लक्जरी कारों के जमावड़े के बीच फंसी एम्बुलेंस के ऊपर लगी लाल बत्ती दूर से ही जलती-बुझती दिखाई दे रही थी. वो सिर्फ एक जलती-बुझती हुई लाल बत्ती नहीं बल्कि एम्बुलेंस में लेटे इंसान की जिंदगी और मौत से जूझने की कहानी भी थी. शायद मंहगी गाड़ियों में बैठे लोगों का दिल पसीज ही जाता और वो एम्बुलेंस को निकलने का रास्ता दे ही देते, लेकिन उसी वक्त नेताजी की गाड़ियों का काफिला उसी सड़क से गुजरा. अनगिनत सिक्योरिटी गार्ड्स और लाल बत्ती लगी नेताजी की वीआईपी कार ने एम्बुलेंस की लालबत्ती को खामोश कर दिया. अब आप समझ सकते हैं कि एम्बुलेंस में बेबस पड़ी उस जिंदगी का अंजाम क्या हुआ होगा.
कुछ ऐसी ही है हमारे देश की कहानी. जहां पर अगर किसी सड़क या रास्ते पर सिक्योरिटी पुख्ता दिखाई देती है तो दो ही बात ध्यान में आती है, एक या तो उस जगह पर कोई हादसा हुआ है या फिर किसी मंत्री का काफिला वहां से गुजरने वाला है.
जरा, सोचिए कितना हास्यप्रद है न! कि जब चुनाव के समय ये लोग वोट मांगने आते हैं तो बिना सिक्योरिटी या गाड़ियों के काफिले के घर-घर वोट मांगने जाते हैं, लेकिन चुनाव जीतते ही वीआईपी की तरह पेश आते हैं. हमारे देश में अगर कोई नेता बिना सिक्योरिटी के किसी पार्क में मॉर्निंग वॉक करने भी जाता है तो वो खबर चर्चा का विषय बन जाती है. साथ ही जो नेता दीवाली आते ही पटाखे न जलाकर प्रदूषण रोकने और पर्यावरण की दुहाई देते दिखते हैं, दरअसल वही नेता सालभर अपनी गाड़ियों में बैठकर इस पर्यावरण को दूषित करने में कम जिम्मेदार नहीं हैं.
अब आप सोच रहे होंगे कि भला मंत्री बिना सिक्योरिटी कैसे घूम सकते हैं. लेकिन हम आपको बताते हैं कि दुनिया में एक देश ऐसा भी है जहां पर लोग पर्यावरण के प्रति इतने सजग है कि शानदार लाइफस्टाइल होने के बाद भी यहां पर 18 मिलियन लोग साईकिल चलाते हैं. वो कहीं आगे-जाने या घूमने के लिए साईकिल का इस्तेमाल करते हैं बल्कि यहां के लोग ही नहीं, प्रधानमंत्री भी बिना सिक्योरिटी साईकिल से आते जाते हैं…Next
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