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फटेहाल ब्रिटेन की तकदीर पलट दी इस महिला ने

ब्रिटेन की आयरन लेडी मार्गरेट थैचर ने अपने 11 वर्ष के कार्यकाल में कई विवादों का सामना किया. उनके नाम कई उपलब्धियां भी रहीं, जिनके आधार पर उन्हें सालों बाद आज भी याद किया जाता है. ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने वाली मारग्रेट थैचर की नीतियों और कार्यप्रणालियों को जनता ने जितना समर्थन दिया उससे कहीं ज्यादा उनके विरोध में आवाजें सुनाई देती थीं. वह कठोर निर्णय लेने की क्षमता वाली ऐसी महिला थीं जो व्यवस्था को पलटने से घबराती नहीं थीं बल्कि खुद अपने निर्णयों द्वारा व्यवस्था परिवर्तन करने का माद्दा रखती थीं.



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व्यवस्था परिवर्तन से जुड़ा ऐसा ही बेहद कठोर निर्णय था मार्गरेट थैचर की रोलिंग बैक पॉलिसी. इस पॉलिसी को साकार रूप देकर मारग्रेट थैचर ने ब्रिटेन समेत पूरी दुनिया में ऐसी क्रांति ला दी, जिसके बिना किसी भी देश की तरक्की हो पाना वाकई बहुत मुश्किल था. रोलिंग बैक पॉलिसी का आशय उदारीकरण और निजीकरण को बढ़ावा देने से है.


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ब्रिटेन में निजीकरण की जिस नीति का अनुसरण किया गया वह अपने आप में नया और अनोखा था जिसे थैचरिज्म का नाम दिया गया. 1983 के चुनावों के बाद स्टेट यूटिलिटीज की बिक्री में 29 बिलियन पाउंड से अधिक का इजाफा हुआ, जोकि अधिकांशत: राष्ट्रीय उद्योगों के विनिवेश से उगाहे गए थे और 18 बिलियन से अधिक काउंसिल हाउस की बिक्री से प्राप्त किए गए थे.


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मार्गरेट थैचर के पहले कार्यकाल के दौरान ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, जब दूसरी बार थैचर ने प्रधानमंत्री का पद संभाला तो उन्होंने कई उद्योगों और उद्यमों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर निजी हाथों में देने का फैसला कर लिया. राष्ट्रीयकृत उद्यमों को निजी हाथों में देने का उद्देश्य प्रदर्शन और उत्पादकता में वृद्धि करना था. बाजारी प्रतिस्पर्धा में वृद्धि कर उत्पाद के दामों में कमी लाने के लिए थैचर ने निजीकरण को बढ़ावा दिया. हालांकि निजी उद्योगों ने उस दौरान काफी बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन ब्रिटिश स्टील जो अभी भी राज्य के नियंत्रण में थी उसने भी साथ ही साथ अच्छा लाभांश जाहिर किया था.



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थैचर की रोल बैक पॉलिसी ने ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रोजगार सृजन और गरीबी हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. इसने केवल ब्रिटेन ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में उदारीकरण एवं निजीकरण के लिए मार्ग प्रशस्त किया. डी लाइसेंसिंग तथा विनिवेशन के द्वारा सरकारी कंपनियों का निजीकरण तेजी से किया जाने लगा और देश के ऋण भार को कम करने के लिए अतिरिक्त पूंजी समाधान जुटाए जाने लगे. इसके अलावा थैचर ने जनहितकारी पूंजीवाद (पॉप्यूलर कैपिटलिज्म) की नीति के तहत सार्वजनिक खर्च में भारी बढ़ोत्तरी की तथा राष्ट्रीय आवास नीति के तहत आमजन को यह अधिकार दिया कि वे जिन घरों में रह रहे हैं(जो किसी ऋण के तहत लिए गए हैं) उनमें स्वामित्व हासिल कर सकें. इसके अलावा आम आदमी को निजीकृत कंपनियों में हिस्सेदारी प्रदान करने की व्यवस्था भी शुरू की गई जिससे आम जनता के आर्थिक हालात में जादुई परिवर्तन देखने को मिले. सरकार के काम को सामान्य प्रशासन और नियंत्रणकारी शक्ति के रूप में सीमित करने की थैचर की कोशिश ने परिवर्तन दिखाने शुरू कर दिए और गुड गवर्नेंस की दिशा में सकारात्मक लाभ दिखने लगे. अब से ब्रिटेन की राजनैतिक, प्रशासनिक और आर्थिक ढांचों में समरूपता की शुरुआत हो गई तथा सेवा क्षेत्र में व्यापक वृद्धि होने लगी. सरकार का काम कानून बनाए रखना, कंपनियों के लिए उत्पादों के मानक निर्धारित करना तथा सामान्य जन को प्रदान की जाने वाली सार्वजनिक सेवाओं के लिए निरीक्षण तंत्र की व्यवस्था करना हो गया तथा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप और ठेका पद्धति द्वारा गुणवत्ता पूर्ण कार्य की मांग पूरी होने लगी.




हालांकि थैचर अपने आप में एक तानाशाही रवैये वाली नेतृत्वशाली राजनीतिज्ञ थीं जिस कारण निर्णय लेने के दौरान महत्वपूर्ण सहयोगियों के मशवरे को नजरअंदाज कर देना उनके लिए हानिकर साबित हुआ. यूरोपियन यूनियन के मसले पर उनकी यह सोच कि यदि ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन में शामिल होता है तो इससे उसकी संप्रभुता प्रभावित होगी, उन्होंने मसले को पूरी तरह खारिज करने की कोशिश की और यूरोपियन समुदाय के एकीकरण में एक बड़ी दीवार बनकर खड़ी हो गईं. इस मुद्दे ने उनके पिछले कृतीत्वों पर बुरा असर डाला और आमजन में उनकी लोकप्रियता तेजी से घटी और बाद में यही मुद्दा उनके त्यागपत्र का भी कारण बना. लेकिन विभिन्न उतार-चढ़ावों के बावजूद तत्कालीन विश्व में थैचर की दूर दृष्टि की प्रशंसा करनी ही होगी जिसमें उन्होंने भारी बेरोजगारी और तंगहाली से ग्रस्त ब्रिटेन को तेज गति से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था में तब्दील करके अवसरों की एक असीमित श्रृंखला खड़ी कर दी.



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