Menu
blogid : 321 postid : 1389809

‘अडल्टरी’ अब अपराध नहीं, जानें क्या है आईपीसी की धारा 497

सुप्रीम कोर्ट ने अडल्टरी (व्यभिचार) को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया है। कोर्ट ने अडल्टरी मामले में IPC की धारा 497 को असंवैधानिक करार दिया है। पांच जजों की बेंच में शामिल चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस आरएफ नरीमन, डीवाई चंद्रचूड़ ने आईपीसी के सेक्शन 497 को अपराध के दायरे से बाहर करने का आदेश दिया। जज ने अपने फैसले में अडल्टरी कानून मनमाना है। उन्होंने कहा कि यह महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाता है। अडल्टरी कानून महिला की सेक्सुअल चॉइस को रोकता है और इसलिए यह असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि महिला को शादी के बाद सेक्सुअल चॉइस से वंचित नहीं किया जा सकता है।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal27 Sep, 2018

 

 

क्या है आईपीसी की धारा 497
आईपीसी की धारा 497 के तहत अगर किसी विवाहित महिला के साथ कोई गैर पुरुष संबंध बनाता है तो उसके ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे मामलों में अगर महिला की सहमति ना हो तो ऐसी स्थिति में पुरुष पर बलात्कार का मामला बनता है जो आपराधिक मामलों की श्रेणी में आता है।
लेकिन अगर ऐसे मामले में महिला की सहमति शामिल हो तो भी महिला के पति के शिकायत पर पुरुष के ख़िलाफ़ इस धारा के तहत कर्रवाई की जा सकती है और ये मामला व्याभिचार का बनता है।

कब-कब उठे थे सवाल
ये मामला इसी साल पांच जनवरी को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, जब चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने इस जनहित याचिका को संवैधानिक बेंच के पास भेज दिया था।
ऐसा भी नहीं है कि अडल्ट्री पर पहली बार सवाल उठाए गए हों, इससे पहले 1954, 1985 और 1988 में भी अडल्ट्री पर सवाल पूछे गए थे। पिछले साल भी सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा था कि सिर्फ़ पुरुष को गुनहगार मानने वाला अडल्ट्री क़ानून पुराना तो नहीं हो गया है?
वहीं 1954 और 2011 में दो बार इस मामले पर फ़ैसला भी सुनाया जा चुका है, जिसमें इस क़ानून को समानता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला नहीं माना गया।

 

पुरूषों के अधिकारों का हनन!
गौरतलब है कि आईपीसी की धारा-497 के प्रावधान के तहत पुरुषों को अपराधी माना जाता है जबकि महिला विक्टिम मानी गई है। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता का कहना था कि महिलाओं को अलग तरीके से नहीं देखा जा सकता क्योंकि आईपीसी की किसी भी धारा में जेंडर विषमताएं नहीं हैं।याचिका में कहा गया था कि आईपीसी की धारा-497 के तहत जो कानूनी प्रावधान हैं वह पुरुषों के साथ भेदभाव वाला है। आपको बता दें कि अडल्टरी के मामले में पुरुषों को दोषी पाए जाने पर सजा दिए जाने का प्रावधान है जबकि महिलाओं को नहीं…Next

 

Read More :

भारत-पाक सिंधु जल समझौते पर करेंगे बात, जानें क्या है समझौते से जुड़ा विवाद

राजनीति में आने से पहले पायलट की नौकरी करते थे राजीव गांधी, एक फैसले की वजह से हो गई उनकी हत्या

स्पीकर पद नहीं छोड़ने पर जब सोमनाथ चटर्जी को अपनी ही पार्टी ने कर किया था बाहर

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh