तमिलनाडु में राजनीतिक घमासान जारी है। एआईएडीएमके के पलनीसामी और पन्नीरसेल्वम गुटों के विलय के बाद शाशिकला के भतीजे टीटीवी दिनाकरन और उनके समर्थक विधायक अलग-थलग पड़ गए हैं। इस विलय से नाखुश दिनाकरन गुट के 19 विधायकों ने मंगलवार को तमिलनाडु के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव से मुलाकात कर मुख्यमंत्री को हटाने की मांग की। विधायकों ने कहा कि पलनीसामी के पास बहुमत नहीं है। विधायकों ने राज्यपाल से मिलने से पहले दिनाकरन के आवास पर उनसे मुलाकात की थी। जयललिता की मौत के बाद से तमिलनाडु में जारी राजनीतिक उठापटक के केंद्र में दिनाकरन हमेशा रहे हैं। आइये जानते हैं आखिर कौन है दिनाकरन, जो सूबे की सत्ता के शीर्ष पर रहने के लिए प्रयासरत है।
दिनाकरन वीके शशिकला के भतीजे हैं। उनके दो और भाई हैं, भास्करन व सुधाकरन। वे तमिलनाडु के तेनी जिले के रहने वाले हैं। सुधाकरन जयललिता के दत्तक पुत्र थे, लेकिन बाद में जयललिता ने सार्वजनिक रूप से सुधाकरन को त्याग दिया था।
जयललिता की मृत्यु के बाद दिनाकरन, शशिकला के साथ जयललिता के पोएस गार्डन स्थित आवास में आ गए और जब तक जयललिता का पार्थिव शरीर पड़ा रहा, तब तक दिनाकरन शशिकला के पीछे खड़े थे।
15 फरवरी 2017 को आय से अधिक संपत्ति मामले में शशिकला के सरेंडर करने से कुछ समय पहले ही दिनाकरन को एआईएडीएमके का उप-महासचिव नियुक्त किया गया।
पार्टी से निष्कासित किए जाने के पांच वर्ष बाद दिनाकरन की यह दोबारा एंट्री थी। सरकार और पार्टी के कामकाज में दखल देने से नाराज जयललिता ने दिनाकरन को निष्कासित कर दिया था।
दिनाकरन तमिलनाडु की पेरियाकुलम लोकसभा सीट से 1999 से 2004 तक सांसद रहे हैं। 2004 के आमचुनाव में जेएम आरोन राशिद से चुनाव हार गए थे। दिनाकरन राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में दिनाकरन के खिलाफ विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (एफईआरए) के उल्लंघन का मामला दर्ज हो चुका है। आरोप था कि 1991 से 1995 के बीच दिनाकरन के खाते में बड़ी संख्या में रुपये जाम किए गए।
इस मामले में दिनाकरन ने खुद को बचाने के लिए तथ्य रखा कि वे सिंगापुर के नागरिक थे, लेकिन ईडी ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग का दोषी पाया।
मद्रास उच्च न्यायालय ने इस साल 6 जनवरी को इस मामले में दिनाकरन पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।
जयललिता की मौत के बाद अप्रैल 2017 में आरके नगर विधानसभा के उपचुनाव में दिनाकरन मैदान में थे, लेकिन वोट के बदले नोट का मामला सामने आने पर चुनाव आयोग ने इस चुनाव को रद्द कर दिया।
17 अप्रैल 2017 को दिल्ली पुलिस ने दिनाकरन पर अन्नाद्रमुक का चुनाव चिह्न (दो पत्ती) प्राप्त करने के लिए भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को 50 करोड़ की रिश्वत देने के प्रयास का मामला दर्ज किया।
चार दिन की पूछताछ के बाद दिल्ली पुलिस ने 25 अप्रैल 2017 को दिनाकरन को घूस देने के प्रयास के मामले में गिरफ्तार कर लिया।
1 जून को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने दिनाकरन को इस मामले में जमानत दे दी है। फिलहाल दिनाकरन जमानत पर जेल से बाहर हैं और बीमार चल रहे हैं।
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