कहा थीं जब हरियाणा राज्य के हिसार में 12 युवकों ने एक दलित लड़की के साथ गैंग रेप किया. जब पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की तो लड़की के पिता ने खुदकुशी कर ली थी.
“हरियाणा में ही नहीं देश भर में बलात्कार”
सोनिया गांधी(Sonia Gandhi)के देरी से जायजा लेने की कहानी तो समझ में आती है कि यह वो समय है जब सोनिया गांधी 2014 के संसदीय चुनाव के लिए आम जनता का दिल जीत सकती हैं. पर सोनिया गांधी का यह कहना कि ‘हरियाणा में ही नहीं पूरे देश में बलात्कार हो रहे हैं’ उनकी संवेदनहीनता जाहिर करता है. यदि सोनिया गांधी(Sonia Gandhi)को यह बात याद है तो क्यों उन्होंने बलात्कार जैसे कुकर्म के लिए पूरे भारत में सशक्त कदम नहीं उठाए. हरियाणा में एक युवती के साथ पड़ोस के युवकों ने गैंग रेप किया था. वारदात के बाद लड़की ने खुदकुशी कर ली थी, इसी घटना पर अफसोस जताने के लिए सोनिया गांधी(Sonia Gandhi)हरियाणा पहुंचीं पर बड़े दुख की बात है कि सोनियां गांधी ने उस युवती के गैंग रेप पर 10 मिनट का अफसोस जताया और उसमें भी हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा का पक्ष लेती हुई नजर आईं और पक्ष लेने का यही कारण था कि हरियाणा मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा कांग्रेसी हैं और सोनिया गांधी के बहुत बड़े समर्थक हैं. क्या वास्तव में हरियाणा में 30 दिन में 13 बलात्कार के पीछे मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा की कोई गलती नहीं है. किसी भी राज्य में अगर ऐसी बलात्कार की घटनाएं सामने आती हैं तो उन घनाओं का अर्थ यही है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की हालत जर्जर है.
दामाद पर वार हुआ तो सहा नहीं गया
हाल ही में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा (Robert Vadra)पर अरविंद केजरीवाल ने अपना निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि एक बड़े रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ़ समूह ने गलत तरीकों से रॉबर्ट वाड्रा को 300 करोड़ रुपयों की संपत्तियां कौड़ियों के दामों में दे दीं थी. ऐसे में गुजरात में जीत हासिल करने का सपना लिए सोनिया गांधी अपना ध्यान सिर्फ गुजरात पर देना चाहती थीं पर फिर जब दामाद की बारी आई तो सोनिया गांधी को अपना ध्यान रॉबर्ट वाड्रा (Robert Vadra)विवाद पर देना पड़ा. जब हर तरफ सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के चर्चे होने लगे तो ऐसे में सोनिया गांधी जनता का समर्थन हासिल करने के लिए हरियाणा में बलात्कार की घटना का जायजा लेने पहुंचीं.
सच यह है कि कोई फर्क नहीं पड़ता है जनता रोती है रोए और चिल्लाती है तो चिल्लाए. राजनेताओं को फर्क पड़ता है सिर्फ इस बात से कि कहीं जनता उनकी पार्टी का साथ ना छोड़ दे क्योंकि राजनेता भी इस बात को जानते हैं कि यदि जनता किसी पार्टी से रूठ गई तो फिर उस पार्टी की हार को टालना नामुमकिन है.
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