पाकिस्तान की बिगड़ रही व्यवस्था से पूरा विश्व वाकिफ है. आतंकवाद, अपहरण और खून-खराबा मानों वहां की जड़ों में समा चुका है. बिगड़ रही कानून व्यवस्था को देखकर यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि आने वाला वक्त आतंकवाद मुक्त या हिंसा मुक्त होगा. पाकिस्तान में कानून व्यवस्था की मार जहां आम लोगों पर पड़ रही है उससे कई गुना अधिक वहां बसे हुए हिंदुओं पर दिखाई दे रही है.
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हत्या, अपहरण और जबरन धर्मांतरण से बचने के लिए आज पाकिस्तानी हिंदू परिवार सैकड़ों की संख्या में भारत की ओर रुख कर रहे हैं. इन्होंने राजस्थान, पंजाब और दिल्ली में जगह-जगह शरण ले रखी है. दिल्ली की व्यस्त रिंग-रोड के किनारे मजनूं का टीला नामक एक जगह है जहां लगभग आधा दर्जन हिंदू परिवारों ने शरण ली हुई है.
जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान में रह रहे हिंदुओं को मजहब के नाम पर होने वाले भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. वहां बसे हिंदू युवतियों का अपहरण किया जा रहा है और उनका जबरन धर्म परिवर्तन करके उनकी शादी कर दी जा रही है. हिंदुओं की दुकानों में लूटपाट, मकानों को क्षति पहुंचाना वहां आम हो चुका है. आवाज उठाने वाले हिंदुओं पर तरह-तरह यातनाएं बरपाई जा रही हैं. व्यवस्था इतनी बिगड़ी हुई है कि वहां की पुलिस और न्याय प्रशासन ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. हिंदुओं को इस बात की चिंता है कि अगर वह पाकिस्तान में रहते हैं तो धर्म के साथ-साथ उनके बच्चों की जिंदगी के साथ भी खिलवाड़ किया जाएगा.
वहां अगर हिदुओं को शिक्षा ग्रहण करनी है तो उन्हें हर मुसलमानी कायदे-कानून को अपनाना होगा. वहां किताबों में बच्चों को यह पढ़ाया जाता है कि यह मुल्क हिंदुओं के लिए नहीं है. उनके साथ भेदभाव करके उन्हें स्कूल से दूर रखा जाता है. हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के लिए जब सरकार से गुहार लगाई जाती है तो वहां की सरकार ऐसे मुद्दों पर कन्नी काटती हुई दिखाई देती है. दोष केवल पाकिस्तान की सरकार का नहीं है बल्कि भारत की सरकार का भी है. पाकिस्तान में हिदुओं पर की जा रही यातनाएं कोई नया मुद्दा नहीं है. आजादी के बाद से ही वहां के हिदुओं पर इस तरह की यातनाएं बरपाई जा रही हैं लेकिन लगातार इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की उदासीनता सामने आई है.
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