जब भी देश के स्वतंत्रता संग्राम के बारे में बात की जाती है, कई बड़े नामों का जिक्र किया जाता है। उन नामों में ऐसा नाम भी जुड़ा है, जिसके बारे में लोग ज्यादा चर्चा नहीं करते। हम बात कर रहे हैं विजयलक्ष्मी पंडित की, जिनका आज जन्मदिन है. आइए, जानते हैं नेहरु और महात्मा गांधी के साथ स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाली देश की पहली महिला मंत्री की।
जवाहरलाल नेहरु से 11 साल छोटी बहन थी विजयलक्ष्मी पंडित
नेहरू से 11 साल छोटी थीं। इलाहाबाद से पढ़ाई शुरू की. बाद में गांधी और नेहरू के साथ स्वतंत्रता संग्राम में लड़ीं। वो पहले पिता मोतीलाल नेहरु के साथ आंदोलन से जुड़ी रहीं, इसके बाद भाई जवाहरलाल के साथ राजनीति में भी सक्रिय रहीं।
‘The Scope of Happiness’ किताब में उनकी जिंदगी से जुड़ी कई बातें लिखी हुई हैं। 1946 में संविधान सभा में चुनी गईं। औरतों की बराबरी से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय रखी और बातें मनवाईं। वो आज़ादी के बाद 1947 से 1949 तक रूस में राजदूत रहीं। ये दौर भारत के लिए बड़ा सनसनीखेज था, क्योंकि सुभाषचंद्र बोस के रूस में होने की अफवाह उड़ती रहती। अगले दो साल अमेरिका की राजदूत रहीं। मतलब कम्युनिस्ट देश से सीधा कैपिटलिस्ट देश में, वो भी तब, जब दोनों देशों में कोल्ड वॉर चल रहा था।
राजनीति में सक्रिय रहने वाली विजया इंदिरा से कम नहीं थीं
फिर 1953 में यूएन जनरल असेंबली की प्रेसिडेंट रहीं. वो पहली महिला थीं, जिन्होंने ये मुकाम हासिल किया था। 1955 से 1961 तक इंग्लैंड, आयरलैंड और स्पेन में हाई कमिश्नर रहीं। 1962 से 1964 तक महाराष्ट्र की गवर्नर रहीं। 1964 में नेहरू का निधन हुआ और विजया नेहरू के क्षेत्र फूलपुर से लोकसभा में चुनी गईं।
इंदिरा गांधी से रहती थी तनातनी
कहा जाता है कि विजयलक्ष्मी की अपनी बुआ विजयालक्ष्मी से बिलकुल नहीं बनती थी इस वजह से इंदिरा ने जैसे ही राजनीति में कदम रखा, वैसे ही उन्हें साइडलाइन कर दिया। विजयलक्ष्मी आपातकाल के दौरान खुलकर इनके विरोध में आ गई थीं। उन्होंने इंदिरा के इस कदम को लोकतांत्रिक देश के लिए एक काला दिन बताया था…Next
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