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कभी सीएम की पत्नी के खिलाफ चुनाव लड़ने से धमेंद्र ने किया था इंकार, सांसद बनने के बाद राजनीति में आने का हुआ था अफसोस

चुनावी सरगर्मियों के बीच नेताओं से जुड़े ऐसे कई किस्से आ रहे हैं, जिन्हें सुनकर कई नई बातें सामने आ रही हैं। ऐसे में राजनीति में दिलचस्प रखने वाले लोगों को नेताओं से जुड़े राज पता चल रहे हैं।  इसी कड़ी में अभिनेता धर्मेंद्र सुर्खियों में है, इसकी वजह उनका चुनाव में उतरना नहीं बल्कि उनके बेटे सनी देओल है।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal13 May, 2019

 

 

दरअसल, धर्मेंद्र के बड़े बेटे सनी देओल बीजेपी के टिकट पर पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस के उम्मीदवार और बलराम जाखड़ के बेटे सुनील जाखड़ उम्मीदवार हैं। धर्मेंद्र ने कहा, ‘अगर पता होता कि गुरदासपुर में हमारे दोस्त बलराम जाखड़ के बेटे सुनील जाखड़ सनी के सामने चुनाव मैदान में हैं तो शायद सनी को यहां से चुनाव नहीं लड़वाता। हमने तो खुद उनके लिए चुनाव में कैम्पेन किया है।’
उनके इस बयान के बाद लोग उनके राजनीति जीवन के बारे में जानने के लिए दिलचस्पी लेने लगे हैं। आइए, एक नजर डालते हैं अतीत के उन पन्नों पर।

 

 

‘कलाकार को कभी राजनीति में नहीं आना चाहिए’
1991 में बलराम जाखड़ ने सीकर (राजस्थान) से चुनाव लड़ा था। उस वक्त उनके चुनाव प्रचार के लिए धर्मेंद्र भी सीकर आए थे। वहीं, साल 2004 में बीकानेर से सांसद रहे अभिनेता धर्मेंद्र के संसदीय कार्यकाल को बहुत उम्दा नहीं माना जा सकता। भारतीय जनता पार्टी के कैंपेन और अपनी और हेमा मालिनी की स्टार पॉवर के दम पर वो सांसद बन तो गए लेकिन इस दौरान उनका मन राजनीति में नहीं लगा। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक रशीद किदवई अपनी किताब ‘नेता अभिनेता’ में हेमा मालिनी और धर्मेंद्र के राजनीति कॅरियर पर गहरी दृष्टि डालते हैं और बताते हैं कि कैसे हेमा मालिनी एक बेहतर राजनीतिज्ञ साबित हुईं। दरअसल, धर्मेंद्र राजनीति से परेशान हो गए थे, 2008 में उन्होंने कहा था, “मैं ये बिल्कुल नहीं कहूंगा कि राजनीति में आना एक गलती थी। बस इतनी बात है कि एक कलाकार को हमेशा कलाकार रहना चाहिए क्योंकि जैसे ही आप राजनेता बनते हैं, लोगों का प्यार बंट जाता है। वो आपको एक अलग नजर से देखने लगते हैं।”

 

 

अमरिंदर सिंह की पत्नी के खिलाफ भी नहीं लड़ा था चुनाव
धमेंद्र के कहा कि ‘मैंने बीकानेर में पांच साल वह काम करके दिखाए जो पहले 50 साल में नहीं हुए थे। बीकानेर से चुनाव लड़ने से पहले भाजपा ने पटियाला से चुनाव लड़ने की पेशकश की थी, लेकिन मैंने देखा कि उस सीट पर कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर चुनाव लड़ रही हैं। वह उनका बहुत सम्मान करते हैं और परनीत कौर उनकी बहन की तरह है। इसलिए मैंने वहां से चुनाव लड़ने के लिए मना कर दिया।’…Next

 

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