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सहमति से समलैंगिक संबंध अब अपराध नहीं, जानें दुनिया के इन देशों में क्या है कानून

सुप्रीम कोर्ट ने सेक्शन 377 पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए देश में दो बालिगों के बीच समलैंगिक संबंध अब अपराध नहीं माना है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने एक मत से सुनाए गए फैसले में दो बालिगों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध मानने वाली धारा 377 के प्रावधान को खत्म कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को मनमाना करार देते हुए व्यक्तिगत चॉइस को सम्मान देने की बात कही।
कोर्ट ने अपने फैसले में सेक्शुअल ओरिएंटेशन बायलॉजिकल बताया है। कोर्ट का कहना है कि इस पर किसी भी तरह की रोक संवैधानिक अधिकार का हनन है। किसी भी सामान्य व्यक्ति की तरह एलजीबीटी कम्युनिटी के लोगों को भी उतने ही अधिकार हैं। एक-दूसरे के अधिकारों को सम्मान करना चाहिए।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal6 Sep, 2018

 

 

सहमति से सम्बध बनाना कोई अपराध नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 में दो बालिगों के बीच सहमति से समलैंगिक संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी साफ किया कि धारा 377 के तहत अब बिना सहमति के समलैंगिक संबंध बनाना अपराध होगा, लेकिन सहमति से संबंध अपराध नहीं।

क्या है धारा 377

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के मुताबिक कोई किसी पुरुष, स्त्री या पशुओं से प्रकृति की व्यवस्था के विरुद्ध संबंध बनाता है तो यह अपराध होगा। इस अपराध के लिए उसे उम्रकैद या 10 साल तक की कैद के साथ आर्थिक दंड का भागी होना पड़ेगा। सीधे शब्दों में कहें तो धारा-377 के मुताबिक अगर दो अडल्ट आपसी सहमति से भी समलैंगिक संबंध बनाते हैं तो वह अपराध होगा।

 

 

समलैंगिकता के पक्ष में क्या रही मजबूत दलीलें

सेक्सुअल नैतिकता को गलत तरीके से परिभाषित किया जा रहा है। जेंडर को सेक्सुअल ओरिएंटेशन के साथ मिक्स नहीं किया जा सकता। एलजीबीटी समुदाय के लोग समाज के दूसरे तबके की तरह ही हैं। सिर्फ उनका सेक्सुअल रुझान अलग है। ये सब पैदाइशी है। ये मामला जीन से संबंधित है और ये सब प्राकृतिक है, जिसने ऐसा रुझान दिया है। इसका लिंग से कोई लेना देना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट को सिर्फ सेक्सुअल ओरिएंटेशन को डील करना चाहिए, जो पैदाइशी है। सेक्सुअल ओरिएंटेशन बेडरूम से संबंधित है।

इन देशों में क्या है कानून

इन देशों में समलैंगिक सम्बधों पर मौत की सजा
ईरान, सूडान, सऊदी अरब और यमन, सोमालिया के कुछ हिस्से और उत्तरी नाइजीरिया में शरिया कानून के तहत समलैंगिकता के मामले में मौत की सजा दी जाती है।
मॉरिशानिया, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कतर और संयुक्त अरब अमीरात में भी सैद्धांतिक रूप से समलैंगिकता के मामले में मौत की सजा का प्रावधान है लेकिन वहां अब तक इस कानून पर अमल की रिपोर्ट नहीं आई है।

 

 

इन देशों में समलैंगिक सम्बध अपराध नहीं
दिसंबर 2017 में ऑस्ट्रेलिया दुनिया का 26वां देश बन गया जिसने सेम सेक्स मैरिज को कानूनी बनाया है। जर्मनी में भी पिछले साल कानून बदलकर समलैंगिकता को कानूनी बनाया गया है। माल्टा, बरमुडा और फिनलैंड में भी समलैंगिक आपस में शादी कर सकते हैं। आस्ट्रिया की हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि समलैंगिक 2019 से शादी कर सकते हैं। मध्य और पूर्वी यूरोप के ज्यादातर देशों में इसे कानूनी दर्जा नहीं दिया गया है।

इन देशों में समलैंगिता को बढ़ावा देना अपराध

इसके अलावा कई देश ऐसे हैं, जहां समलैंगिता पर कानून पर बहस चलती रहते है। रूस के गे प्रॉपेगैंडा कानून में सिर्फ नाबालिगों के बीच समलैंगिकता को बढ़ावा देने पर रोक है लेकिन इस कानून का दुरुपयोग किया जाता है।
इंडोनेशिया की संसद समलैंगिक संबंध समेत विवाहेतर संबंध को अवैध बनाने पर गौर कर रही है। इसके तहत पांच सालों तक की सजा हो सकती है…Next

 

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