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Gulam Nabi Azad – केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद

gulam nabi azadगुलाम नबी आजाद का जीवन परिचय

भारत के वर्तमान केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाब नबी आज़ाद का जन्म 7 मार्च, 1949 को जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में हुआ था. इनके पिता का नाम रहमतुल्लाह था. गुलाब नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर विश्वविद्यालय से प्राणि विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई संपन्न की. गुलाम नबी आजाद ने वर्ष 1980 में कश्मीर की एक लोकप्रिय और प्रतिष्ठित गायिका शमीन देव आजाद के साथ विवाह संपन्न किया. इनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं.


गुलाम नबी आजाद का व्यक्तित्व

गुलाम नबी आजाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक तेज-तर्रार नेता हैं. कई बार उन्हें अपने बयानों के कारण विपक्षी दलों और जनता की आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा है. वह एक कुशल राजनेता हैं.


गुलाम नबी आजाद का राजनैतिक सफर

वर्ष 1973 में कांग्रेस के सदस्य के तौर गुलाम नबी आजाद ने सक्रिय राजनीति में कदम रखा. वर्ष 1973-1975 के बीच वह ब्लेस्सा  कांग्रेस समिति के ब्लॉक सचिव रहे. यहीं से उनके राजनैतिक जीवन को सही दिशा मिलनी प्रारंभ हो गई. वर्ष 1975 में गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और फिर 1977 में डोडा जिले के कांग्रेस अध्यक्ष बने. इसके बाद जल्द ही वह अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के महासचिव बनाए गए. वर्ष 1982 में गुलाम नबी आजाद ने पहले केन्द्रीय उपमंत्री के तौर पर कानून, न्याय और कंपनी मामलों का मंत्रालय संभाला फिर कुछ ही समय बाद राज्य मंत्री बने. वर्ष 1985 में गुलाम नबी आजाद वशिम निर्वाचन क्षेत्र से दोबारा लोकसभा चुनाव जीतने के बाद गृह राज्य मंत्री बनाए गए. लेकिन उन्हें जल्द ही खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्रालय सौंप दिया गया. इन सब के अलावा वर्ष 1978 से 1981 तक गुलाम नबी आजाद अखिल भारतीय मुस्लिम युवा कांग्रेस के भी अध्यक्ष रहे. 1986 में कांग्रेस कार्य समिति के भी सदस्य बनाए गए. इसके बाद वर्ष 1987 में वह अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव बने. गुलाम नबी आजाद नौ बार इस पद पर काबिज रहे. वर्ष 1990 में राज्यसभा में चयनित होने के बाद वह पी.वी. नरसिंह राव सरकार में संसदीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री और बाद में पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्री बनाए गए. गुलाम नबी आजाद के जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष पद पर रहते हुए कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में 21 सीटों पर जीत हासिल हुई जिसके बाद वह प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनकर उभरी. मनमोहन सरकार में गुलाम नबी आजाद संसदीय मामलों के मंत्री रहे. लेकिन 2007 में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद के कारण उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया. मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री का पद प्रदान किया गया.


गुलाम नबी आजाद से जुड़े विवाद

  • वर्ष 2008 में उन्होंने हिंदू मंदिरों को जमीन स्थानांतरित करने की योजना पारित की, उनके इस फैसले से मुसलमान आक्रोशित हो गए. जिसके परिणामस्वरूप घाटी में हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़क उठे. गुलाम नबी आजाद की बिगड़ती छवि के कारण कांग्रेस ने सत्तारूढ़ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. इसके बाद गुलाम नबी आजाद ने बहुमत साबित करने की जगह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.

  • वर्ष 2011 में एक प्रेस-कांफ्रेंस में गुलाम नबी आजाद ने समलैंगिकता को एक विदेशी बीमारी कहकर संबोधित किया. उनके इस कथन की बहुत आलोचना हुई.

गुलाम नबी आजाद अकसर अपने बयानों और विचारों को लेकर विवादों में घिरे रहते हैं, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए उन्होंने कई प्रकार के सुझाव दिए. जैसे लड़कियों का विवाह अगर 25-30 वर्ष के बीच किया जाए तो इससे जनसंख्या वृद्धि को रोका जा सकता है आदि बहुत प्रशंसनीय रहे.


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