साउथ इंडिया के मशहूर एक्टर कमल हासन अब सियासी पारी खेलने को तैयार हैं। बुधवार को वे अपनी नई राजनीतिक पार्टी का एलान करेंगे। पार्टी का एलान करने से पहले कमल पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के आवास पर गए और उनके परिवार के सदस्यों से बातचीत की। रामेश्वरम स्थित कलाम के आवास पर पहुंचे हासन का दिवंगत राष्ट्रपति के परिजन ने गर्मजोशी से स्वागत किया। दक्षिण भारत में फिल्मों की दुनिया से सियासत में आने वाले कमल हासन अकेले नहीं हैं। तमिलनाडु में ऐसी परंपरा पुरानी है, जब फिल्मी सितारों ने सियासत की ओर रुख किया और सत्ता के शीर्ष तक भी पहुंचे। आइये आपको तमिलनाडु के ऐसे ही राजनेताओं के बारे में बताते हैं, जिन्होंने अपना सफर फिल्मों से शुरू किया और बाद में सियासत में कूद पड़े।
सीएन अन्नादुरई
तमिलनाडु की राजनीति में फिल्मी घालमेल करने का श्रेय सीएन अन्नादुरई को जाता है। वे मूलत: फिल्मों और नाटकों की पटकथा लिखा करते थे। राज्य में 1925 में पेरियार ईवी रामासामी ने जब निचली जातियों को समाज में बराबरी का हक दिलाने के लिए ‘आत्मसम्मान आंदोलन’ शुरू किया, तो अन्नादुरई भी इससे जुड़ गए। पेरियार ने 1944 में ‘द्रविड़ार कड़गम’ की स्थापना की। पांच साल बाद ही 1949 में द्रविड़ार कड़गम दो फाड़ हो गई। इस विभाजन की पटकथा लिखने वाले भी अन्नादुरई ही थे। अन्नादुरई अब ‘द्रविड़ मुनेत्र कड़गम’ (डीएमके) नाम के एक अलग दल के मुखिया बन चुके थे। अन्नादुरई आम जनमानस पर फिल्म और फिल्मी किरदारों के असर को पढ़ चुके थे, इसलिए उन्होंने धीरे-धीरे कई फिल्मी हस्तियों को अपने साथ जोड़ा। इनमें रामास्वामी के अलावा, एनएस कृष्णन, एमआर राधा, शिवाजी गणेशन, एसएस राजेंद्रन, एमजी रामचंद्रन और एम करुणानिधि प्रमुख थे। इसका असर भी हुआ और डीएमके ने (जो 1957 से ही विधानसभा के चुनाव में हिस्सा लेने लगी थी) 1967 में 234 में से 138 सीटें जीतकर राज्य में सरकार बना ली। अन्नादुरई मुख्यमंत्री बने।
एम करुणानिधि
अन्नादुरई मुख्यमंत्री के तौर पर ज्यादा काम नहीं कर सके और फरवरी 1969 में उनका निधन हो गया। उनके निधन के बाद डीएमके की कमान तमिल सिनेमा के एक और बड़े पटकथा-संवाद लेखक तथा कवि एम करुणानिधि के हाथ में आ गई। राज्य के मुख्यमंत्री का पद भी उन्हीं के खाते में गया और पार्टी के खातों की देख-रेख का काम बतौर कोषाध्यक्ष उस दौर के लोकप्रिय अभिनेता एमजीआर के हिस्से में आया। 1971 में लगातार दूसरी बार डीएमके भारी बहुमत से सत्ता में लौटी और करुणानिधि फिर मुख्यमंत्री बने। जल्द ही उन पर पार्टी के वैचारिक धरातल से हटने और भ्रष्ट आचरण के आरोप लगने लगे। इस पर उनका पार्टी के दूसरे सबसे ताकतवर शख्स एमजीआर से मनमुटाव भी बढ़ने लगा।
एमजी रामाचंद्रन
करुणानिधि और एमजीआर के बीच तकरार इतनी बढ़ी कि दोनों का साथ चलना मुश्किल हो गया। आखिरकार करुणानिधि ने एमजीआर को पार्टी से निकाल दिया। इसके बाद 1972 में एमजीआर ने अलग पार्टी (अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, जो बाद में अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम कहलाने लगी) बना ली। एमजीआर के नाम से मशहूर एमजी रामाचंद्रन साउथ की फिल्म इंडस्ट्री में बेहद लोकप्रिय अभिनेता थे। एमजीआर 1977 से लेकर 1987 तक तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। वे जितने लोकप्रिय अभिनेता थे, उतने ही लोकप्रिय राजनेता भी थे। उन्हें 1988 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। एमजीआर ने साउथ की कई फिल्मों में बतौर अभिनेता मुख्य किरदार निभाया है। उन्हें 1971 में ‘रिक्शावकरन’ फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का नेशनल अवॉर्ड दिया गया था।
वीएन जानकी
तमिल फिल्म जगत में वीएन जानकी के नाम से मशहूर, अभिनेत्री जानकी रामाचंद्रन ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद पर 23 दिन काम किया। जानकी अपने पति और मुख्यमंत्री एमजीआर की मृत्यु के बाद 23 जनवरी 1988 को मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन 30 जनवरी को उनकी सरकार गिर गई। जानकी साउथ की फिल्म इंडस्ट्री में एक सफल अभिनेत्री थीं। उन्होंने 25 से अधिक फिल्मों में बतौर अभिनेत्री काम किया है। एमजीआर के साथ भी उन्होंने कई फिल्में की थीं। हालांकि सूबे की सियासत में वे बहुत सफल नहीं रहीं।
जयललिता
अम्मा के नाम से मशहूर जयललिता तमिलनाडु की सियासत में सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक थीं। जयललिता पांच बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं। राजनीति में आने से पहले अम्मा बतौर अभिनेत्री फिल्मों में काम करती थीं। तमिल सिनेमा में उन्होंने जाने-माने निर्देशक श्रीधर की फिल्म ‘वेन्नीरादई’ से अपना कॅरियर शुरू किया और लगभग 300 फिल्मों में काम किया। उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगु, कन्नड़, अंग्रेजी और हिन्दी फिल्मों में भी काम किया था। धर्मेंद्र सहित कई अभिनेताओं के साथ काम किया, लेकिन उनकी ज्यादातर फिल्में शिवाजी गणेशन और एमजी रामचंद्रन के साथ ही आईं…Next
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