राजनीतिक हलको में सबसे पहले शर्मिष्ठा मुखर्जी की चर्चाएं तब शुरू हुई जब उनके पिता प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बनें. शर्मिष्ठा ने उस दौरान प्रणब मुखर्जी के व्यक्तिगत जीवन पर प्रकाश डालते हुए कई साक्षात्कार दिए. तब यह चर्चा भी गरम होने लगी थी कि शर्मिष्ठा ही प्रणब मुखर्जी की राजनीतिक उत्तराधिकारी बनेंगी, पर खुद शर्मिष्ठा इन अटकलों से इत्तेफाक नहीं रखती थी. शर्मिष्ठा का कहना था कि उन्हें राजनीति में कोई रूची नहीं है. पर प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के दो साल बाद आज शर्मिष्ठा दिल्ली विधानसभा चुनाव में ग्रेटर कैलाश सीट की उम्मीदवार हैं. आइए कांग्रेस की इस हाई-प्रोफाईल उम्मीदवार के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातों को जानें जिसके बारे में बेहद कम लोग जानते हैं.
के रूप में शर्मिष्ठा ने देश के अलग-अलग हिस्सों सहित विश्व के लगभग 45 देशों में परफॉर्म कर चुकी हैं. वे अपने नृत्य के लिए कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी हैं. उन्होंने नृत्य पर आधारित 6 एपिसोड का एक टीवी सीरियल ‘तालमेल’ और एक फिल्म ‘बियॉन्ड ट्रेडिशन’ बनाया है. इसके अलावा वे स्त्री अधिकारों के विषयों पर भी खुल कर बोलती रही हैं.
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स्त्री अधिकारों पर उनकी बेबाकी का अंदाजा उस घटना से भी लगाया जा सकता है जब महिलाओं के ऊपर बेतुका बयान देने के लिए उन्होंने अपने भाई को आड़े हाथ लेने में हिचक नहीं की थी. शर्मिष्ठा के भाई और पश्चिम बंगाल के जंगीपुर सीट से कांग्रेस के विधायक अभिजीत मुखर्जी ने बलात्कार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महिलाओं को ‘डेंटेड-पेंटेड’ औरतों की संज्ञा दी थी. शर्मिष्ठा ने अपने भाई के बयान पर हैरानी जताते हुए अभिजीत की तरफ से माफी मांगी थी. इस घटना के बाद डैमेज कंट्रोल करने की शर्मिष्ठा की राजनीतिक सूझबूझ की प्रशंसा भी हुई थी.
सैंट स्टीफन कॉलेज से इतिहास में स्नातक और जेएनयू से सामाजिक विज्ञान में परास्नातक शर्मिष्ठा बताती हैं कि नृत्य में अत्याधिक रूची होने के कारण वे पढ़ाई में उतना ध्यान नहीं दे पाती थीं. जब वे 12वीं में थीं तो उनके पिता ने उन्हें चेतावनी दी थी कि अगर वे परीक्षा में अच्छे अंक नहीं लाएंगी तो वे किसी अच्छे संस्थान में दाखिला दिलाने के लिए उनकी कोई मदद नहीं करेंगे. पिता के इस चेतावनी को शर्मिष्ठा ने चुनौती के रूप में लिया औऱ 12वीं में न सिर्फ अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुईं बल्कि देश के अति प्रतिष्ठित कॉलेज सेंट स्टीफन में दाखिला पाने में भी सफल रहीं.
धूमने की शौकीन शर्मिष्ठा जब अपने दोस्तों के साथ मिडल ईस्ट देशों के रोड ट्रीप पे निकलीं थी तो उन्हें ईरान में परमिट संबंधित कुछ परेशानियां झेलनी पड़ीं. ईरानी अधिकारियों से निबटने का उनके पास सबसे आसान तरीका था कि वे अपनी पहचान बता दें पर उन्होंने ऐसा नहीं किया. आखिरकार जब स्थिति नियंत्रण से बाहर जाने लगी और भाषा की बाधा सामने खड़ी हो गई तब शर्मिष्ठा ने तेहरान स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क किया. Next…
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