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समाजवादी पार्टी की महाभारत में चल रही है रामायण, ये है ‘मंथरा’… इस वजह से ले रही है बदला

कलयुग में सियासी महाभारत का मजा लोग चाय की चुसकियों के साथ लेते हुए दिख रहे हैं. समाजवादी पार्टी से ‘समाजवाद’ शब्द कहीं गायब होता देखकर, असली महाभारत का वो श्राप एक बार फिर से याद रहा है जिसमें ‘यादव-यादव भाई आपस में लड़कर कुल के विनाश का कारण बनेंगे’  टाइप वाली बात कही गई थी. अब कुल का तो पता नहीं, लेकिन लगता है इस ‘कहानी घर-घर की’ टाइप ड्रामे में पार्टी का नाश जरूर पीट जाएगा. सपा के फैमिली ड्रामे को आज की महाभारत बेशक कहा जा रहा है. लेकिन इस महाभारत में एक रामायण भी छुपी हुई है, जिसमें ज्यादातर चरित्र राज्य/कुर्सी हथियाने का मोह लिए फिर रहे हैं.


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उसका ‘बदलापुर’.


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बस, इसी साल पार्टी में 6 साल बाद वापसी कर चुके अमर सिंह को इस महाभारत की मंथरा कहा जा रहा है. वैसे तो अमर सिंह पर ‘घर तोड़ने वाली सीरियल टाइप खलनायिका’ का लेबल बहुत पहले ही लगता आ रहा है. लेकिन इस बार बात उत्तर प्रदेश चुनाव की है. चुनावी दंगल से पहले पारिवारिक महाभारत किसी को समझ नहीं आ रही. अखिलेश तो कह ही चुके हैं ‘नेताजी समझ नहीं रहे हैं, अमर अंकल घर तोड़ रहे हैं’. लेकिन उधर मुलायम सिंह अमर सिंह से अपना याराना निभाने के मूड में दिख रहे हैं. मजाल है, भाई शिवपाल और अमर सिंह को अखिलेश कुछ कह जाए. बहरहाल, डालते हैं एक नजर कि आखिर अमर सिंह को कलियुगी महाभारत की मंथरा क्यों माना जा रहा है.


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अमर सिंह की पार्टी से शुरू हुआ बवाल

वैसे तो समाजवादी परिवार में बंटवारे की नींव जून महीने में ही पड़ गई थी. जब अखिलेश की मर्जी के खिलाफ जाकर शिवपाल ने बाहुबली मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का विलय कराया था, लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश को ये बात खटक गई और उन्होंने इस विलय का विरोध किया और विलय रद्द करा दिया गया. इसके बाद ये ही चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश के बीच मनमुटाव का सिलसिला जारी हो गया और इसके बाद से ही समाजवादी परिवार दो धड़ो में बंट गया. इसके बाद से ही परिवार में अंदर ही अंदर रूठने-मनाने से लेकर शीतयुद्ध चलता रहा. जिसे हवा दी अमर सिंह की दिल्ली में आयोजित पार्टी ने. अखिलेश यादव ने अमर सिंह की जिस पार्टी के बाद से बवाल की बात कही है, वो पार्टी अमर सिंह ने 11 सितंबर की रात को दिल्ली में दी थी. उस पार्टी में बुलावे के बावजूद अखिलेश यादव नहीं आये थे. लेकिन उनके पिता और चाचा उस पार्टी में शिरकत करते हुए पाए गए.



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अपने जिगरी दोस्त के अपमान से कड़क हुए मुलायम

पार्टी में अखिलेश के न आने से मुलायम ने अखिलेश की जमकर खबर ली. अमर सिंह की दिल्ली वाली पार्टी के बाद मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव को यूपी समाजावादी पार्टी के अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया. अब ऐसे में अखिलेश कहां चुप बैठने वाले थे. पापा को तो कुछ कह नहीं सकते थे, इसलिए चाचा पर 440 वॉट का गुस्सा उतार दिया. छीन लिए गए शिवपाल यादव से सारे अहम मंत्रालय.


