राजनीति की दुनिया में हमेशा ऐसा होता है कि यहां जब भी कोई नेता अपनी आत्मकथा या किसी और के जीवन पर आधारित किताब लिखता है, तो उससे जुड़े कई लोगों को डर सताने लगता है। ऐसे में हर ऑटोबॉयोग्राफी के साथ कोई न कोई विवाद जरूर जुड़े होते हैं। राजनीति के गलियारों में एक ऐसी ही आत्मकथा है नटवर सिंह की, जिससे कई विवाद जुड़े हुए हैं। आज नटवर सिंह का जन्मदिन है। आइए, जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े खास किस्से।
सिविल सर्विसेस एग्जाम क्लियर करने के बाद विदेश मंत्रालय के लिए चुने गए
राजनीतिज्ञ, लेखक, पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर कुंवर नटवर सिंह का जन्म 16 मई 1931 को राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पूरी की। उन्होंने आगे की पढ़ाई इंग्लैंड के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और चीन की पेकिंग यूनिवर्सिटी से पूरी की। कैंब्रिज में नटवर सिंह की मुलाकात कृष्ण मेनन से हुई, जिन्होंने नटवर सिंह को सिविल सर्विसेस इंटरव्यू के लिए कई टिप्स दिए। नटवर सिंह ने सिविल सर्विसेस का एग्जाम क्लियर कर लिया और इंडियन फॉरेन सर्विस के लिए सेलेक्ट हुए।
1984 में थामा कांग्रेस का हाथ
नटवर सिंह ने कांग्रेस का हाथ वर्ष 1984 में थामा। कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने आठवें लोकसभा चुनाव में राजस्थान के भरतपुर से जीत दर्ज की। इसके बाद वर्ष 1985 में सिंह राजीव गांधी की नेतृत्व वाली सरकार में कोयला और खदान मंत्री बनाए गए। इसके बाद वर्ष 1986 से 1989 तक वह विदेश मंत्री भी रहे। नटवर सिंह वर्ष 1987 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा न्यू यॉर्क में आयोजित निरस्त्रीकरण सम्मलेन के अध्यक्ष बने। वह राजस्थान से राज्यसभा के सदस्य भी रहे। साल 2004 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में उन्हें फिर से विदेश मंत्री बनाया गया। साल 2008 में उन्होंने कांग्रेस को छोड़ समाजवादी पार्टी का साथ चुना।
2004 में पीएम क्यों नहीं बनीं सोनिया गांधी
‘सोनिया गांधी क्यों नहीं बनी पीएम’ नटवर की किताब में काफी ऐसी बातें लिखी हुई हैं, जिसपर जमकर बवाल हुआ है। इनमें से एक बात है सोनिया गांधी के पीएम बनने को लेकर किताब में 2004 का जिक्र करते हुए बताया था कि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री क्यों नहीं बनी थी। नटवर सिंह ने अपनी किताब में लिखा है कि 2004 में सोनिया गांधी राहुल गांधी के दबाव में प्रधानमंत्री नहीं बनी थी। इसके अलावा नटवर सिंह ने अपनी किताब में ये भी लिखा है कि यूपीए शासनकाल के दौरान में अहम फैसले सोनिया की मंजूरी के बिना नहीं होते थे।…Next
Read More :
भारतीय चुनावों के इतिहास में 300 बार चुनाव लड़ने वाला वो उम्मीदवार, जिसे नहीं मिली कभी जीत
Read Comments