वित्त मंत्री अरुण जेटली आज (गुरुवार) बजट पेश करेंगे। जीएसटी लागू होने के बाद पेश होने वाला यह पहला बजट है। एक्साइज और सर्विस टैक्स पर इस बार बजट में माथापच्ची नहीं होगी। आमतौर पर वित्त मंत्री ही बजट पेश करते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आजादी के बाद तीन प्रधानमंत्रियों ने भी बजट पेश किया है। इन तीनों ही प्रधानमंत्रियों को अलग-अलग परिस्थितियों के कारण वित्त मंत्री का पोर्टफोलियो संभालना पड़ा, जिसके चलते उन्होंने बजट भी पेश किया। इन तीनों पीएम ने न केवल बजट पेश किया, बल्कि अपने-अपने समय में खास तरह के टैक्स भी लगाए। आइये आपको बताते हैं कौन हैं वो तीनों प्रधानमंत्री और कब-कब उन्होंने पेश किया बजट।
पंडित जवाहरलाल नेहरू
इस लिस्ट में सबसे पहला नाम देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का है, जिन्होंने वित्त वर्ष 1958-59 का बजट पेश किया था। इस समय उनके पास वित्त मंत्री का पोर्टफोलियो था। इस बजट में नेहरू ने डायरेक्ट टैक्स के तहत पहली बार गिफ्ट पर टैक्स का प्रावधान पेश किया। इसे ‘गिफ्ट टैक्स’ कहा गया। 10 हजार रुपये से अधिक की संपत्ति के ट्रांसफर पर गिफ्ट टैक्स का प्रावधान किया गया। इसमें एक छूट यह भी थी कि पत्नी को 1 लाख रुपये तक के गिफ्ट देने पर टैक्स नहीं लगेगा। उस समय अमेरिका, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में इस तरह के टैक्स का प्रावधान था।
इंदिरा गांधी
इसके बाद दूसरा नाम आता है पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का। मोरारजी देसाई के इस्तीफे के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वित्त मंत्री का पोर्टफोलियो संभाला और वित्त वर्ष 1970-71 का बजट पेश किया। इस बजट में इंदिरा गांधी ने इनडायरेक्ट टैक्स में एक बड़ा फैसला किया, जिसके तहत सिगरेट पर ड्यूटी 3 फीसदी से बढ़ाकर सीधे 22 फीसदी कर दी गई। 28 फरवरी 1970 को बजट पेश करते हुए इंदिरा गांधी ने भाषण में कहा था कि इससे सरकार को 13.50 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी। इसके अलावा डायरेक्ट टैक्स में उन्होंने गिफ्ट टैक्स के लिए संपत्ति की वैल्यू की अधिकतम लिमिट 10,000 से घटाकर 5,000 रुपये कर दी। यानी 5,000 रुपये से अधिक की संपत्ति गिफ्ट करने पर उसे टैक्स के दायरे में लाया गया।
राजीव गांधी
इस लिस्ट में तीसरा नाम भी गांधी-नेहरू परिवार के सदस्य का ही है। तत्कालीन वित्त मंत्री वीपी सिंह के सरकार से बाहर होने के बाद राजीव गांधी ने वित्त मंत्री का पोर्टफोलियो संभाला और 1987-88 का बजट पेश किया था। राजीव ने इस बजट में पहली बार कॉरपोरेट टैक्स का प्रस्ताव पेश किया। इसे मिनिमम अल्टरनेट टैक्स के रूप में जाना जाता है। इस टैक्स के तहत कंपनी की तरफ से घोषित प्रॉफिट का 30 फीसदी टैक्स देने का प्रावधान किया गया। राजीव गांधी ने इससे 75 करोड़ रुपये अतिरिक्त रेवेन्यू हासिल होने का अनुमान लगाया। इसके अलावा विदेश यात्रा के लिए भारत में जारी वाले फॉरेन एक्सचेंज पर 15 फीसदी की दर से टैक्स लगाने का प्रावधान किया। इससे सरकार ने 60 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रेवेन्यू का अनुमान जताया था…Next
Read More:
35 साल बाद चंद्रग्रहण का ऐसा संयोग, जानें क्या है ‘सुपर ब्लू ब्लड मून’
U-19 विश्व कप की चैंपियन बनेगी भारतीय टीम! ये 6 कारण कर रहे इस ओर इशारा
सलमान खान की वो रिश्तेदार, जिसे हो गया था क्रिकेटर से प्यार
Read Comments