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ये चाचा तो ‘चाचा चौधरी’ निकले

अब भतीजे पर इमोशनल अत्याचार करते हुए चाचा शिवपाल यादव ने सभी पदों से इस्तीफा देने की धमकी तक दे डाली. तब मुलायम के बीच में आने से मामला शांत हो गया था. लेकिन अखिलेश की आंखों में तो अमर अंकल किरकिरी बने हुए थे. सो सीधे नाम लेते हुए सिंह अंकल को प्रवचन सुना दिए ’घर के झगड़े में बाहर के आदमी दखल देंगे तो कैसे शांति बनेगी ?’



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अमर ने की निरूपा रॉय टाइप एक्टिंग

अब अखिलेश बाबू ने जुबान को थोड़ी और तीखी करते हुए अमर अंकल को ‘दलाल’ तक कह डाला, पर बात-बात पर बड़ों-बड़ों को बातों से मारने वाले अमर सिंह ने दुखियारी-बलिदानी टाइप नायिका बनकर कहा ‘अखिलेश मेरे बेटे जैसा है.’


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इस वजह से भी अखिलेश को खटकते हैं अमर

मुलायम की प्रेम कहानी को हवा दी, अमर ने. मुलायम का दिल अपनी ही पार्टी की एक महिला कार्यकर्त्ता पर आ गया. पहले से शादी-शुदा मुलायम अपने से 20 साल छोटी दूसरी पत्नी को सबके सामने स्वीकार नहीं कर सके. हालांकि, ये बात सभी जानते थे. नेताजी की पहली पत्नी और अखिलेश की मां की मौत 2003 में हो गई. जिसके बाद अमर सिंह ने अपना दांव खेलते हुए मुलायम की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता को दूसरी पत्नी का दर्जा दिलाने के लिए जमीन-आसमान एक कर दिया. ये बात अखिलेश को अंदर ही अंदर खटकती थी. इस तरह अमर अंकल, अखिलेश बाबू की नजरों में बन गए सबसे बड़े खलनायक.



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खुद तो डूबे हैं सनम, तुझे भी ले डूबेंगे

अब नाम पर ‘होम ब्रेकर’ का लेबल लगा हो और दो-चार घर न तोड़े हो, भला ये कैसे हो सकता है! इस अमर कथा में अमिताभ, जया, अनिल अंबानी, सुब्रत रॉय जैसे कई मशहूर लोगों के दोस्ती से दुश्मनी तक के तमाम किस्से शामिल हैं. कभी वो अमिताभ को सबसे बड़ा क्रिमिनल कहते पाए गए, तो कभी पार्टी से 6 साल पहले निकाले जाने पर मुलायम-आजम के खिलाफ जहर उगलते हुए नजर आए. ऐसे में आपको अभिनेता राजकुमार का वो फिल्मी डॉयलाग तो याद ही होगा ‘जानी जिसके घर शीशे के होते हैं, वो दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं मारा करते’. अब अमर सिंह स्टाइल में ये डॉयलाग कुछ ऐसा होगा ‘जिनके खुद के घर नहीं होते न! वो औरों के घरों पर बिदांस पत्थर मारते हैं अखिलेश बाबू!.



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अखिलेश को चढ़ा है अमर फीवर

अखिलेश खुलेआम अमर सिंह को घर तोड़ने वाला बता चुके हैं. ऐसे में चुनाव से ठीक पहले हुए इस फैमिली ड्रामे को रोका नहीं गया तो यादव-मुस्लिम वोट को कैच करने के लिए मैदान में बसपा और बीजेपी खड़ी है. ऐसे में कुर्सी जाने पर अखिलेश ये कहते हुए दिखाई देंगे ‘हमें तो अपनों ने लुटा गैरों में कहा दम था, पापा ने कुर्सी खा ली, चाचा में कहां दम था.’ वहीं मुलायम-शिवपाल चुपचाप कोने में बैठकर ‘बिग बॉस’ देखते हुए अपने दिन याद करेंगे और अमर सिंह ‘होम ब्रेकर’ ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के प्रिंसिपल बनकर मंद-मंद मुस्कुरा रहे होंगे…Next


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